ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम समाज के उस वर्ग को चेतावनी दी है जो अयोध्या विवाद को कोर्ट से बाहर समझौते के तहत सुलझाने के पक्ष में हैं। अपने ताजा भाषण में ओवैसी ने यह कसम खाई है कि विवादित जमीन का एक इंच हिस्सा भी वह हिंदुओं को नहीं देंगे और शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड को आगाह किया है कि वह अयोध्या से बाहर मस्जिद बनाने का प्रस्ताव नहीं दे।
ओवैसी बहुत अच्छी तकरीर देते हैं। तर्क के साथ अपनी बात रखते हैं। ओवैसी मुसलमानों से जो अपील करना चाहें करें, उन्हें इसकी पूरी आजादी है। लेकिन जो बात उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में कही वो चिंता की बात है। ओवैसी ने कहा कि देखते हैं सुप्रीम कोर्ट आस्था के आधार पर फैसला करता है या संविधान के आधार पर। इसका मतलब तो यही हुआ कि अगर हिन्दुओं के पक्ष में फैसला हुआ तो ओवैसी कहेंगे आस्था के आधार पर हुआ और मुसलमानों के पक्ष में फैसला हुआ तभी मानेंगे कि फैसला संविधान के आधार पर हुआ। असल में जब दोनों पक्ष यह बात मान चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट जो फैसला देगा वह सर्वमान्य होगा। अभी फैसला आया नहीं, सुनवाई भी शुरू नहीं हुई और ओवैसी ने अपना काम शुरू कर दिया। ओवैसी ने गुजरात में भी हिन्दु-मुसलमानों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश की। मुसलमानों को आरक्षण देने का मुद्दा इसीलिए उठाया। यह स्पष्ट है कि MIM नेता ओवैसी धर्म के आधार पर भारतीय समाज का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं जो स्वीकार्य नहीं है। (रजत शर्मा)
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