भारत के पूर्व क्रिकेटर और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की दो दिनों की यात्रा के दौरान पाकिस्तान के प्रशासनिक तंत्र ने उनका भरपूर इस्तेमाल किया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सिखों की धार्मिक सभा में कश्मीर के मुद्दे को उठाया और तंज़ कसते हुए कहा कि क्या कश्मीर मुद्दा सुलझाने के लिए पाकिस्तान को सिद्धू के प्रधानमंत्री बनने तक इंतजार करना चहिए।
सिद्धू ने अपनी पहली पाकिस्तान यात्रा में पाकिस्तान के थल सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा को सार्वजनिक रूप से गले लगाया था। करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास समारोह में सिद्धू और भारत सरकार के दो मंत्री शामिल हुए, वहीं पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस समारोह में एक जाने-माने खालिस्तानी अलगाववादी गोपाल सिंह चावला को आमंत्रित किया और आगे की पंक्ति में बिठा दिया।
भारत विरोधी चावला ने अपने फेसबुक वॉल पर सिद्धू के साथ फोटो पोस्ट कर दी और सिद्धू अब भारत लौटने के बाद कहते हैं कि वह गोपाल सिंह चावला नाम के किसी शख्स को नहीं जानते । सिद्धू ने कहा- 'मेरे वहां पांच हजार से लेकर 10 हजार फोटो लिए गए। मैं नहीं जानता कि गोपाल चावला कौन था'
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, सिद्धू के कंधे पर रखकर हिन्दुस्तान के खिलाफ सारे हथियार इस्तेमाल करते रहे। इसमें सबसे आश्चर्य की बात ये रही कि सिद्धू पाकिस्तानी अधिकारियों की मेहमाननवाजी से इतने फूल गए कि उन्हें भारत के लोगों की भावनाएं दिखाई नहीं दी।
सिद्धू क्या इतने नासमझ हैं कि वह इस बात को देख नहीं पा रहे कि भारत में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं और लोग पाकिस्तान को लेकर कांग्रेस पार्टी के रुख पर सवाल पूछ रहे हैं। मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि सिद्धू को क्यों अब तक अपनी इस बड़ी गलती का अहसास नहीं हुआ। गुरुवार को इंडिया टीवी ने खालिस्तान समर्थक अलगाववादी गोपाल सिंह चावला का वीडियो प्रसारित किया जिसमें वह एके-47 राइफल लेकर भारत को “ नेस्तनाबूद “ करने की धमकी दे रहा है। अब जबकि हमने अपने वीडियो में गोपाल सिंह चावला का असली चेहरा दिखा दिया है, क्या दुश्मनों की तरफदारी करने के लिए सिद्धू को माफी नहीं मांगनी चाहिए? (रजत शर्मा)
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