वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दायर मानहानि के दो मामलों को दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को खत्म कर दिया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने अरुण जेटली के खिलाफ भ्रष्टाचार के निराधार और गलत आरोप लगाए थे । केजरीवाल और उनके साथियों ने जेटली और उनके परिवार से कोर्ट में बिना शर्त माफी मांग ली जिसके बाद कोर्ट में इस मामले का निपटारा हो गया। केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (डी.डी.सी.ए.) में 13 साल के कार्यकाल के दौरान जेटली ने भ्रष्टाचार किया था।
इसके साथ ही दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट ने जेटली से केजरीवाल के माफीनामे को मंजूर कर लिया और मानहानि के फौजदारी मुकदमे का निपटारा कर दिया। मैं आपको बता दूं कि अरुण जेटली ने मानहानि का जो केस केजरीवाल के खिलाफ फाइल किया था उसमें मैं अरुण जेटली के समर्थन में गवाह नंबर वन था। मैं पूरी तरह आश्वस्त था कि केजरीवाल और उनके साथियों ने अरुण जेटली पर जो इल्जाम लगाए वे झूठे और बेबुनियाद थे। उन आरोपों से अरुण जेटली की बदनामी हुई।
मैं अरुण जेटली को पिछले 44 साल से जानता हूं। उनके बारे में यह कहना कि उन्होंने DDCA में हेराफेरी की, उनके प्रति बहुत बड़ा अन्याय था। इसीलिए मैंने कोर्ट में जाकर गवाही दी और आलोचना की परवाह नहीं की। क्योंकि मुझे हमेशा ये लगता था कि अगर मैं एक ईमानदार व्यक्ति के लिए खड़ा नहीं हुआ तो अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।
आज मुझे इस बात का संतोष है कि आखिरकार मेरी बात सही साबित हुई। केजरीवाल ने अरुण जेटली से बार-बार माफी मांगी...और अच्छी तरह से माफी मांगी। कोर्ट ने भी इस बात को स्वीकार किया कि अरुण जेटली पर लगाए गए इल्जाम बिल्कुल झूठे और बिना किसी सबूत के थे। ये आरोप बेबुनियाद थे। यह केस राजनीति में ईमानदारी से काम करने वालों को और हिम्मत देगा साथ ही झूठ बोलने वालों के लिए चेतावनी साबित होगा। (रजत शर्मा)
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