Rajat Sharma’s Blog: सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए नए आईटी नियम एक स्वागत योग्य कदम है
सोशल और डिजिटल मीडिया के लिए आज तक कोई नियम नहीं थे, लेकिन अब उन्हें नियमों का पालन करना होगा और आदेशों के हिसाब से चलना होगा।
भारत सरकार ने गुरुवार को फेसबुक, वॉट्सऐप, ट्विटर, गूगल और यूट्यूब जैसी बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों एवं नेटफ्लिक्स, डिज्नी हॉटस्टार एवं अन्य डिजिटल ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए आईटी रूल्स की घोषणा की है। इसमें सेल्फ रेग्युलेशन पर भी विशेष बल दिया गया है, और केंद्र सरकार द्वारा एक निरीक्षण तंत्र विकसित करने की बात भी कही गई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर न्यूज, व्यूज, एंटरटेनमेंट और अन्य तमाम तरह के कंटेंट की बाढ़ आने के बाद सरकार ने पहली बार यह क्रांतिकारी और स्वागत योग्य कदम उठाया है।
इन नियमों के तहत कोई भी समाचार, सिनेमा या लेखों के माध्यम से अपने विचार जाहिर करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन उन लोगों के लिए एक बड़ी ‘लक्ष्मण रेखा’ खींच दी गई है जो सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने का काम करते हैं। सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने वाले, किसी को बदनाम करने वाले, नफरत फैलाने वाले, देश-विरोधी सामग्री का प्रसार करने वाले, अश्लीलता का प्रसार करने वाले और संवैधानिक संस्थाओं की छवि धूमिल करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी। सोशल मीडिया के अंतर्मध्यस्थों को गैरकानूनी सामग्री की शुरुआत करने वाले ‘प्रथम व्यक्ति’ की पहचान का खुलासा करना होगा और 72 घंटे के अंदर उसपर कार्रवाई करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह निर्देश दिया था कि वह सोशल मीडिया के अंतर्मध्यस्थों द्वारा भारतीय कानूनों और संविधान का पालन सुनिश्चित करने के लिए व्यापक नियम बनाए। आईटी के नए नियमों के आने के बाद सोशल मीडिया अंतर्मध्यस्थ जनता से प्राप्त होने वाली शिकायतों को देखने के लिए अनुपालन और शिकायत अधिकारी की नियुक्ति के लिए बाध्य होंगे। गूगल, फेसबुक, ट्विटर एवं सोशल मीडिया के अन्य दिग्गज अब गैराकानूनी और भड़काऊ कंटेंट के स्रोत की जानकारी तक जांच एजेंसियों की पहुंच को 72 घंटे से ज्यादा समय तक नहीं रोक सकते। अंतर्मध्यस्थों को नग्नता, अश्लील हरकत और तस्वीरों से छेड़छाड़ जैसी सामग्री को शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर हटाना होगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अब किसी भी गैरकानूनी सामग्री को अदालत के आदेश के जरिए या सरकार या उसकी एजेंसी द्वारा अधिसूचित किए जाने के 36 घंटे के भीतर हटाना होगा।
नए आईटी नियमों के तहत अंतर्मध्यस्थों को एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा जिसे कोई भी शिकायत 24 घंटे के अंदर स्वीकार करनी होगी और 15 दिनों के अंदर उसका निवारण करना होगा। उन्हें मुख्य अनुपालन अधिकारी और नोडल संपर्क व्यक्ति की भी नियुक्ति करनी होगी।
नए नियमों के तहत ऐसी सामग्रियों को आपत्तिजनक कहा गया है जो भारत की सुरक्षा या संप्रभुता को खतरे में डालती हैं, पब्लिक ऑर्डर को डिस्टर्ब करती हैं, अपमानजनक हैं, यौन सामग्री या बाल यौन शोषण सामग्री से संबंधित हैं, दूसरे की गोपनीयता के लिए हानिकारक हैं, नाबालिगों के लिए हानिकारक हैं, किसी भी पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट या अन्य मालिकाना अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।
जहां तक एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का सवाल है, नए आईटी नियमों के तहत नेटफ्लिक्स, डिज़्नी हॉटस्टार और अमेजन प्राइम जैसे प्लैटफार्मों को अपनी सामग्री के लिए आयु-संबंधित वर्गीकरण प्रदान करना होगा। कंटेंट को 5 श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा- सबके लिए यू (यूनिवर्सल), 7 साल और उससे ऊपर के आयु वर्ग के लिए यू/ए 7+, 13 साल और उससे ऊपर के आयु वर्ग के लिए यू/ए 13+, 16 साल और उससे ऊपर के आयु वर्ग के लिए यू/ए 16+, और वयस्कों के लिए (ए)। सामग्री का वर्गीकरण विषयवस्तु और संदेश, हिंसा, नग्नता, लिंग, भाषा, नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन और आतंक के आधार पर भी किया जाएगा।
न्यूज और करेंट अफेयर्स से जुड़ी सामग्री के प्रकाशकों के लिए एक आचार संहिता तैयार की जाएगी और ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट के प्रकाशकों को नियमों के प्रकाशन के 30 दिनों के अंदर या भारत में ऑपरेशन शुरू करने के 30 दिनों के अंदर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को अपने बारे में विवरण देना होगा। प्रकाशकों को सामग्री के खिलाफ शिकायतें प्राप्त करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना होगा, 24 घंटे के भीतर शिकायतकर्ता को शिकायत की पावती भेजना होगा और 15 दिनों के भीतर शिकायतों पर फैसला लेना होगा। प्रकाशक मासिक अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करेंगे, जिसमें प्राप्त शिकायतों और कार्रवाई का विवरण होगा।
भारत में काम करने वाले प्रकाशकों को एक त्रि-स्तरीय स्व-विनियमन तंत्र स्थापित करना होगा (1) प्रकाशकों द्वारा स्व-विनियमन (2) प्रकाशकों की स्व-विनियमित संस्थाओं का स्व-विनियमन और (3) केंद्र द्वारा स्थापित किया जाने वाला निगरानी तंत्र। संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी की अध्यक्षता वाली एक अंतर-विभागीय समिति (IDC) शिकायतों की जांच करेगी। IDC अंतर्मध्यस्थ के प्रकाशक को चेतावनी देने या सेंसर करने, माफी मांगने या वॉर्निंग कार्ड या डिस्क्लेमर लगाने के लिए मंत्रालय से सिफारिश कर सकता है। आईडीसी द्वारा सिफारिशों के आधार पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
मैंने नए आईटी नियमों का पूरा विवरण दिया है ताकि पाठकों और दर्शकों को सारी बातें साफ हो सकें। सोशल और डिजिटल मीडिया के लिए आज तक कोई नियम नहीं थे, लेकिन अब से उन्हें नियमों का पालन करना होगा और आदेशों के हिसाब से चलना होगा।
अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या नए आईटी नियम सोशल मीडिया पर पाबंदी लगा देंगे और बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लग जाएगा। क्या सरकार की आलोचना करने पर पाबंदी लग जाएगी? मैं यह साफ करना चाहता हूं कि यह कोई नया कानून नहीं है। यह उस सोशल मीडिया को निर्देशित करने और विनियमित करने के लिए बनाए गए नियमों का एक समूह है, जहां झूठ, अफवाह, आधारहीन समाचार, दुर्व्यवहार, भड़काऊ टिप्पणियों, अश्लीलता, नग्नता और धमकियों की बाढ़ आई हुई है।
सोशल और डिजिटल मीडिया की न्यूज टेलिविजन इंडस्ट्री से तुलना करें तो भारत में न्यूज चैनलों को आचार संहिता का पालन करना पड़ता है जो लाइसेंस अग्रीमेंट का हिस्सा है। इसके अलावा न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) ने एक सेल्फ रेग्युलेटरी मैकेनिज्म स्थापित किया है। नेशनल ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (NBSA) की स्थापना की गई है, जिसकी अध्यक्षता वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अर्जुन सीकरी कर रहे हैं। NBSA आम जनता से प्राप्त होने वाली सभी शिकायतों को देखती है, और यदि रूल्स एवं रेग्युलेशंस का उल्लंघन पाया जाता है तो न्यूज चैनलों को सेंसर किया जाता है या उनपर जुर्माना लगाया जाता है। एनबीएसए एक स्व-नियामक निकाय है जिसमें जस्टिस सीकरी और अन्य प्रतिष्ठित नागरिक शामिल हैं। इसमें गड़बड़ सिर्फ इतनी है कि कई न्यूज चैनल एनबीए के सदस्य नहीं हैं, और इसलिए वे आचार संहिता का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं। अच्छी बात ये है कि ज्यादातर बड़े न्यूज चैनल NBA के मेंबर हैं और गाइडलाइंस का पालन करते हैं। इसी तरह अखबारों के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया है, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज करते हैं। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया उन अखबारों को सेंसर करता है/चेतावनी देता है/सजा देता है जो प्रकाशकों के लिए तय की गई आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं।
सोशल मीडिया की बात करें तो यूट्यूब पर कई तथाकथित 'न्यूज चैनल' हैं, और ऐसे कई डिजिटल न्यूज पोर्टल हैं जो किसी भी प्राधिकरण के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। आम जनता के लिए ऐसा कोई मंच नहीं है, जहां वह कोई शिकायत दर्ज करा सके। नए आईटी नियमों के तहत अब स्व-विनियमन और सरकार के 'निगरानी तंत्र' को पेश किया गया है।
जो लोग बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के बारे में सवाल उठा सकते हैं, उन्हें समझना चाहिए कि सोशल मीडिया अब तक शरारती तत्वों के लिए एक खुला मैदान था जो लोगों को तस्वीरों, वीडियो और टेक्स्ट के माध्यम से गाली देते थे, धमकाते थे और यहां तक कि देशद्रोही गतिविधियों तक में शामिल हो जाते थे। आम जनता की भी बात करें तो मान लीजिए कि कोई पुरूष और महिला अपनी रिलेशनशिप खत्म करते हैं और बाद में अपनी पूर्व प्रेमिका को परेशान करने के लिए वह शख्स उसकी अश्लील तस्वीरें पोस्ट कर देता है। ऐसा होने पर मिला और उसके परिवार को यहां-वहां भागना पड़ता था, क्योंकि सोशल मीडिया के अंतर्मध्यस्थों ने कभी इस तरह की शिकायतों पर संज्ञान नहीं लिया। नए आईटी नियम इस पर रोक लगा देंगे।
अब यदि कोई महिला या उसके परिवार के सदस्य अपनी शिकायत पोस्ट करते हैं, तो ऐसी सामग्री को अब सोशल मीडिया के अंतर्मध्यस्थों द्वारा 72 घंटों के भीतर हटाना पड़ेगा।
गुरुवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मैंने नए आईटी नियमों के लेकर आईटी एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का इंटरव्यू लिया था। उन्होंने एक बात जोर देकर कही: नई गाइडलाइन्स से अभिव्यक्ति की आजादी पर कोई आंच नहीं आएगी, सरकार की आलोचना करना या नीतियों का विरोध करना कोई जुर्म नहीं होगा, लेकिन झूठ और अफवाहें फैलाने वालों को पकड़ा जाएगा। अब तक बेबुनियाद खबरों और झूठ फैलाने वाले ‘प्रथम स्रोत’ की पहचान करना काफी मुश्किल था। फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप जैसे IT दिग्गज उस ‘प्रथम स्रोत’ की जानकारी साझा करने को तैयार नहीं होते थे। नए आईटी नियमों के लागू होने के साथ ही अब उन्हें शरारती तत्व की पहचान करनी होगी ताकि सुरक्षा एजेंसियां आपत्तिजनक सामग्री फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकें। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 25 फरवरी, 2021 का पूरा एपिसोड