गुरुवार को मुंबई की टाडा (TADA) कोर्ट ने दो आरोपियों ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान को फांसी की सजा, दो अन्य आरोपी अबू सलेम और करीमुल्लाह खान को उम्रकैद जबकि पांचवें आरोपी रियाज सिद्दिकी को 10 साल कैद की सजा सुनाई। एक आरोपी अब्दुल शेख को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया।
मुंबई ब्लास्ट में जिन लोगों को सजा मिली उनके बारे में मुझे एक बात कहनी है। वो ये कि 257 मासूम लोगों की मौत के जिम्मेदार लोगों को सजा देने में 24 साल लग गए। और अभी भी फांसी पाने वालों के पास अपील के लिए हाईकोर्ट का ऑप्शन है, सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता है और वहां से भी सजा बरकरार रहने पर राष्ट्रपति से रहम की अपील करने का रास्ता है। केस का फाइनल फैसला मिलने में इतनी देरी शर्मनाक है। हम अक्सर इस बात को कहते हैं कि 'जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड' (न्याय में देरी न्याय न मिलने के सामान है)। इस केस में न्याय मिलने में लंबी अवधि की देरी हुई है। इससे बचा जा सकता था। (रजत शर्मा)
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