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Rajat Sharma’s Blog: यूपी विधानसभा चुनाव के लिए योगी आदित्यनाथ की रणनीति

साढ़े चार साल सत्ता में रहने के बाद बीजेपी नेताओं को अब जनता को अपने काम का हिसाब-किताब देना होगा। बहुत सारे सवालों के जवाब देने होंगे। अधिकांश विपक्षी दल कोरोना प्रबंधन के मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।

Rajat Sharma’s Blog: यूपी विधानसभा चुनाव के लिए क्या है योगी की रणनीति- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल शुक्रवार को और गर्म हो गया जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया कि आने वाले सात-आठ महीनों में उनकी सरकार का इरादा क्या है। उनकी सरकार कौन-कौन से काम करेगी। इसका उन्होंने व्यापक संकेत दिया। इसके साथ ही उन्होंने इस बात का भी संकेत दिया कि उनका चुनाव प्रचार किस दिशा में आगे बढ़ेगा।  
योगी आदित्यनाथ समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर भी जमकर बरसे। उन्होंने उस बयान की निंदा की जिसमें अखिलेश ने कहा था कि 'मैं यूपी पुलिस और राज्य में योगी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के कामों पर भरोसा नहीं कर सकता।' दो दिन पहले अखिलेश यादव ने यह टिप्पणी काकोरी से अलकायदा समर्थक और अंसार गजवत-उल- हिंद से जुड़े दो संदिग्ध आतंकवादियों की एटीएस द्वारा गिरफ्तारी के बाद की थी। एटीएस अधिकारियों का कहना था कि ये लोग कई जगहों पर विस्फोट करने के लिए 'मानव बम' का इस्तेमाल करने की प्लानिंग रहे थे। इनकी गिरफ्तारी के बाद भारी मात्रा में विस्फोटक भी बरामद किया गया।
 
योगी ने आरोप लगाया कि आगरा में समाजवादी पार्टी के नेता द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए गए। उन्होंने कहा, 'इससे पता चलता है कि ये लोग वोट बैंक की राजनीति के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगा सकते हैं।'  मुख्यमंत्री योगी ने यूपी में हुए धर्मातंरण का भी जिक्र किया। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे 'जिहादी तत्वों' द्वारा बेरोजगार युवाओं और ऐसे बच्चों का धर्म बदल दिया गया जो न तो बोल सकते हैं और न ही सुन सकते हैं।  
 
सीएम योगी ने कहा, कुछ तत्वों द्वारा अपनी पहचान बदलने और दिव्यांग बच्चों को 'जिहादी उन्माद' फैलाने की मुहिम में शामिल करने की हाल की घटनाओं ने साबित कर दिया है कि उनकी सरकार का धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने का कदम सही था। यूपी पुलिस ने समाजवादी पार्टी के नेता वाजिद निसार की रैली में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाने के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। सपा नेता ने इस घटना से खुद को और अपनी पार्टी को यह कहते हुए दूर कर लिया है कि जिन लोगों ने यह नारा लगाया, वे सपा कार्यकर्ता नहीं थे।
 
यहां एक बात कहना जरूरी है। मुझे लगता है कि कोई भी हिन्दुस्तानी चाहे वो हिन्दू, मुसलमान, सिख या ईसाई हो, चाहे वह सरकार से कितना भी नाराज क्यों न हो, वो पाकिस्तान के समर्थन में नारे तो नहीं लगा सकता। भारत में कोई भी पार्टी या नेता अपनी रैलियों में पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाकर वोट पाने का सपना नहीं देख सकता। इसलिए मुझे लगता है कि इस वीडियो की जांच होनी चाहिए। यूपी पुलिस आवाज के नमूने ले और जांच करे कि क्या आगरा की उस रैली में प्रदर्शनकारियों द्वारा इस तरह के नारे लगाए गए थे। अगर वाकई में किसी सिरफिरे ने ऐसा नारा लगाया है तो उसके खिलाफ एक्शन होना चाहिए। अगर किसी शरारती व्यक्ति ने इस तरह के नारों का ऑडियो वीडियो में सुपरइंपोज किया है, तो अधिकारियों को उस पर कार्रवाई करनी चाहिए।
 
इस तरह की नारेबाजी के लिए अखिलेश यादव को या समाजवादी पार्टी को दोष देना ठीक नहीं होगा। इसलिए जब तक कुछ साबित ना हो जाए, इस तरह की बातों को राजनीति में ज्यादा तवज्जो नहीं देनी चाहिए। लेकिन चुनाव के वक्त में ऐसी बातें सब करते हैं। पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी से वोट मिले ना मिले, इस तरह की घटनाओं पर विरोध की आवाज उठाकर राजनीतिक दल लोगों का समर्थन पाने की कोशिश कर सकते हैं। 
 
इसीलिए जब सीएम योगी ने अपने भाषण में लव जिहाद की बात की तो फिर पाकिस्तान का जिक्र किया। योगी ने कहा जो पाकिस्तान का समर्थन करते हैं वही 'लव जिहाद' के भी समर्थक हैं। लेकिन अब ये यूपी में नहीं चलेगा। लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बन गया है और उसका असर दिख रहा है। फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर हिंदू लड़कियों के धर्मांतरण की कोशिश करने  के मामले सामने आए हैं। योगी ने उन लोगों को भी जवाब दिया जो उनकी सरकार की कोरोना  मैनेजमेंट पर सवाल उठा रहे हैं। योगी ने कहा कि ये विपक्षी नेता तब कहां थे जब यूपी के लोग महामारी की दूसरी लहर से लड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि विरोधी दलों के नेता उस वक्त घर से नहीं निकले जब कोरोना घर-घर में था। जब वैक्सीन आई तब घर से निकले लेकिन घर से निकलकर वैक्सीन के बारे में अफवाह फैलाने लगे।
 
उधर, प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को लखनऊ में गांधी मूर्ति के पास पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मौन विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने हाल में संपन्न ब्लॉक पंचायत चुनावों में 'हिंसा और  घोर अनियमितता' का आरोप लगाया। प्रियंका ने खासतौर से महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुद्दा भी उठाया।
 
यूपी विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है। बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों मेहनत कर रही हैं। दोनों ही पार्टियां चुनाव में जाने से पहले उम्मीदवारों के चयन और मुद्दों को लेकर पहले से ही तैयारी कर रही हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रदर्शन ऐतिहासिक था। बीजेपी ने 403 में 312 सीटें जीती थी। बाकी सभी पार्टियां 91 सीटों पर सिमट गईं थीं। ये हाल तब था जब यूपी मे अखिलेश यादव और राहुल गांधी साथ-साथ थे। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन था। इसके बाद भी समाजवादी पार्टी 224 से सिमट कर 47 पर आ गई और कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटें मिली। मायावती की बहुजन समाज पार्टी सभी सीटों पर लड़ी थी लेकिन उसे सिर्फ 19 सीटें मिलीं। 
 
साढ़े चार साल सत्ता में रहने के बाद बीजेपी नेताओं को अब जनता को अपने काम का हिसाब-किताब देना होगा। बहुत सारे सवालों के जवाब देने होंगे। अधिकांश विपक्षी दल कोरोना प्रबंधन के मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। ये सही है कि आज उत्तर प्रदेश में कोरोना के मामले नियंत्रण में हैं। लेकिन अप्रैल-मई का समय ऐसा था जब अस्पतालों में जगह नहीं थी, ऑक्सीजन की कमी थी, श्मशानों में लाइनें लगी थीं और गंगा में लाशें तैरती नजर आईं थी, गंगा के किनारे रेत में दबे शवों के दृश्य सामने आए थे। चुनाव की तारीख करीब आते ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लोग बार-बार ये बातें लोगों को याद दिलाएंगे और जनता के बीच इस मुद्दे को उठाने की कोशिश करेंगे। 
 
जहां तक प्रियंका गांधी की बात है तो उन्हें सक्रिय राजनीति में आए ढाई साल हुए हैं। ढाई साल पहले उन्हें यूपी की जिम्मेदारी मिली थी। वह अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए राज्य भर में घूम रही हैं। लेकिन यूपी में कांग्रेस का संगठन पूरी तरह बिखरा हुआ है। यहां हर स्तर पर गुटबाजी है। राहुल गांधी अमेठी हार चुके हैं और अब बीजेपी ने सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसलिए यूपी में कांग्रेस को फाइट में लाना आसान काम नहीं है। लेकिन हालत कितनी भी खराब हो प्रियंका कम से कम ग्राउंड में एक्शन में दिखाई तो देती हैं। अब यह पार्टी नेताओं पर है कि वे उनकी मौजूदगी का अधिकतम लाभ कैसे उठाते हैं।
 
योगी का भाषण साफ तौर पर उस रणनीति की रूपरेखा है जिसे वह आनेवाले विधानसभा चुनावों के लिए तैयार कर रहे हैं। योगी धर्म परिवर्तन और आतंकवाद, दो ऐसा मुद्दा बनाना चाहते हैं जिस पर वह अपना प्रचार अभियान शुरू करेंगे। बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भी पार्टी की राज्य कार्यकारिणी को संबोधित किया और राज्य के नेताओं को योगी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार से निपटने की सलाह दी। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 16 जुलाई, 2021 का पूरा एपिसोड

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