Rajat Sharma Blog: सेना द्वारा समर्थित प्रधानमंत्री इमरान खान भारत के साथ संबंधों को सामान्य कर सकते हैं
इमरान खान भारतीय मीडिया से भले ही नाराज हों लेकिन यह सच है कि इमरान को हिन्दुस्तान में जितना प्यार और इज्जत मिली है ऐसा कम ही लोगों को नसीब होता है।
इमरान खान का जीवन उथल-पुथल और संघर्षों से भरा रहा है। उन्होंने काफी संघर्ष किया लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी कभी हार नहीं मानी। मुझे याद है क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने के बाद इमरान खान अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे और उन्होंने अचानक क्रिकेट से संन्यास ले लिया। 1994 में वे मेरे शो 'आप की अदालत' में आए जहां पहली बार उन्होंने राजनीति में शामिल होने का इरादा जाहिर किया था। तब मैंने उनसे पूछा कि वह राजनीति की पिच पर कैसे खेल पाएंगे जहां सारी चीजें वैसी नहीं हैं जैसी वह प्रतीत होती हैं। तब इमरान ने जवाब दिया कि जब पहली बार नेशनल टीम के लिए उनका चयन हुआ तब वे बड़ी उम्मीदों के साथ मैदान पर उतरे थे लेकिन वे उम्मीदें चूर-चूर हो गईं। तीन साल के लिए उन्हें टीम से निकाल दिया गया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, हालात के आगे झुके नहीं। उन्होंने काफी मेहनत की, टीम में उनकी वापसी हुई और उसके बाद जो कुछ भी हुआ वह इतिहास है। यह उल्लेख करते हुए इमरान ने कहा, राजनीति में मैं आखिरी तक लड़ूंगा और जीतूंगा।
22 साल तक इमरान खान ने राजनीति के बीहड़ में कठोर परिश्रम किया और अंतत: जीतने में कामयाब रहे। अपनी जीत के बाद इमरान ने कश्मीर के बारे में, चीन के बारे में, अफगानिस्तान के साथ सीमा को खोलने के साथ ही अमेरिका और सउदी अरब के बारे में भी बात की लेकिन भारत के बारे में उन्होंने कुछ ही शब्द कहे। उन्होंने खासतौर से कश्मीर का जिक्र किया। इमरान खान ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने भाषण में कश्मीर को लेकर जो भी बातें कही हैं अगर वह सही है तो यह साफ है कि उन्हें सेना का समर्थन मिला हुआ है और उनकी जीत में सेना की भूमिका रही है। भारत के लिए यह बेहतर स्थिति होनी चाहिए कि पाकिस्तान में एक चुनी हुई और स्थाई सरकार है, भले ही वो सेना द्वारा समर्थित क्यों न हो। क्योंकि कम से कम भारतीय नेताओं और नौकरशाहों को यह पता तो रहेगा कि किससे बात करनी है। यह एक अवसर है जो रिश्तों को सामान्य बनाने में मदद कर सकता है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इमरान खान भारतीय मीडिया के कुछ वर्ग के बारे में खुलकर बोले। उन्होंने कहा कि उन्हें बॉलीवुड के विलेन की तरह पेश किया जा रहा है। इमरान खान भारतीय मीडिया से भले ही नाराज हों लेकिन यह सच है कि इमरान को हिन्दुस्तान में जितना प्यार और इज्जत मिली है ऐसा कम ही लोगों को नसीब होता है। किसी अन्य पाकिस्तानी को इतना प्यार और सम्मान नहीं मिला जितना भारत में इमरान खान को मिला है।
इमरान खान शासन के मामले में नवआगंतुक की तरह हैं। उनके पास सरकार चलाने का व्यवहारिक अनुभव नहीं है। वे सांसद जरूर रहे लेकिन न कभी मंत्री रहे और न ही मुख्यमंत्री। पाकिस्तान के लोगों को उनसे बहुत सारी उम्मीदें हैं। इमरान ने उन उम्मीदों को पूरा करने का वादा भी किया है लेकिन इन वादों को पूरा करने के रास्ते इतने आसान भी नहीं हैं। इमरान खान को उनके इस नए सफर के लिए मेरी शुभकामनाएं। (रजत शर्मा)