शुक्रवार को अगरतला में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब के शपथग्रहण समारोह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी नेता एलके आडवाणी और डॉ. मुरली मनोहर जोशी के बीच बैठे पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार के पास गए, उनसे हाथ मिलाया और कुशल क्षेम पूछा। इसके बाद माणिक सरकार जब समारोह स्थल से जाने लगे तब प्रधानमंत्री मोदी खुद माणिक सरकार को छोड़ने के लिए मंच की सीढ़ियों तक गए।
माणिक सरकार पच्चीस साल तक लगातार त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे। उन्हें भारत के सबसे गरीब मुख्यमंत्री के तौर पर जाना जाता है। उनपर कभी भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा और न ही कभी उनकी जीवनशैली बदली। इस साल चुनाव लड़ते वक्त उनके बैंक खाते में सिर्फ दो हजार रूपए थे और जिस दिन चुनाव परिणाम आए उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपा और सरकारी आवास खाली कर दिया। उनके पास अपना कोई मकान नहीं है इसलिए सरकार और उनकी पत्नी अब पार्टी दफ्तर के एक कमरे में रह रहे हैं।
माणिक सरकार सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और शुचिता के बेजोड़ उदाहरण हैं। सादगीपूर्ण जीवनशैली के लिए उनका सम्मान होना चाहिए। अन्य नेताओं को माणिक सरकार से सीख लेनी चाहिए जो चुनाव हारने के बाद या मंत्री की कुर्सी जाने के बाद कई साल तक सरकारी घर खाली नहीं करते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माणिक सरकार के प्रति जो सम्मान दिखाया और जिस तरह उन्हें मंच से विदा करने गए, यह हमारे लोकतन्त्र की गरिमा का एक बड़ा अच्छा उदाहरण है। (रजत शर्मा)
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