सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में हो रही लिन्चिंग (भीड़ द्वारा हत्या) की घटनाओं को रोकने के लिए संसद कठोर कानून बनाए। पिछले एक साल में 9 राज्यों में 27 लोग लिन्चिंग के शिकार हुए हैं जिनमें महाराष्ट्र में इस तरह की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं। इसके बाद झारखंड, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु और असम में इस तरह की घटनाएं हुई हैं। इन राज्यों में विभिन्न राजनीतिक दल सत्ता में हैं इसलिए किसी एक दल या एक सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट तौर पर कहा, 'भीड़तंत्र को भयानक गतिविधियों' की इजाजत नहीं दी जा सकती और गोरक्षा के नाम पर न्यायिक व्यवस्था के अतिरिक्त जाकर कदम उठानेवालों पर भी सख्ती की जरूरत है। इस तरह की प्रवृत्ति स्वयंभू गोरक्षकों के साथ शुरू हुईं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक तौर पर कड़े शब्दों में चेतावनी दी थी। लेकिन इस तरह की घटनाएं थम नहीं रही हैं। हालांकि अब यह मामला सिर्फ गोरक्षा तक सीमित नहीं रहा। कभी बच्चा चोरी की अफवाह पर तो कभी चोरी के शक में भीड़ बेगुनाह लोगों को पीट-पीटकर उनकी हत्या कर रही है। सबसे बड़ी बात ये है कि व्हाट्सएप पर अफवाह फैलाकर लोगों को उकसाया जाता है। सोशल मीडिया ऐसी अफवाह फैलाने का हथियार बनता जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने सिफारिश की है कि संसद को ऐसे अपराधों के लिए अलग अपराध श्रेणी बनानी चाहिए और अपराधियों के दिमाग में कानून का डर स्थापित करना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को ऐसे मामलों से निपटने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश का निर्धारण किया है और कहा कि वह भड़काऊ संदेशों के प्रसार को रोके। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को उस भावना को समझना चाहिए जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने यह सख्त दिशा-निर्देश जारी किया है। जितनी जल्द संसद द्वारा कानून बनाया जाएगा उतना ही अच्छा रहेगा। (रजत शर्मा)
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