तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा मुद्दा बना दिया है। यह बात बहुत कम लोगों को मालूम है कि वह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की ही सरकार है जो असम में जाकर बसे बंगालियों की नागरिकता से जुड़े दस्तावेजों के सत्यापन में विफल रही।
इनमें से अधिकांश बंगालियों ने अपना पुश्तैनी पता बंगाल का दिया था। पांच महीने पहले एनआरसी ड्राफ्ट तैयार करने के दौरान असम में बसे एक लाख चौहद हजार लोगों के दस्तावेज पश्चिम बंगाल सरकार के पास सत्यापन के लिए भेजे गए जिनमें से केवल 6 हजार 800 लोगों के दस्तावेज ही सत्यापित करके वापस भेजे गए। जिन लोगों के दस्तावेज सत्यापित नहीं हुए उनके नाम एनआरसी से गायब थे। ये दस्तावेज अभी भी पश्चिम बंगाल सरकार के पास पड़े हुए हैं। जबतक ये दस्तावेज सत्यापित नहीं हो जाते इन नामों को एनआरसी में शामिल नहीं किया जा सकता। ममता बनर्जी को बताना चाहिए कि क्या उन्हें इन बंगालियों की चिंता नहीं थी?
वहीं दूसरी तरफ असम पुलिस के महिला जवानों की तारीफ करनी होगी जिन्होंने असम के सिलचर हवाई अड्डे पर हंगामा कर रहे तृणमूल कांग्रेस के 6 सांसदों को हिरासत में लेने के लिए काफी संयम से काम लिया और हालात को संभाला। उन्हें शहर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई क्योंकि इससे भाषाई तनाव की स्थिति पैदा हो सकती थी।
जहां तक ममता बनर्जी का सवाल है, वो केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर भरोसा न करें समझ में आता है। वे असम सरकार पर भरोसा न करें यह बात भी समझ में आती है क्योंकि असम में बीजेपी की सरकार है, लेकिन उन्हीं की पार्टी के असम प्रदेश अध्यक्ष ने गुरुवार को इस्तीफा देकर उनके झूठ का पर्दाफाश कर दिया है। ममता यह आरोप लगा सकती हैं कि बीजेपी ने टीएमसी के नेता को खरीद लिया है लेकिन इस नेता ने खुद कहा कि ममता के बयानों से असम में माहौल खराब हो सकता है।
जब पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे की सरकार थी तो उस वक्त ममता बनर्जी अवैध बांग्लादेशियों को राज्य से बाहर निकालने के लिए जोर-शोर से आवाज उठाती रहीं। एक बार इस मुद्दे पर ममता को लोकसभा में बोलने का मौका नहीं मिला तो नाराज होकर उन्होंने सदन में ही कागज फाड़कर स्पीकर की तरफ उछाल दिया था। अब उन्होंने पूरी तरह से यू-टर्न ले लिया है। वाम मोर्चे के शासन के दौरान उन्होंने मांग की थी कि अवैध बांग्लादेशियों को राज्य से बाहर निकाला जाना चाहिए, लेकिन अब ये देखकर हैरानी होती है कि वही ममता बनर्जी अवैध बांग्लादेशियों के समर्थन में खुलकर खड़ी हैं। (रजत शर्मा)
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