उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में गुरुवार सुबह बच्चों से भरी एक स्कूल वैन की पैसेंजर ट्रेन से हुई टक्कर में 13 बच्चों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री के मुताबिक, वैन का ड्राइवर मानवरहित क्रासिंग को पार करते समय ईयरफोन पर किसी से बात करने में व्यस्त था और न तो उसने ट्रेन को आते हुए देखा और न ही उसने बच्चों या आसपास के लोगों के चिल्लाने पर ध्यान दिया।
इस हादसे पर सभी नेता लोग दुख और सहानुभूति जताएंगे, अफसर इसकी जांच करेंगे, कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है और कुछ दिनों के बाद अधिकांश लोग इस हादसे को भूल जाएंगे। लेकिन उन माता-पिता के बारे में सोचकर दिल भर आता है जिनके जिगर के टुकड़े हमेशा-हमेशा के लिए उनसे जुदा हो गए। सरकार ने पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है लेकिन पैसा किसी बच्चे की जान की कीमत नहीं हो सकता। मुआवजा माता- पिता के दुख को कम नहीं कर सकता।
हम सबको मिलकर इस तरह के हादसों को रोकने के बारे में सोचना चाहिए। इस तरह के हादसे न कानून बनाने से रुकेंगे, न रेलवे क्रॉसिंग पर किसी कर्मचारी को तैनात करने से रुकेंगे। हमें यह जागरूकता पैदा करनी चाहिए कि रेलवे ट्रैक क्रॉस करते समय या वाहन चलाते समय ईयरफोन का इस्तेमाल नहीं करें।
मैं पिछले करीब 30 साल से हर रेल बजट में रेल मंत्री की तरफ से ये बात सुनता हूं कि सरकार रेलवे सुरक्षा के तहत सबसे पहले मानवरहित क्रासिंग को खत्म करेगी। हर साल इसके लिए बजट भी रखा जाता है। मुझे नहीं लगता कि ये काम इतना बड़ा है कि 30 साल में पूरा नहीं हो सके। गुरुवार को रेलवे बोर्ड चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने बताया कि देश में 3479 मानवरहित रेलवे क्रासिंग हैं। लेकिन यह आंकड़ा सिर्फ ब्रॉड गेज लाइन का है। इसी महीने सरकार ने लोकसभा में एक सवाल के जबाव में बताया था कि देश में 7000 से ज्यादा मानव रहित क्रांसिग हैं। अब पीयूष गोयल रेल मंत्री हैं और उनकी कार्यक्षमता पर मुझे कोई शक नहीं है। क्योंकि ऊर्जा मंत्री रहते हुए उन्होंने 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाने का काम करीब-करीब पूरा कर लिया। मुझे उम्मीद है कि अब वो मानवरहित रेलवे क्रासिंग पर भी युद्धस्तर से काम करेंगे और इस तरह के हादसों से निजात दिलाएंगे।
स्कूली बच्चों के अभिभावकों के लिए मेरा यही सुझाव होगा कि वे स्कूल वैन के ड्राइवरों पर पूरी नजर रखें। अधिकांश मामलों में यह देखा गया है कि ड्राइवरों के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होता है। कई बार ड्राइवर नशे में ड्राइविंग करते हैं। इसलिए स्कूल के साथ-साथ यह माता-पिता की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को जिस वैन से स्कूल भेज रहे हैं उसके बारे में पूरी जानकारी लें और कोई गड़बड़ी लगती है तो स्कूल से शिकायत करें। अगर स्कूल नहीं सुने तो पुलिस को खबर दें। अगर हम सावधान होंगे तभी इस तरह के हादसे रुक सकते हैं। (रजत शर्मा)
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