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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog: कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने पर ही भारत में कंट्रोल होगी महामारी

Rajat Sharma’s Blog: कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने पर ही भारत में कंट्रोल होगी महामारी

महामारी से प्रभावित राज्यों के अधिकांश अस्पताल कोविड-19 के मरीजों से लगभग भर गए हैं और वहां नए मरीजों के लिए मुश्किल से जगह बची है। 

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Coronavirus, Rajat Sharma Blog on Coronavirus Vaccine- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

सोमवार को देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,61,736 नए मामले सामने आए, जबकि 879 लोगों की मौत हुई। भारत में इस बीमारी के चलते अपनी जान गंवाने वाले मरीजों की कुल संख्या अब 1,71,058 हो गई है, और पिछले 2 महीनों में इसमें तेज बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।

सोमवार को महाराष्ट्र में एक बार फिर सबसे ज्यादा 51,751 नए मामले सामने आए और 258 मरीजों की मौत हो गई। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और हरियाणा जैसे हिंदी भाषी राज्यों में महामारी अब तेजी से फैल रही है। बिहार में संक्रमण के नए मामलों की संख्या में 4 गुना उछाल आया है।

नए मामलों की संख्या में गिरावट का कोई संकेत नहीं है। सोमवार को कर्नाटक में 9,579 नए मामले सामने आए जिनमें अकेले बेंगलुरु से 6,387 संक्रमित मिले। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी महामारी बढ़ती जा रही है। यहां सोमवार को 11,491 नए संक्रमित मिले और 72 मरीजों की जान गई। उत्तर प्रदेश में कुल 13,685 नए मामले सामने आए। सूबे की राजधानी लखनऊ में 3,892 और प्रयागराज में 1,295 लोग वायरस से संक्रमित पाए गए।

गुजरात में संक्रमण के 6,021 नए मामले सामने आए और 55 लोगों की मौत हुई, बंगाल में 4,511 नए संक्रमित मिले, जबकि मध्य प्रदेश में 6,489, तमिलनाडु में 6,711, राजस्थान में 5,771 और आंध्र प्रदेश में 3,263 नए लोगों में वायरस का संक्रमण पाया गया। शहरों की बात करें तो मुंबई में सोमवार को 6,905 नए मामले सामने आए और 43 लोगों की मौत हुई जबकि नागपुर में 5,661 नए संक्रमित मिले और 69 मरीजों की जान चली गई। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पूरे देश में हालात चिंताजनक हैं।

महामारी से प्रभावित राज्यों के अधिकांश अस्पताल कोविड-19 के मरीजों से लगभग भर गए हैं और वहां नए मरीजों के लिए मुश्किल से जगह बची है। देश के विभिन्न राज्यों से मुर्दाघरों और श्मशानों में लाशों के ढेर लगने की खबरें सामने आ रही हैं। सोमवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने एक खबर दिखाई थी कि कैसे झारखंड के गोड्डा जिले में एक गांव के सारे लोगों ने कोविड के संक्रमण के डर से एक बुजुर्ग की लाश को कंधा देने से इनकार कर दिया था। बुजुर्ग करीलाल महतो की मौत अपने घर में हार्ट अटैक से हुई थी। उनका बेटा, जो कि कोरोना का मरीज है, अस्पताल में भर्ती है। इस बारे में खबर होने पर प्रशासन ने एक ऐम्बुलेंस भेजी और PPE किट पहने हुए सरकारी कर्मचारी शव को दाह संस्कार के लिए ले गए।

गुजरात के सूरत में परिम शाह नाम का एक युवक अपनी मां भद्रा शाह को सांस लेने में दिक्कत की शिकायत के बाद कई अस्पतालों में लेकर गया। इलाज के अभाव में बेटे की आंखों के सामने मां ने दम तोड़ दिया। इससे भी ज्यादा दिल दुखाने वाली बात ये है कि मां के शव को श्मशान तक ले जाने के लिए परिम शाह को ऐंबुलेंस तक नहीं मिली। परिम शाह को अपनी मां के शव को ठेले पर रखकर श्मशान ले जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भी अस्पताल में ऐम्बुलेंस नहीं मिल पाई।

महाराष्ट्र के धुले जिले में कोरोना के मरीज विष्णु ठाकुर की लाश को ऐम्बुलेंस उपलब्ध न होने के चलते कूड़ा ढोने वाली गाड़ी में डाल कर श्मशान ले जाना पड़ा। यह कड़वी हकीकत है कि कोरोना के डर ने सिर्फ इंसानों को नहीं मारा है, उस इंसानियत को भी मार दिया है जो हमारे देश के लोगों में सदियों से जिंदा रही है।

भोपाल, लखनऊ, नागपुर और रायपुर के श्मशानों में लाशों के ढेर लगने लगे हैं, और अपने प्रियजनों के दाह संस्कार के लिए परिजनों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। सूरत का एक पुराना श्मशान, जिसे 30 साल पहले बंद कर दिया गया था, शवों की बड़ी संख्या को देखते हुए अब फिर से तैयार किया जा रहा है। भोपाल में एक श्मशान घाट पर रोजाना औसतन 40 से ज्यादा शवों का दाह संस्कार हो रहा है।

भोपाल के विश्राम घाट श्मशान में रविवार को 49 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। इसके बावजूद कई शव श्मशान के बाहर ऐंबुलेंसों में पड़े हुए थे। श्मशान घाट के केयरटेकर को बाद में मजबूर होकर 2 सरकारी अस्पतालों से अपील करनी पड़ी कि वे अब कोई और शव न भेजें। सूरत के श्मशानों में 24 घंटे शव जलाने के बाद जगह नहीं हो रही है और अंतिम संस्कार के लिए 10 से 15 घंटे इंतजार करना पड़ रहा है।

अस्पतालों में अराजक स्थिति है। बेड उपलब्ध नहीं होने की वजह से कोरोना के मरीज कहीं फर्श पर, कहीं स्ट्रेचर पर तो कहीं कुर्सियों पर बैठे मिल रहे हैं। मुंबई के मशहूर लीलावती अस्पताल की 8वीं मंजिल पर स्थित कोविड वॉर्ड का ICU अब बढ़ते मरीजों की तादाद को संभालने में असमर्थ है। कोविड वॉर्ड मरीजों से भर चुका है और बेड खाली नहीं हैं। जगह की कमी के चलते कुछ बेड्स को लाकर अस्पताल की लॉबी में लगाना पड़ा।

अहमदनगर जिला अस्पताल में कोरोना के 2 मरीजों की जान इसलिए चली गई क्योंकि 15 मिनट तक ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो गई थी। महाराष्ट्र के चंद्रपुर में कोरोना के मरीज 40 डिग्री की गर्मी में सरकारी अस्पताल के सामने फुटपाथ पर लेटे हुए थे। जब फुटपाथ पर लेटे हुए बुजुर्ग मरीज का वीडियो वायरल हुआ, तब जाकर अस्पताल प्रशासन ने जल्दबाजी दिखाते हुए बुजुर्ग को भर्ती तो कर लिया, लेकिन वेंटिलेटर बेड की कमी की वजह से उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।

गरीब और मध्यम वर्ग के लोग सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। जब उनका टेस्ट पॉजिटिव आता है तो उनके लिए अस्पताल में बेड मिलने में मुश्किलें पेश आती हैं। अगर सभी मरीजों को अस्पतालों में बेड मिल भी जाए तो ऑक्सीजन या वेंटिलेटर मिलना मुश्किल होता है। अगर कोई महामारी के चलते दम तोड़ दे, तो लाश को मुर्दाघर से श्मशान तक ले जाने के लिए गाड़ी खोज पाना एक और मुश्किल काम है।

श्मशानों में सम्मानजनक अंतिम संस्कार की व्यवस्था करना एक और कठिन काम है। वायरस के डर के चलते इस समय कम ही लोग हैं जो जरूरतमंदों की मदद के लिए तैयार हो रहे हैं। शहरों में रहने वाले गरीब और प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के डर के साए में जी रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि यदि ऐसा हुआ तो उनकी नौकरी और कमाई का जरिया चला जाएगा। उनके लिए अपने गृहनगर या गांवों को लौटना एक और मुश्किल काम है।

जिन सीनियर डॉक्टरों से मैंने बात की है उन्होंने मुझसे कहा कि यदि लोग कोविड प्रोटोकॉल्स का सख्ती से पालन करें, मास्क पहनें, सोशल डिस्टैंसिंग बनाकर रखें और नियमित अंतराल पर अपने हाथ धोएं तो इस महामारी को 4 से 5 हफ्तों में काबू में किया जा सकता है। वायरस की चेन को तोड़ना ही होगा। जहां तक कोविड वैक्सीन का सवाल है, तो यह कहना आसान है कि सभी वयस्कों को वैक्सीन लगाई जानी चाहिए। यदि 18 से ऊपर की उम्र के सभी वयस्कों को वैक्सीन लगाई जानी हो, तो हमें लगभग 100 करोड़ भारतीयों के वैक्सीनेशन के लिए 200 करोड़ डोज की जरूरत पड़ेगी।

ऐसे में यदि भारत दुनियाभर में बनने वाली सारी वैक्सीन भी खरीद ले, तो भी कमी बनी रहेगी। अच्ती खबर यह है कि रूस की स्पुतनिक-वी वैक्सीन को भारत में आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी गई है, और इसे जल्द ही भारतीय फार्मा कंपनी द्वारा निर्मित और वितरित किया जाएगा। उम्मीद करते हैं कि आगे सब अच्छा होगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 12 अप्रैल, 2021 का पूरा एपिसोड

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