Rajat Sharma’s Blog: क्या है मोदी कैबिनेट में बड़े बदलाव के पीछे का राजनीतिक संदेश
मंत्रियों का चयन करते समय प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ जातियों का ख्याल नहीं रखा बल्कि इसके साथ-साथ योग्यता, अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन और राज्यों के राजनीतिक समीकरण को भी पूरी तवज्जो दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 36 नए मंत्रियों को शामिल करके, 7 राज्य मंत्रियों का प्रमोशन करके और रविशंकर प्रसाद, डॉ हर्षवर्धन, रमेश पोखरियाल, सदानंद गौड़ा एवं प्रकाश जावड़ेकर सहित 12 मंत्रियों को हटाकर अपनी कैबिनेट में एक बड़ा फेरबदल किया।
बुधवार की देर रात मंत्रियों के विभागों की आधिकारिक घोषणा में रेलवे, सूचना एवं प्रसारण, स्वास्थ्य, कानून, आईटी एवं संचार, कपड़ा, ग्रामीण विकास और नागरिक उड्डयन मंत्रालयों में बड़े बदलाव देखने को मिले। सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में पहली बार नया सहकारिता मंत्रालय बनाया गया। इसी तरह रासायनिक और उर्वरक मंत्रालयों को अब स्वास्थ्य के साथ जोड़ दिया गया है।
2014 में नरेंद्र मोदी के पहली बार सत्ता में आने के बाद से केंद्रीय मंत्रिपरिषद की संरचना में इतने बड़े पैमाने पर बदलाव पहली बार देखने को मिला है।
इस बड़े फेरबदल का पहला राजनीतिक संदेश है: सामाजिक समावेशिता और क्षेत्रीय संतुलन। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार त्रिपुरा जैसे छोटे से राज्य से एक महिला मंत्री को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिली। केंद्र में पहली बार 27 मंत्री अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से हैं, जिनमें से 5 कैबिनेट मंत्री हैं। 20 SC/ST मंत्रियों को शामिल किया गया है, जिनमें से 5 कैबिनेट रैंक के हैं। अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले 12 मंत्रियों में से 2 कैबिनेट रैंक के हैं, और 8 आदिवासी मंत्रियों में से 3 कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं।
कई जातियां जो पहले कभी किसी भी केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा नहीं थीं, उन्हें इस बार प्रतिनिधित्व दिया गया है। मंत्रियों का चयन करते समय मोदी ने सिर्फ जातियों का ख्याल नहीं रखा बल्कि इसके साथ-साथ योग्यता, अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन और राज्यों के राजनीतिक समीकरण को भी पूरी तवज्जो दी। संक्षेप में कहें तो अब कई जातियों, समुदायों और राज्यों को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में अपना प्रतिनिधित्यव नजर आएगा। इसके अलावा अब मोदी कैबिनेट में मंत्रियों की औसत आयु घटकर 58 वर्ष हो गई है। अब 14 मंत्री ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 साल से कम है। इसी तरह, मोदी की कैबिनेट में अब 11 महिलाओं को जगह मिली है जिनमें 2 कैबिनेट रैंक की हैं।
योग्यता और प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन की बात करें तो मोदी के मंत्रिमंडल में अब 13 वकील, 6 डॉक्टर, 5 इंजीनियर, 7 पूर्व आईएएस, 7 पीएचडी और 3 एमबीए हैं। जहां तक राजनीतिक अनुभव का सवाल है तो मोदी की कैबिनेट में 3 पूर्व मुख्यमंत्री हैं और 18 मंत्री ऐसे हैं जिनको राज्य सरकारों में काम करने का अनुभव है। वहीं, 33 ऐसे नेता हैं जो 3 बार से ज्यादा लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं।
बुधवार को शपथ लेने वाले मंत्रियों की लिस्ट देखें तो इसमें ऊंची और पिछड़ी जातियों, दलितों, आदिवासियों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों और महिलाओं के प्रतिनिधित्व का एक अच्छा कॉम्बिनेशन नजर आता है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि जातियों को प्रतिनिधित्व देने के चक्कर में सिर्फ बड़े-बड़े नामों पर विचार किया गया। जो नेता लो प्रोफाइल होकर काम कर रहे थे, उनके अनुभव को भी तवज्जो दी गई। मैं आपको एक-एक करके कुछ नाम गिनवाता हूं। डॉक्टर वीरेंद्र कुमार मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से एक दलित (जाति से खटीक) सांसद हैं। वह 2016 से 2019 तक मोदी कैबिनेट में राज्य मंत्री थे, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 7 बार लोकसभा चुनाव जीतने के बावजूद वह कभी चर्चा में नहीं रहे। बुधवार को उन्हें केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री बनाया गया।
दूसरा उदाहरण उत्तर प्रदेश के जालौन के दलित (जाति से कोएरी) सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा हैं। उन्होंने 5 बार लोकसभा चुनाव जीता, लेकिन वह भी चुपचाप काम करने वाले नेता हैं। बुधवार को उन्हें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (MSME) में राज्य मंत्री बनाया गया है।
तीसरे उदाहरण के तौर पर कौशल किशोर का नाम आता है जो उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से सांसद (जाति से पासी) हैं। उन्होंने 2 बार लोकसभा चुनाव जीता है और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। कुछ महीने पहले उन्होंने मोदी को पत्र लिखकर जिला स्तर पर अस्पतालों में कुप्रबंधन पर चिंता जाहिर की थी। लोगों को लगा कि सार्वजनिक तौर पर सरकार के काम पर सवाल उठाने वाले को मंत्रिमंडल में कैसे शामिल किया जा सकता है। कौशल किशोर को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाकर मोदी ने यह संदेश दिया है कि जो सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस रखता है उसकी राय का सम्मान होगा।
चौथा नाम राम चंद्र प्रताप सिंह का है। उन्हें आरसीपी सिंह के नाम से भी जाना जाता है और वह जाति से कुर्मी हैं। वह जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष हैं और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी विश्वासपात्र हैं। 1984 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी आरसीपी सिंह को प्रशासन और राजनीति, दोनों की सूझबूझ है। बुधवार को मोदी ने उन्हें केंद्रीय इस्पात मंत्री बनाया।
पांचवे ऐसे नेता पंकज चौधरी हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग की कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं। वह उत्तर प्रदेश की महाराजगंज से 6 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन हमेशा लो प्रोफाइल मेनटेन करके रखते हैं। गुरुवार को उन्हें वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया।
इसी तरह, बी एल वर्मा लोध जाति (जिस जाति से कल्याण सिंह और उमा भारती हैं) से ताल्लुक रखते हैं। अनुप्रिया पटेल हैं जो कि कुर्मी हैं। एस पी सिंह बघेल हैं, जो दलित धनकर जाति से हैं और भेड़-बकरी पालने वाले गडरिया समुदाय से आते हैं। बी एल वर्मा को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (DONER) और सहकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है, अनुप्रिया पटेल को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है और एस पी सिंह बघेल को कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने काफी रिसर्च और बैकग्राउंड चेक करने के बाद अपनी नई टीम का चुनाव किया है। अब उन लोगों की बात कर लेते हैं जिन्हें उनके काम का इनाम मिला है। इनमें सबसे पहला नाम है कांग्रेस नेता राहुल गांधी कोर टीम के पूर्व सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया का, जिन्होंने पिछले साल मार्च में पार्टी छोड़ दी थी। मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराने और बीजेपी की सरकार बनाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया ही सबसे बड़े कर्ताधर्ता थे। सिंधिया के वफादार विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे, और शिवराज सिंह चौहान को सत्ता में वापस लाने में मदद की थी। उन्हें केंद्र में एक कैबिनेट पोर्टफोलियो का वादा किया गया था, लेकिन बीच में कोरोना आ गया और उन्हें एक साल से ज्यादा वक्त तक इंतजार करना पड़ा। बुधवार को सिंधिया को मोदी ने नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया।
चर्चित चेहरों में दूसरा नाम नारायण राणे का है। वह पुराने शिवसैनिक हैं और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कोंकण इलाके में अच्छा प्रभाव रखने वाले राणे ने पहले कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाई, और फिर राजनीति के रुख को देखते हुए उन्होंने उसका बीजेपी में विलय कर लिया। उसके बाद से ही वह अपने मौके का इंतजार कर रहे थे। वह एक अनुभवी और चालाक राजनेता हैं जो हवा का रुख भांपने में माहिर हैं। राणे महाराष्ट्र में 6 साल तक विपक्ष के नेता भी रहे हैं। बुधवार को उन्हें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (MSME) का केंद्रीय मंत्री बनाया गया। मोदी ने महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी द्वारा पेश की जा रही राजनीतिक चुनौती का मुकाबला करने के लिए राणे के राजनीतिक कौशल का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है।
एक और पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल भी मोदी कैबिनेट का हिस्सा बने हैं। सोनोवाल आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और असम की कचारी जनजाति से आते हैं। जब राज्य में दूसरी जबरदस्त जीत के बाद बीजेपी ने हेमंत बिस्वा सरमा को असम का मुख्यमंत्री बनाया, तो सोनोवाल ने केंद्र में आने का फैसला किया। उन्हें अब केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग के साथ-साथ आयुष मंत्री बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और वहां से 7 मंत्रियों को शामिल किया गया है जबकि गुजरात के 5 मंत्रियों को केंद्र में जगह दी गई है। पुरुषोत्तम रूपाला और मनसुख मांडविया को कैबिनेट मंत्री बनाकर गुजरात के पाटीदार समुदाय को प्रतिनिधित्व दिया गया है। वहीं, गुजरात के ओबीसी समुदाय से आने वाले देवुसिंह चौहान (संचार राज्य मंत्री), दर्शना जरदोश (रेलवे और कपड़ा राज्य मंत्री) और डॉ महेन्द्रभाई मुंजपरा (आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री) को भी मंत्रालय में जगह दी गई है।
मोदी ने उन लोगों का भी ख्याल रखा है जो पिछले 7 साल से बिना कुछ मांगे पार्टी संगठन के लिए चुपचाप काम कर रहे हैं। इनमें पार्टी के सक्रिय नेता भूपेंद्र यादव का नाम भी शामिल है, जिन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह श्रम और पर्यावरण दोनों विभागों को देखेंगे।
प्रधानमंत्री ने ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी अश्विनी वैष्णव को नया रेल मंत्री बनाकर योग्यता को भी काफी महत्व दिया है। वह इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्रालय का काम भी देखेंगे। वैष्णव एक IIT इंजीनियर हैं जिन्होंने पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी से MBA किया है, और बतौर आईएएस ऑफिसर कटक और बालासोर के जिला कलेक्टर भी रह चुके हैं।
इनमें हैरान करने वाला एक नाम पश्चिम बंगाल के बनगांव से लोकसभा सांसद शांतनु ठाकुर का था। 38 वर्षीय शांतनु ठाकुर शक्तिशाली मतुआ समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जिसकी 70 विधानसभा क्षेत्रों में मौजूदगी है। बुधवार को उन्हें पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाया गया।
मोदी ने 7 राज्य मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री बनाकर उन्हें उनके काम का इनाम भी दिया है। इनमें से किरण रिजिजू को केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री बनाया गया है, आरके सिंह को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के रूप में प्रमोशन मिला है, हरदीप सिंह पुरी को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, आवास और शहरी मामलों का कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, मनसुख मांडविया स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री बने हैं, पुरुषोत्तम रूपाला को मत्स्य पालन और पशुपालन की जिम्मेदारी मिली है, जी किशन रेड्डी संस्कृति, पर्यटन और DONER मंत्री बनाए गए हैं जबकि अनुराग ठाकुर बतौर कैबिनेट मंत्री सूचना एवं प्रसारण और खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय का कामकाज देखेंगे।
अनुराग ठाकुर, किरण रिजिजू, मनसुख मांडविया और जी किशन रेड्डी ऐसे मंत्री हैं जो युवा हैं, लेकिन राज्य मंत्री के रूप में काम करते हुए उन्होंने प्रशासनिक कौशल हासिल किया है। जब मोदी और उनके शीर्ष विश्वासपात्र नए मंत्रियों की लिस्ट तैयार कर रहे थे, तो उन्होंने उन मंत्रियों को ज्यादा तवज्जो दी, जिन्होंने पिछले कई सालों में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है।
मोदी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाकर एक तरफ तो युवा पीढ़ी को खुद को साबित करने का एक बड़ा मौका दिया है, और दूसरी तरफ उन्होंने एक दूसरे स्तर के एक ऐसे मजबूत नेतृत्व को तैयार करने का फैसला किया है जो प्रशासनिक कौशल से भरपूर है। उनके मंत्रिमंडल के अधिकांश अनुभवी राजनेता अब बुजुर्ग हो चुके हैं और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ-साथ मोदी को भी इसकी जरूरत महसूस हुई है। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 07 जुलाई, 2021 का पूरा एपिसोड