हीरा व्यापारी नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक से फर्जी लेनदेन के जरिए 11,400 करोड़ की ठगी कर अपने परिवार के साथ भारत से भाग गया। देश के जो लोग जनता के पैसे की इस लूट से दुखी हैं उन्हें पीएनबी की समृद्ध विरासत के बारे में भी जान लेना चाहिए। पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना अपने समय के जानेमाने समाजसेवी, रियल इस्टेट और हीरा कारोबारी सरदार दयाल सिंह ने की थी। दयाल सिंह मजीठिया ने लाला लाजपत राय और 'स्वदेशी' अर्थव्यवस्था के पक्षधर अन्य भारतीय व्यापारियों के साथ मिलकर 1894 में पीएनबी की स्थापना लाहौर में की, जो कि अविभाजित भारत का हिस्सा था। लाला लाजपत राय पहले शख्स थे जिन्होंने सबसे पहले इस बैंक में अपना खाता खुलवाया था। इसके तुरंत बाद हजारों भारतीयों ने इस बैंक में अपना खाता खुलवाया इनमें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और गोविंद बल्लभ पंत प्रमुख थे।
उन दिनों लोगों में राष्ट्रवाद, स्वराज्य और स्वदेशप्रेम की भावना प्रबल थी और ऐसे भारतीय बैंक में खाता खुलवाना सम्मान की बात हुआ करती थी। पीएनबी ऐसा बैंक था, जिसका पूर्ण स्वामित्व भारतीयों के पास था और इसे भारतीय चला रहे थे। और आज हमलोगों को यह दिन देखना पड़ रहा है कि इसी बैंक को लूटकर एक हिन्दुस्तानी विदेश भाग गया। जैसे ही घोटाले का खुलासा हुआ, पीएनबी के करीब 18 हजार कर्मचारियों और अधिकारियों के ट्रांसफर का आदेश जारी कर दिया गया। बैंक कर्मचारियों के राष्ट्रीय संगठन ने बड़े पैमाने पर हुए इस ट्रांसफर पर चिंता जताई है। एक ब्रांच में तीन से पांच साल पूरा करनेवाले कर्मचारियों और अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया है।
यह बात सही है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आदेश पर अचानक इतने बड़े पैमाने पर ट्रांसफर होने से प्रभावित कर्मचारियों और उनके परिजनों को दिक्कतों का सामना करना पड सकता है। लेकिन पंजाब नेशनल बैंक में जो घोटाला हुआ है वो छोटा नहीं है, इसलिए इस तरह के कदम उठाने की जरूरत भी है। इस घोटाले का पता पहले चल सकता था अगर मुंबई ब्रांच के डिप्टी मैनेजर का ट्रांसफर समय पर हो गया होता। मुझे उम्मीद है कि बैंक के कर्मचारी और अधिकारी इस कठिन परिस्थति का सामना करने में सक्षम होंगे और एकजुट होकर बैंक को एकबार फिर से मजबूत वित्तीय स्थिति में ले आएंगे। (रजत शर्मा)
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