Rajat Sharma Blog: विपक्ष मोदी की सुनामी को भांपने में असफल रहा
विपक्ष के नेता भी मोदी के गूढ़ मन को पढ़ नहीं पाए और चुनाव के दौरान ये नहीं भांप पाए कि किस तरफ उन्हें जाना चाहिए।
जब भी कोई बड़ा तूफान आता है तो आमतौर पर लोगों को इसका पता कुछ दिनों पहले चल जाता है। लेकिन सुनामी के मामले में बात इसके उलट हो जाती है। सुनामी तब आती है जब समुद्र के गहरे तल में उच्च तीव्रता का भूकंप आता है और समुद्री किनारों पर पानी का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है, जो अचानक से एक बड़ी सुनामी का रूप ले लेता है और इससे पहले कि लोग खुद को बचाने के लिए कुछ कर पाएं, वहां से भाग पाएं, सबकुछ बर्बाद कर देता है।
इस बार का लोकसभा चुनाव, 2014 के चुनाव से कुछ अलग था। पिछली बार 2014 में मोदी की लहर दिख रही थी। लेकिन इस बार जनता खामोश रही, जनता के बीच मोदी की सुनामी थी। उत्तर में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, एमपी और दिल्ली से लेकर पूरब में बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, पश्चिम और दक्षिण में महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में मतदाताओं के बीच मोदी का जबर्दस्त अंडर करंट था।
इस बार पूरा चुनाव प्रचार मोदी, उनकी छवि, उनके नाम और काम के इर्द-गिर्द केंद्रित रहा। मोदी लाखों मतदाताओं के दिलों पर राज कर रहे थे। मोदी सरकार की ऐतिहासिक योजनाएं जैसे-शौचालय, गरीबों के लिए घर और एलपीजी सिलेंडर, निम्न-मध्यम वर्ग के कारोबारियों के लिए लोन, का जबर्दस्त असर हुआ। इसलिए मोदी घर-घऱ तक पहुंच चुके थे। अगर हम ये मान लें कि 12 करोड़ निम्न-मध्यमवर्गीय परिवारों को इन योजनाओं का लाभ मिला, तो इसने मोदी के लिए मतदाताओं का एक बड़ा आधार तैयार किया।
जहां तक नौजवानों का सवाल है तो फर्स्ट टाइम वोटर वो लोग हैं जो इंटरनेट के जरिए बाहर की दुनिया से जुड़े रहते हैं। नरेंद्र मोदी जैसे टैकसेवी (तकनीकी प्रेमी) प्रधानमंत्री जानते हैं कि इंटरनेट से जुड़ने वालों की रुचि क्या है और उन लोगों तक अपनी बात कैसे पंहुचाई जाए। मोदी जानते हैं कि युवा मतदाताओं की रुचि पबजी (PUBG) में भी है और एंवैजर्स में भी, इसलिए उन्होंने अपने भाषण में इसका जिक्र भी किया।
साथ ही, राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव और ममता बनर्जी जैसे वरिष्ठ विपक्षी नेताओं ने मोदी पर जिस तरह टिप्पणी की इसका बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ा। मतदाता चुप रहे और इन नेताओं को मोदी के शौचालय निर्माण का मजाक उड़ाने और 'चौकीदार चोर है' कहने का सबक सिखाया।
प्रधानमंत्री मोदी के दिमाग में क्या चल रहा है यह भांप पाने में विपक्ष के नेता नाकाम रहे, ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान की सेना भारत के एयर स्ट्राइक को भांप पाने में नाकाम रही थी। जब चुनाव के दौरान मैंने नरेन्द्र मोदी का इंटरव्यू किया था तो उन्होंने बताया कि कैसे पाकिस्तानी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की आशंका के चलते अपनी सीमा पर टैंक और मिसाइल तैनात कर रखा था लेकिन हमारे एयर फोर्स के पायलट बजरंगबली की तरह उड़ते हुए गए और पाकिस्तान के अंदर बालाकोट में आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया। ठीक इसी तरह विपक्ष के नेता भी मोदी के गूढ़ मन को पढ़ नहीं पाए और चुनाव के दौरान ये नहीं भांप पाए कि किस तरफ उन्हें जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और मायावती जैसे नेताओं ने मोदी का मुकाबला करने के लिए 25 साल पुरानी दुश्मनी को भूलकर हाथ मिला लिया। इसी तरह कर्नाटक में कांग्रेस और जेडी (एस) ने यह सोचकर हाथ मिलाया कि गठबंधन के बाद उन्हें जीत से कोई नहीं रोक सकता। अमित शाह ने एक इंटरव्यू में मुझे कहा था कि उत्तर प्रदेश में आठ करोड़ लोगों को मोदी सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ मिला। इसका नतीजा ये हुआ कि बीजेपी के पक्ष में सात परसेंट वोट बढ़ा है। कर्नाटक में कांग्रेस और जेडी (एस) का पूरी तरह से सफाया हो गया और उनकी सीटों का आंकड़ा दो तक सिमट कर रह गया। (रजत शर्मा)
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