Rajat Sharma Blog: अयोध्या में राम प्रतिमा की स्थापना एक सांकेतिक शुरुआत हो सकती है
दरअसल समस्या राजनेताओं के साथ है। हर राजनेता चाहे वह बड़ा हो या छोटा, सब चाहते हैं कि राम मंदिर बने। लेकिन कौन बनवाए? पहल कौन करे? इस पर सारे नेता दूसरे की तरफ देखने लगते हैं।
उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या में दिवाली समारोह के दौरान एक अहम घोषणा करेंगे। ऐसी खबरें हैं कि मुख्यमंत्री योगी अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा, उसकी जगह और अन्य विवरणों का ऐलान कर सकते हैं। यह एक राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक हो सकता है।
राम जन्मभूमि विवाद अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। शीर्ष अदालत ने इस केस की सुनवाई जनवरी तक टाल दी है और कोई समय सीमा तय नहीं है कि कब फैसला सुनाया जाएगा। ऐसे में श्रद्धालुओं की बेचैनी बढ़ती जा रही है जो भगवान राम की जन्मस्थली पर एक भव्य मंदिर के शुरुआती निर्माण को देखने की इच्छा पाले हुए हैं।
मंदिर के मुद्दे पर पहले ही राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो चुका है, और योगी की घोषणा भी समय पर हो सकती है। इससे भगवान राम के भक्तों को तात्कालिक तौर पर राहत मिल सकती है। भगवान राम की प्रतिमा का निर्माण एक सांकेतिक शुरूआत होगी और यह उस रास्ते की ओर पहला कदम होगा जो अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण तक जाता है।
शुक्रवार को मुंबई में आरएसएस के महासचिव भैय्याजी जोशी ने संघ के शीर्ष संगठनों की तीन दिवसीय बैठक के समापन के अवसर पर स्पष्ट तौर पर कहा कि अयोध्या मामले की सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट में जनवरी तक के लिए स्थगित करने से भगवान राम के भक्तों के मन में व्यग्रता बढ़ी है। उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद कर रहे थे कि दिवाली से पहले कोई फैसला आएगा और अदालत को इस मुद्दे को जनवरी तक के लिए स्थगित करने से पहले हिंदुओं की भावनाओं पर भी विचार करना चाहिए।' जोशी ने आगे कहा कि केंद्र के पास ये अधिकार है कि वह मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश लाए और अगर यह विवाद यूं ही लटका रहा तो अयोध्या में 1992 जैसा आंदोलन शुरू हो सकता है।'
दरअसल समस्या राजनेताओं के साथ है। हर राजनेता चाहे वह बड़ा हो या छोटा, सब चाहते हैं कि राम मंदिर बने। लेकिन कौन बनवाए? पहल कौन करे? इस पर सारे नेता दूसरे की तरफ देखने लगते हैं। कांग्रेस कहती है, वो राम मंदिर निर्माण का समर्थन करती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी। बीजेपी कहती है कि वह अध्यादेश तो ले आएगी और कानून भी बना देगी लेकिन कांग्रेस संसद में समर्थन का वादा करे। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का कहना है कि वह लंबे अर्से से राम मंदिर के निर्माण की मांग करते रहे हैं लेकिन पिछले साढ़े चार साल में केंद्र सरकार ने इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। लेकिन उद्धव ये नहीं बताते कि साढ़े चार साल तक सत्ता में साथ रहने के बाद उन्होंने कभी राम मंदिर का सवाल क्यों नहीं उठाया।
अयोध्या विवाद पिछले 500 साल से हिंदुओँ और मुसलमानों के बीच दीवार बना हुआ है। पिछले 150 साल से यह मामला अदालतों के चक्कर काट रहा है। लोग अब और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते। फैसला चाहे अदालत करे या सरकार, इस मुद्दे पर जल्द फैसला आना चाहिए। (रजत शर्मा)