Rajat Sharma's Blog: ज्योतिरादित्य के जाने से अब कांग्रेस के सामने नई मुसीबतें खड़ी होंगी
अब जब कमलनाथ अपनी सरकार को बचाने के प्रयास में व्यस्त हैं, मैं केवल इतना कहना चाहूंगा, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में आम कांग्रेस कार्यकर्ता बेचैनी महसूस कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में जो कुछ हो रहा है, उसकी उम्मीद कांग्रेस के किसी कार्यकर्ता ने नहीं की होगी।
पूरे दिन कांग्रेस के नेतृत्व को लटका कर रखने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना त्यागपत्र यह कहते हुए भेजा कि "अब मेरे लिए अलग रास्ता चुनने का समय है"। अपने पत्र में, सिंधिया ने कहा, "पिछले एक साल से इसी रास्ते के लिए माहौल बन रहा था"।
प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के तुरंत बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपना त्यागपत्र भेज दिया और बुधवार दोपहर को वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। जवाब में कांग्रेस ने अपनी साख बचाने के लिए सिंधिया को 'पार्टी विरोधी गतिविधियों' के आरोप में निष्कासित कर दिया। मध्य प्रदेश राजभवन के सूत्रों के मुताबिक, अब तक 21 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से अपने त्यागपत्र भेज दिए हैं। ऐसी भी खबरें हैं कि 5-6 और विधायक त्यागपत्र देने वाले हैं। इनमें से ज्यादातर विधायक इस समय बेंगलुरु में हैं।
होली का दिन राजनीतिक व्यस्तताओं से भरा रहा। वरिष्ठ भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान पार्टी विधायकों को इकट्ठा रखने के लिए भोपाल पहुंचे। मंगलवार रात को ही कई भाजपा विधायकों को विमान से दिल्ली भेज कर गुरुग्राम के एक होटल में ठहरा दिया गया।
अब शक्ति परीक्षण होना बाकी है और ये लगभग तय है कि 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार शायद अपनी आखिरी सांसें गिन रही है। मुख्यमंत्री आवास पर मंगलवार को आयोजित बैठक में केवल 80 विधायकों ने भाग लिया, जबकि अन्य को मनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
भाजपा के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया नए नहीं हैं। उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया भाजपा की संस्थापक सदस्य थीं और उनके पिता माधवराव सिंधिया पहले जनसंघ में थे और 70 के दशक में पाला बदलकर कांग्रेस में शामिल हो गये थे । उनकी बुआ वसुंधरा राजे भाजपा की वरिष्ठ नेता और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री हैं। उनकी दूसरी बुआ, यशोधरा राजे पांच बार भाजपा की विधायक रही हैं और वह शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री थीं।
यह पहला मौका है जब पूरा सिंधिया परिवार भाजपा के खेमे में आया है। कांग्रेस के नेता चाहे कुछ भी कहें, लेकिन ज्योतिरादित्य निश्चित रूप से भाजपा में अपने लिए एक विशेष स्थान बनाने जा रहे हैं। उनकी बुआ यशोधरा ने इस ट्वीट के साथ उनके फैसले का स्वागत किया, "राजमाता के रक्त ने लिया राष्ट्रहित में फैसला, साथ चलेंगे, नया देश गढ़ेंगे, अब मिट गया हर फासला। ज्योतिरादित्य के कांग्रेस छोड़ने के साहसिक कदम का मैं आत्मीय स्वागत करती हूं।"
यह महज एक संयोग है कि भाजपा को स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की जयंती के दिन ही ज्योतिरादित्य के रूप में होली का तोहफा मिला है। लेकिन उससे भी बड़ी बात ये है कि ये कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है।
जिस कमलनाथ को कांग्रेस के नेता बहुत बड़ा शातिर मानते थे, जोड़-तोड़ की राजनीति का माहिर खिलाड़ी मानते थे, उनकी नाक के नीचे से चौबीस विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में चले गए और उन्हें कानों-कान खबर नहीं हुई। जिस अंदाज में सिंधिया 24 विधायकों के साथ भाजपा में चले गए, उससे कांग्रेस की कमजोरी उभरकर सामने आई ।
ये बात अब स्पष्ट हो गई है कि कांग्रेस के पास न नेता हैं, न नीति। आज मेरे एक मित्र ने मुझे व्हाट्सएप पर एक संदेश भेजा, जो काफी रोचक था "राहुल ने सोनिया से कहा - तमसो मा ज्योतिर्गमय, सोनिया ने पूछा- मतलब? राहुल ने कहा - तुम सोती रही मां, ज्योतिरादित्य चला गया" ।
अब जब कमलनाथ अपनी सरकार को बचाने के प्रयास में व्यस्त हैं, मैं केवल इतना कहना चाहूंगा, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में आम कांग्रेस कार्यकर्ता बेचैनी महसूस कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में जो कुछ हो रहा है, उसकी उम्मीद कांग्रेस के किसी कार्यकर्ता ने नहीं की होगी।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत के बाद कांग्रेस के पुनरुत्थान का संदेश दिया गया था, लेकिन सिर्फ सवा साल के अन्दर नेतृत्व और नीति की कमी के कारण मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भी चली गई। और मध्य प्रदेश में कांग्रेस को खड़ा करने वाला, हर मौके पर राहुल गांधी के पीछे खड़ा रहने वाला नेता भी पार्टी से चला गया। ये राहुल गांधी की नाकामी है।
सबसे रोचक बात ये है कि भाजपा एक बड़ा राज्य कांग्रेस से छीन रही है, कांग्रेस का एक बड़ा नेता भाजपा में आ रहा है और इसके लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। मध्य प्रदेश में जो कुछ हुआ उसके बाद सोनिया गांधी के लिए यह एक बड़ी चुनौती का वक्त है, क्योंकि सोनिया गांधी लगातार राहुल गांधी के नेतृत्व को एक बार फिर स्थापित करने कोशिश कर रही हैं। लेकिन अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस के नेता राहुल के नेतृत्व को मंजूर करेंगे, इसकी उम्मीद कम है, क्योंकि मध्य प्रदेश में हुई उथलपुथल के बाद हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने कांग्रेस हाईकमान पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के गिरने के लिए पार्टी हाईकमान के रवैए को जिम्मेदार ठहराया है। संकेत साफ है। सिंधिया के बाद दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस के लिए मुसीबतें पैदा होगी। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 10 मार्च 2020 का पूरा एपिसोड