Rajat Sharma Blog: आतंकियों के खिलाफ पुख्ता कार्रवाई न होने तक पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं
इतिहास गवाह है कि कैसे पाकिस्तान आतंकवादियों को ट्रेनिंग देता रहता है और उन्हें भारतीय जमीन पर तबाही मचाने के लिए भेजता रहता है। इसके बाद हमेशा अमन और बातचीत की पेशकश करता रहता है।
पिछले तीन दिनों में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के इलाके में घुसकर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक बड़े शिविर को ध्वस्त किया, कश्मीर में हमारे ब्रिगेड मुख्यालय पर पाकिस्तानी वायुसेना के जेट विमानों के हमलों को नाकाम किया और उन्हें भागने पर मजबूर किया है। भारत ने इसके बाद पाकिस्तान पर जबरदस्त अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया और उसे हमारी वायुसेना के पायलट अभिनंदन को छोड़ने के लिए मजबूर किया।
भारतीय सेना ने पाकिस्तान के झूठ का भी पर्दाफाश किया और दुनिया को दिखाया कि कैसे उसने भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले के लिए F-16 विमानों का इस्तेमाल किया और ऐसा करके अमेरिका को दिए गए इस वादे को तोड़ा कि वह F-16 विमानों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं करेगा।
अब जो सवाल पूछा जा रहा है वह यह है कि क्या भारत को पाकिस्तान के शांति प्रस्ताव को स्वीकार कर लेना चाहिए और बातचीत शुरू करनी चाहिए। इस मुद्दे पर मेरा दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट है। भारत तभी बातचीत शुरू कर सकता है जब पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकी संगठनों के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करे और 26/11, पठानकोट, उरी एवं पुलवामा हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और मसूद अजहर को भारत को सौंप दे। इसके बाद ही दोनों देश बातचीत के किसी भी फलदायी दौर की शुरुआत कर सकते हैं, वर्ना हालात जस के तस रहेंगे।
इतिहास गवाह है कि कैसे पाकिस्तान आतंकवादियों को ट्रेनिंग देता रहता है और उन्हें भारतीय जमीन पर तबाही मचाने के लिए भेजता रहता है। इसके बाद हमेशा अमन और बातचीत की पेशकश करता रहता है। उसके डायलॉग हमेशा वही रहते हैं, सिर्फ उसे बोलने वाले लोग बदल जाते हैं। ऐसे डायलॉग बोलने वाले कभी नवाज शरीफ होते थे, तो कभी परवेज मुशर्रफ और अब इमरान खान ।
हम 2006 के मुम्बई ट्रेन विस्फोटों को कैसे भूल सकते हैं जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोगों की जानें गयी ? हम कैसे भूल सकते हैं कि उन्होंने 2013 में LoC पर तैनात हमारे सैनिकों के सिर काटकर भेज दिए थे? हम उन आतंकवादियों और उनके सरगनाओं को कैसे माफ कर सकते हैं जिन्होंने 26/11 के हमलों के दौरान मुंबई में तबाही मचाई थी? उरी में हुए आतंकी हमलों को हम कैसे भूल सकते हैं? पठानकोट के हमले को कैसे भुला सकते हैं? और, हाल के पुलवामा हमले को कैसे भूल सकते हैं जिसमें पाकिस्तान में प्रशिक्षित एक उन्मादी आत्मघाती आतंकी के हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए ?
पाकिस्तान ने हर मौके पर तबाही मचाने और खून-खराबा करने के बाद शांति की पेशकश की है। इमरान खान की बातों पर भारत कैसे भरोसा कर सकता है? हर बार एक ही तरह का नाटक खेला गया। इस बार फर्क सिर्फ इतना है कि इमरान खान का पाला अब नरेंद्र मोदी जैसे नेता से पड़ा हैं। मुझे साफ तौर पर याद है कि 'आप की अदालत' में मोदी ने कैसे कहा था कि हमें पाकिस्तान को ‘लव लेटर’ लिखना बंद कर देना चाहिए, और ‘हमें पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए’। 2017 में सर्जिकल स्ट्राइक और इस हफ्ते बालाकोट में हुए हवाई हमले के साथ मोदी ने पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अब टीवी और टेलीफ़ोन के जरिए मोदी को शांति की पेशकश कर रहे हैं, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री का इरादा बहुत साफ है। मोदी का दृढ़ मत है कि यदि पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवाद की ट्रेनिंग देने वाले कैंपों को खत्म नहीं करता है, तो भारत उसके घर में घुसकर आतंकवादियों और उनके उस्तादों को खत्म कर देगा। भारत, पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकी कैंपों को बर्बाद कर देगा।
गेंद अब इमरान खान के पाले में है। अब यह इमरान खान को तय करना होगा, वह अपना नया पाकिस्तान कब और कैसे बनाएंगे। (रजत शर्मा)
देखें, आज की बात रजत शर्मा के साथ, 28 फरवरी 2019 का पूरा एपिसोड