भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की सांसद साध्वी प्रज्ञा को महात्मा गांधी के हत्यारे को देशभक्त बताने के लिए शुक्रवार को लोकसभा में दो बार माफी मांगनी पड़ी। अपने पहले माफीनामे में उन्होंने खुद को ‘आतंकवादी’ कहे जाने पर राहुल गांधी का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा, और कहा कि 'देशभक्त' वाले उनके बयान को तोड़-मरोड़कर और गलत तरीके से पेश किया गया।
जब विपक्षी सदस्यों ने पहली माफी पर आपत्ति जताई, तो स्पीकर ओम बिरला ने नेताओं की एक बैठक बुलाई जहां दूसरा माफीनामा तैयार किया गया जिसमें उन्होंने कहा, ‘मैंने नाथूराम गोडसे को देशभक्त नहीं कहा। मैंने उनका नाम भी नहीं लिया। फिर भी, अगर किसी को ठेस पहुंची है तो मैं खेद व्यक्त करती हूं और माफी मांगती हूं।’ राहुल गांधी हालांकि साध्वी प्रज्ञा, जो वर्तमान में मालेगांव विस्फोट मामले में एक अभियुक्त हैं, के बारे में अपने 'आतंकवादी' वाले बयान पर कायम रहे।
मुझे लगता है कि साध्वी प्रज्ञा ने जो भी कहा, स्थान और संदर्भ को देखते हुए वह बात गलत थी और उन्होंने बड़ी गलती की। उन्हें अपने इस बयान पर पहले ही माफी मांग लेनी चाहिए थी और इस तरह विवाद से बचा जा सकता था। अब उन्हें कोई भी विवादास्पद टिप्पणी करने से पहले सौ बार सोचना चाहिए क्योंकि इससे पार्टी के बड़े नेता बेवजह मुसीबत में फंस जाते हैं।
अब जब विवाद छिड़ गया है तो यह सवाल भी उठता है कि क्या राहुल गांधी यह स्वीकार करेंगे कि महाराष्ट्र में उनकी सहयोगी पार्टी शिवसेना नाथूराम गोडसे की प्रशंसा करती है? राहुल गांधी यह तो नहीं कह सकते कि प्रज्ञा ठाकुर गोडसे के बारे में कुछ कहें तो वह ‘आतंकवादी’ कही जाएं, और शिवसेना गोडसे के बारे में उसी तरह की बातें कहे तो उसे सत्ता में भागीदार बना लिया जाए। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 29 नवंबर 2019 का पूरा एपिसोड
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