सीबीआई में चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संतुलित नज़रिया अपनाते हुए सरकार के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जिसके तहत सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया है।
कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को आदेश दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज ए.के. पटनायक की निगरानी में 14 दिनों के अंदर वर्मा के खिलाफ जांच पूरी करे। इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव द्वारा कोई भी नीतिगत फैसला लेने पर रोक लगा दी है।
यदि सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के सरकार के आदेश पर रोक लगा दी होती तो इससे केंद्र सरकार को बड़ी शर्मींदगी उठानी पड़ती। वहीं इससे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का मनोबल काफी बढ़ता जो कि सीबीआई विवाद को लेकर अपनी पार्टी के लोगों के साथ शुक्रवार को देशभर में हुए प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे थे।
राहुल गांधी यह आरोप लगा रहे हैं कि सीबीआई निदेशक राफेल सौदे की जांच के आदेश देने की तैयारी कर रहे थे लेकिन इसमें बाधा डालने के लिए उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया। राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि सरकार ने यह कदम सीबीआई के अंदर चल रहे विवाद को खत्म करने के लिए उठाया और राफेल सौदे से इसका कोई लेना-देना नहीं है। क्योंकि सीबीआई में न तो उसकी कोई फाइल बनी है और न ही जांच का कोई आदेश दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यह आरोप लगाना कि उन्होंने सीबीआई प्रमुख को इसलिए हटा दिया क्योंकि वह राफेल सौदे की जांच करनेवाले थे, यह राहुल की राजनीति के लिए अच्छा कदम हो सकता है लेकिन यह आरोप तथ्यों से परे है। कांग्रेस को लगता था कि सुप्रीम कोर्ट आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के सरकार के फैसले पर रोक लगा सकता है इसलिए बड़ी उम्मीद से देशभर में सीबाईआई दफ्तरों पर प्रदर्शन किए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही यह प्रदर्शन विफल हो गया। प्रदर्शनों का ये सिलसिला ज्यादा लंबा चलने वाला खेल नहीं है। (रजत शर्मा)
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