Rajat Sharma’s Blog: अनुच्छेद 370 निरस्त करने के फैसले को पलटना मुश्किल
मोदी जनता की नब्ज सही तरह से पहचानते हैं। वे लोगों की उम्मीदों के मुताबिक कड़े फैसले लेते हैं। साथ ही वे यह भी जानते हैं कि उसका राजनीतिक इस्तेमाल कैसे, कहां और कब करना है।
महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर अपने हमले की धार को तेज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक बार फिर विपक्षी नेताओं से कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो वे अपने चुनाव घोषणापत्र में इस बात का उल्लेख करें कि यदि वे सत्ता में आए तो अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए के रद्द प्रावधानों को संविधान में फिर से बहाल करेंगे।
पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 पर जब पूरे देश की भावना इसे निरस्त करने के पक्ष में थी, उस समय कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल पड़ोसी देश की तर्ज पर बोल रहे थे। मोदी ने पूछा कि कांग्रेस पार्टी अनुच्छेद 370 के प्रति अपने प्यार के बारे में सुरक्षाबलों के उन जवानों के परिजनों को बताए जो कश्मीर में आतंक विरोधी अभियानों के दौरान शहीद हुए।
उन्होंने कहा, 'हरियाणा के बहादुर जवान कश्मीर के निर्दोष नागरिकों की हिफाजत करते हुए आतंकवादियों की गोलियों के शिकार हुए। तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर घर लाया गया। उन माताओँ से पूछिए कि धरती के कितने सपूतों को अनुच्छेद 370 के प्रति आपके प्रेम की वजह से अपनी कुर्बानियां देनी पड़ी। पूछिए कि कितनी बहनें विधवा हुईं और कितने बच्चों को अनाथ होना पड़ा।'
ये बात तो सही है कि मोदी जनता की नब्ज सही तरह से पहचानते हैं। वे लोगों की उम्मीदों के मुताबिक कड़े फैसले लेते हैं। साथ ही वे यह भी जानते हैं कि उसका राजनीतिक इस्तेमाल कैसे, कहां और कब करना है। विरोधियों को कहां घेरना है ये भी मोदी से बेहतर कोई नहीं जानता। समकालीन भारतीय नेताओं में मोदी के अलावा किसी भी राजनेता को ऐसी राजनीतिक महारत हासिल नहीं है।
मोदी जानते हैं कि राजनीतिक दलों के नेता सत्तर साल तक अनुच्छेद 370 को हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए, जो कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मुहैया कराता है। फिर स्वाभाविक रूप से वर्तमान परिस्थितियों में इतनी हिम्मत कौन करेगा जो ये कह दे कि सत्ता में आने पर वह अनुच्छेद 370 को बहाल कर देगा।
इसीलिए मैं कहता हूं कि अनुच्छेद 370 पर मोदी का फैसला ऐतिहासिक और अपरिवर्तनीय है। जम्मू और कश्मीर राज्य को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने के लिए ऐसा कठोर फैसला जरूरी था, ताकि विकास का लाभ प्रत्येक कश्मीरी तक पहुंच सके।
परिणाम पहले से ही नजर रहे हैं। पुलिस और सेना भर्ती अभियान में बड़ी संख्या में युवक-युवतियां शामिल हो रहे हैं। लड़कियों का रुख विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) की भर्ती की ओर ज्यादा है। घाटी में शांति की चाह रखने वाली कश्मीरी युवापीढ़ी ने पहली बार आशाहीनता के माहौल को तोड़ दिया है जिसे राजनीतिक दलों द्वारा तैयार किया गया था। अनुच्छेद 370 अब अतीत के दर्दनाक अवेशष के रूप में इतिहास के कूड़ेदान में है। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 14 अक्टूबर 2019 का पूरा एपिसोड