Rajat Sharma’s Blog: हम सब कुछ हफ्तों के लिए अपने घरों में बन्द रहें, महामारी तभी काबू में आएगी
याद रखें, अगर हम अपने घरों में बन्द रहें तो हम तेजी से फैलने वाले इस वायरस की चेन को तोड़ सकते हैं।
भारत में मंगलवार को 1,84,372 नए कोविड मामले सामने आए। यह एक दिन में सबसे ज्यादा था। एक दिन में सबसे ज्यादा कोरोना केस के मामले में भारत अमेरिका के बाद अब ब्राज़ील को पीछे छोड़ कर अब दुनिया में दूसरे नंबर पर आ गया है। अमेरिका में इस साल 8 जनवरी को 3.09 लाख मामले सामने आए थे। यह विश्व रिकॉर्ड है।
भारत इस समय कोरोना के कुल केस के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर हैं और एक्टिव कोविड केस के मामले में तीसरे नंबर पर है। मंगलवार को ही भारत में 1,000 से ज्यादा मरीजों को कोरोना के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी। भारत में इससे पहले एक हजार मौतों का आंकड़ा 2 अक्टूबर को सामने आया था जब कोरोना की पहली लहर पूरे उफान पर थी।
देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार को कोरोना के 13,468 मामले सामने आए। भारत के किसी भी शहर में अभी तक एक दिन में इससे ज्यादा मामले नहीं आए हैं। दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट भी बढ़कर 13.1 प्रतिशत तक पहुंच गया है और अस्पतालों के बिस्तर कोरोना के मरीजों से भरते चले जा रहे हैं। दिल्ली में वेंटिलेटर वाले कोविड बेड 90 प्रतिशत तक भर चुके हैं जबकि बिना वेंटिलेटर वाले 82 प्रतिशत कोविड बेड पर मरीज लेटे हुए हैं। LNJP, राजीव गांधी, विमहांस, होली फैमिली, मैक्स पटपड़गंज और शालीमार बाग में फिलहाल एक भी कोविड वेंटिलेटर बेड उपलब्ध नहीं है।
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार रात 8 बजे से 1 मई तक राजव्यापी कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया है। इस कर्फ्यू से सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों और छूट वाली कैटिगरी के लोगों को ही सार्वजनिक स्थानों पर आवाजाही की इजाजत दी गई है। आवश्यक वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करने वाली दुकानों को भी कर्फ्यू से छूट दी गई है। ठाकरे ने कहा, 'कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध एक बार फिर शुरू हो गया है, लेकिन इस बार हालात पिछले साल के मुकाबले बदतर हैं। इसलिए हम महाराष्ट्र में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगा रहे हैं। मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि वे इसे जनता कर्फ्यू की तरह मानें और इसका सख्ती से पालन करें।'
यह हकीकत है कि कोई भी पूरा लॉकडाउन नहीं चाहता। इससे कारोबार और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचता है, मध्यम और गरीब वर्ग के लोगों को अपनी नौकरी और दिहाड़ी मजदूरी से हाथ धोना पड़ता है। एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि अकेले महाराष्ट्र में अगर पूरा लॉकडाउन लागू हुआ तो इससे 40,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। कृषि, सर्विस, होटल, टूर एंड ट्रैवल इंडस्ट्री को जबर्दस्त नुकसान पहुंचेगा। मैन्युफैंक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 11 प्रतिशत से भी ज्यादा की गिरावट आ सकती है। भारत की कुल GDP में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत की है। यदि ये सारे उद्योग बन्द रहे, तो लाखों मजदूरों को अपनी रोज़ी-रोटी से हाथ धोना पड़ सकता है।
लॉकडाउन की आशंका के कारण मुम्बई और गुरुग्राम में हजारों प्रवासी मजदूरों ने अपना साजो-सामान समेट लिया है और वे ट्रेन एवं बसों के जरिए अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं। अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मंगलवार को हमने दिखाया था कि कैसे हरियाणा के गुरुग्राम के अलावा मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस और अन्य स्टेशनों पर हजारों प्रवासी डेरा डाले हुए हैं। भारतीय रेलवे ने अस्पतालों में बेड की भारी कमी के चलते महाराष्ट्र सरकार को 22 कोच उपलब्ध कराए हैं जिन्हें कोविड आइसोलेशन सेंटर के रूप में ढाला गया है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की बात करें तो दिल्ली के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश में नाइट कर्फ्यू लगाया गया है। इसके चलते प्रवासी मजदूरों के मन में यह आशंका घर कर गई है कि उनके कारखाने बंद हो सकते हैं, जबकि फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है। चैत्र नवरात्र के पहले दिन मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) के मां विंध्यवासिनी मंदिर के बाहर, कटरा के पास स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर एवं अन्य धार्मिक स्थलों पर भारी भीड़ देखने को मिली। हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेले के दौरान हजारों लोगों ने पवित्र स्नान किया। यह बताने की जरूरत नहीं है कि इस तरह के सामूहिक जुटान सिर्फ महामारी को अपने पांव पसारने में मदद करते हैं, जो कि पहले ही काफी तेजी से फैलती जा रही है।
उधर, अस्पतालों और श्मशानों के दृश्य दिल दहला देने वाले हैं। सूरत क्रेमेटोरियम की विशाल लोहे की चिमनियां चौबीसों घंटे इस्तेमाल होने के कारण पिघलने लगी हैं। सूरत के कब्रिस्तानों में मृतकों को दफनाने के लिए जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल कर खुदाई हो रही है । मुंबई के सायन श्मशान में शवों के अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है क्योंकि वहां लगातार दाह संस्कार चल रहा है। रांची के हरमू श्मशान में लकड़ी ढोने वाले 25 ट्रैक्टरों का इंतजाम करना पड़ा क्योंकि बिजली से चलने वाली क्रेमेटिरयम मशीन खराब हो गयी थी। इस श्मशान में पिछले 2 दिनों में 52 शवों का अंतिम संस्कार किया गया । छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बी. आर. आंबेडकर अस्पताल के मुर्दाघर में 40 कोरोना मरीजों के शव खुले में पड़े थे, क्योंकि पूरा मुर्दाघर लाशों से भरा हुआ था।
देश के बाकी राज्यों में भी हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में संक्रमण के नए मामलों की संख्या मंगलवार को 18,021 तक पहुंच गई। मुख्यमंत्री सहित उनके कार्यालय के कई बड़े नौकरशाह कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं। महाराष्ट्र में मंगलवार को सबसे ज्यादा 60,212 नए मामले सामने आए।
यहां मैं एक सुझाव देना चाहता हूं। नए मामलों की संख्या में आए उछाल पर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। यदि हम सभी स्वनियमन का पालन करें, और यह तय कर लें कि कम से कम अगले 2 सप्ताह तक अपने घरों से तब तक बाहर नहीं निकलेंगे जब तक कि यह बहुत जरूरी न हो, तो हम इस महामारी को फैलने से रोक सकते हैं।
याद रखें, अगर हम अपने घरों में बन्द रहें तो हम तेजी से फैलने वाले इस वायरस की चेन को तोड़ सकते हैं। यदि यह चेन अगले 2 या 3 हफ्ते तक टूटी रही तो कोरोना के नए मामलों में कमी आने लगेगी। यदि आपको किसी जरूरी काम के लए घर से बाहर जाना ही पड़े, तो ज़रूर मास्क पहनें। दिल्ली में 3 महीने पहले मुश्किल से 80 से 90 नए मामले सामने आ रहे थे, और अब यह 14,000 के आंकड़े की तरफ बढ़ रहा है। अगर हम सभी आत्म संयम रखें और अपने घरों में रहें, तो नए मामले निश्चित तौर पर घट कर सौ के करीब आ जाएंगे।
यदि हम आत्म संयम बरतने में सफल हुए तो हमें श्मशानों और अस्पतालों में हृदयविदारक दृश्य देखने को नहीं मिलेंगे। लाशों पर केरोसिन छिडक कर उनमें आग लगाये जाने, मुर्दाघरों के बाहर खुले में लाशों के पड़े होने, या अस्पतालों के फर्श पर लेटे, मौत से जूझते मरीजों के खौफनाक मंजर नहीं देखने होंगे। अगर हम अपने घरों में खुद को 2 हफ्तों के लिए बन्द रखें, तो सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों पर बोझ नहीं पड़ेगा। वे अपना काम आसानी से कर सकेंगे और मरीजों को मौत से बचा सकेंगे। ICU बेड सिर्फ उन्हीं मरीजों को दिया जाना चाहिए जिन्हें इसकी तत्काल ज़रूरत हो।
यदि आप चाहते हैं कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश या गुजरात में लॉकडाउन न लगे, तो आपको आत्म नियंत्रण का पालन करना होगा और अपने घरों के अंदर रहना होगा। ये वक्त का तक़ाज़ा है। इससे हम दूसरों की मदद कर सकेंगे। व्यवसाय एवं उद्योग बंद नहीं होंगे और प्रवासी मजदूरों को शहरों से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। यदि हम कोरोना वायरस की चेन को तोड़ने में सफल हो गए, तो हमारे बच्चे एक बार फिर स्कूल जा सकेंगे और इम्तहान दे सकेंगे। हालात के ठीक होते ही हम अपने त्योहारों को पूरे उत्साह के साथ मना सकेंगे।
याद रखें, महामारी उन राष्ट्रों पर असर डालने में नाकाम रही जहां इस तरह के आत्म नियंत्रण को सख्ती से लागू किया गया, भीड़ पर पाबंदी लगा दी गई, ज्यादा से ज्यदा लोगों को टीके लगाए गए, और इससे मृत्यु दर में कमी आ गई। हमारा देश विशाल है, और सभी भारतीयों को टीका लगाने में लंबा समय लगेगा। आत्मनियंत्रण वक्त की जरूरत है। यदि हम खुद को और अपने परिवार को बचाना चाहते हैं तो आत्म संयम बरतते हुए अगले कुछ हफ्तों तक घरों के अंदर रहें। इसके जल्द अच्छे नतीजे आएंगे। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 13 अप्रैल, 2021 का पूरा एपिसोड