सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सड़कों पर गड्ढों के कारण होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या पर गंभीर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि यह ‘अस्वीकार्य’ एवं ‘डरावना’ है, और सरकार को इस समस्या ने निपटने के लिए योजना बनानी चाहिए। गड्ढों की वजह से प्रतिदिन औसतन 10 लोगों की जान जाती है। सिर्फ 2017 में ही गड्ढों के चलते हुई सड़क दुर्घटनाओं में 3,597 लोगों की मौत हुई है। यदि 2016 में हुई मौतों से तुलना करें तो यह संख्या 50 फीसदी ज्यादा है।
सड़क सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई एक कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में 2013 से 2017 के दौरान गड्ढों की वजह से हुई सड़क दुर्घटनाओं में 14,926 व्यक्तियों की जान गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नगर निगम, राज्यों के सड़क विभाग या भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण या अन्य संस्थान सड़कों का ठीक से रखरखाव नहीं कर रहे हैं जिसके चलते गड्ढों से मौतें हो रही हैं। साथ ही पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में पीड़ितों के परिजनों को कोई भी मुआवजा नहीं दिया गया, और न ही सड़कों के खराब रखरखाव के लिए जिम्मेदार संस्थानों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की गई।
सड़कों पर गड्ढे सिर्फ प्राकृतिक कारणों जैसे कि बारिश, बाढ़ या अन्य आपदाओं के चलते ही नहीं बनते हैं। ज्यादातर मामलों में सड़कों को बिजली के तार डालने के लिए, या फिर सीवर के लिए खोद दिया जाता है और इसे बिना भरे यूं ही छोड़ दिया जाता है। कई मामलों में तो खराब गुणवत्ता के चलते मॉनसून के तुरंत बाद ही सड़कों पर गड्ढे नजर आने लगते हैं। ठेकेदार की बेईमानी और ऐसे कामों की निगरानी के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों की लापरवाही के चलते भी सड़कों की बुरी हालत होती है।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को तेज गति से अच्छी सड़कें बनाने के लिए जाना जाता है, और हम यह उम्मीद करते हैं कि वह इस समस्या से युद्धस्तर पर निपटने के लिए कोई अच्छी योजना बनाएंगे। (रजत शर्मा)
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