उत्तर प्रदेश सरकार उन 2,682 मदरसों की मान्यता रद्द कर सकती है जो कई रिमांइडर भेजे जाने के बाद भी अभी तक ऑफिसियल मदरसा पोर्टल पर अपना ब्यौरा अपलोड करने में नाकाम रहे हैं। राज्य सरकार ने इस साल के अगस्त महीने में यूपी मदरसा बोर्ड पोर्टल लॉन्च किया था और सभी मदरसों से शिक्षक, स्टाफ और छात्रों के साथ-साथ इमारत और कक्षा की माप, फोटोग्राफ समेत उपलब्ध कराने को कहा था। उत्तर प्रदेश में करीब 16 हजार मदरसे हैं जिनमें से 560 पूरी तरह से अनुदान पर आधारित हैं। मदरसे गरीब मुस्लिम बच्चों के लिए प्राइमरी एजुकेशन का काम करते हैं। लेकिन यह बात भी सही है कि मदरसों में तालीम देने का तरीका सैकड़ों साल पुराना है। मदरसे वक्त के साथ नहीं बदले इसलिए जरूरत इस बात की है कि मदरसों को मॉर्डनाइज किया जाए। मुझे याद है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में हमारे शो 'आप की अदालत' में कहा था कि वह चाहते हैं कि मुस्लिम युवाओं के एक हाथ में कुरान तो दूसरे हाथ में कंप्यूटर हो। मदरसों में कुरान के साथ-साथ कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाए। लेकिन यह तभी होगा जब सरकार को पता हो कि उसे कितने और क्या-क्या इंतजाम करने हैं। इसलिए मदरसों को सरकारी बेवसाइट पर अपनी डिटेल डालनी चाहिए। अगर कुछ मदरसों को सरकार के फैसले की जानकारी नहीं थी तो उन्हें थोड़ा वक्त और दिया जाना चाहिए। हालांकि सरकार पहले ही दो बार इसकी डेडलाइन बढ़ा चुकी है। (रजत शर्मा)
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