केंद्रीय राज्यमंत्री (गंगा पुनरुद्धार) डॉक्टर सत्यपाल सिंह ने कहा है कि गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने और उसे निर्मल बनाए रखने के लिए उसमें अस्थियां प्रवाहित नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सदियों पुरानी इस हिंदू परंपरा पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए और अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने के बजाय उसे जमीन पर एक स्थान पर इकट्ठा कर उसके ऊपर पौधे लगाने चाहिए। हिंदू धर्मग्रंथों में गंगा नदी को देवी का दर्जा दिया गया है और करोड़ों हिंदू इसे पवित्र मानते हैं।
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, गंगा में अस्थियां प्रवाहित करने पर मृतात्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भारत में लोग जागरूक हुए हैं और उन्होंने नदियों में पूजा सामग्री और फूल डालना कम किया है। लेकिन नदियों के प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण उनमें औद्योगिक कचरे का निपटना करना है। गंगा नदी के किनारे सैकड़ों फैक्ट्रियां, जिनमें से अधिकांश चमड़ा उद्योग से जुड़ी हैं, चल रही हैं। इन फैक्ट्रियों का गंदा और जहरीला पानी रोज नदी में गिरता है।
सरकार को सदियों पुरानी हिंदू मान्यताओं पर ‘पुनर्विचार’ करने के बारे में सोचने से पहले गंदगी फैलाने वाली इन फैक्ट्रियों को गंगा के किनारे से हटाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।(रजत शर्मा)
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