गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान तीन रैलियों को संबोधित किया और अपने भाषण में उन्होंने कांग्रेस और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर हमला तेज कर दिया। कर्नाटक में अबतक के ओपिनियन पोल में त्रिशंकु विधानसभा के आसार नजर आ रहे थे, लेकिन ये ओपिनियन पोल नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान से पहले कराए गए थे। कर्नाटक के बीजेपी नेताओं को विश्वास है कि मोदी का यह तूफानी प्रचार अभियान पूरे परिदृश्य को बदल सकता है।
पिछले दो दिनों में नरेंद्र मोदी की रैलियों में उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए पार्टी ने अब पूर्व निर्धारित 15 जनसभा के कार्यक्रम में बदलाव करते हुए प्रधानमंत्री की 21 जनसभा कराने का फैसला लिया है। पीएम मोदी की रैलियों ने कर्नाटक में बीजेपी के नेताओँ में नई ऊर्जा का संचार कर दिया है। इन रैलियों के बाद बीजेपी के नेता भी जोश में हैं। बीजेपी के अधिकांश नेताओं ने यह दावा किया है कि पीएम मोदी ने अपनी रैलियों से दो दिनों में हवा का रुख बदल दिया है। उन्हें उम्मीद है कि 12 मई आते-आते कर्नाटक का माहौल पूरी तरह बदल जाएगा और जब मतदाता मतदान केंद्र पर जाएंगे तो उनका बड़ा रुझान बीजेपी के पक्ष में होगा।
जहां तक कांग्रेस खेमे की बात है तो इसमें कोई शक नहीं कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव प्रचार में काफी मेहनत कर रहे हैं। कर्नाटक में उन्होंने भाषण का स्टाइल भी बदला है। वे मंदिरों और मस्जिदों में भी जा रहे हैं लेकिन जो लोग उनका भाषण तैयार करते हैं उन्हें थोड़ा सोचना होगा। अगर हम उनके भाषण का एक उदाहरण लें तो जहां एक तरफ राहुल गांधी ने बार-बार ये कहा कि वे प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत हमले नहीं करेंगे क्योंकि वे हमारे प्रधानमंत्री हैं। लेकिन अगली ही लाइन में उन्होंने मोदी की तुलना गब्बर सिंह से कर दी। तो क्या ये पर्सनल अटैक है या नहीं? राहुल के सलाहकारों को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। (रजत शर्मा)
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