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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog: कैसे फैलाई गई कोविड वैक्सीन में बछड़े के खून की अफवाह

Rajat Sharma’s Blog: कैसे फैलाई गई कोविड वैक्सीन में बछड़े के खून की अफवाह

कोवैक्सीन में काफ सीरम को लेकर जब अफवाहें फैलने लगीं, लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह के सवाल पूछने लगे तो हेल्थ मिनिस्ट्री ने एक बयान जारी किया।

Rajat Sharma Blog on calf blood in Covid vaccine, calf serum in Covid vaccine, Rajat Sharma- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

बुधवार को जब मैंने कोवैक्सीन के टीके से जुड़ी खबर पढ़ी तो मैं चौंक गया। यह खबर निश्चित तौर पर टीका लगवाने को तैयार लोगों के मन में डर और आशंका पैदा करने वाली थी। कांग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया विंग को संभालने वाले गौरव पांधी ने एक वीडियो में आरोप लगाया था कि कोवैक्सिन में गाय नवजात बछड़े के खून का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने ट्विटर पर दावा किया कि वैक्सीन बनाने में 20 दिन के बछड़े के खून का इस्तेमाल किया जाता है और बछड़े को मार दिया जाता है। उन्होंने लिखा कि यह जघन्य है।

गौरव के इस बयान ने वैज्ञानिकों को भी चौंका दिया और हेल्थ मिनिस्ट्री के कान खड़े कर दिए। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस मामले पर सरकार से जवाब मांगा जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी किया। वैज्ञानिकों ने भी तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि वैक्सीन में गाय के बछड़े का सीरम होने की बात सरासर झूठ है। कोवैक्सीन के निर्माता भारत बायोटेक ने भी एक बयान जारी कर आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। भारत में पहले ही कई लोग वैक्सीन लगवाने में हिचकिचा रहे हैं, और वैज्ञानिकों को इस बात की चिंता थी कि यह नया आरोप लोगों के मन में और ज्यादा डर पैदा कर सकता है। चूंकि मामला गंभीर था, इससे टीकाकरण पर असर पड़ सकता था और लोगों के मन में डर पैदा हो सकता था, इसलिए मैंने एक-एक करके इस मामले से जुड़ा सारा सच आपके सामने रखने का फैसला किया।

गौरव पांधी कोई आम आदमी नहीं हैं। वह कांग्रेस की डिजिटल कम्युनिकेशन और सोशल मीडिया टीम के नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं। वह राहुल गांधी के हर ट्वीट को फैलाने का काम करते हैं। बुधवार को गौरव पांधी ने पांधी ने कोवैक्सिन में नवजात बछड़े के सीरम की मौजूदगी को लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने अपने ट्वीट में एक RTI के जरिए मिले एक जवाब को टैग किया। गौरव पांधी ने ट्विटर पर लिखा, ‘एक आरटीआई के जवाब में, मोदी सरकार ने स्वीकार किया है कि कोवैक्सिन में नवजात बछड़े का सीरम होता है, यह जघन्य है! यह जानकारी पहले सार्वजनिक की जानी चाहिए थी।’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने एक रिसर्च डॉक्युमेंट शेयर किया जिसमें इस बात की जानकारी दी गई थी कि बछड़े का सीरम कैसे निकाला जाता है।

रिसर्च डॉक्युमेंट में लिखा है, ‘नवजात बछड़े का सीरम 20 दिन से कम उम्र के स्वस्थ बछड़े के खून के थक्के का तरल अंश होता है, जिसे बछड़े को मारकर प्राप्त किया जाता है। इसे पूर्व और/या पोस्टमॉर्टम इंस्पेक्शन के जरिए मानव उपभोग के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसे मूल देश के सक्षम प्राधिकारी द्वारा जांचे किए गए बूचड़खानों में एकत्र किया जाता है। इसमें किसी तरह के डिलीशन या ऐडिशन (प्रिजर्वेटिव सहित) की अनुमति नहीं है।’

गौरव पांधी अपने ट्वीट्स के राजनीतिक और धार्मिक असर के बारे में अच्छी तरह जानते हैं। उन्हें पता है कि उनके आरोप कोविड की वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में डर और आशंका पैदा कर सकते हैं। जब लोग उनके ट्वीट्स को रिट्वीट करने लगे. तब कोवैक्सीन की निर्माता कंपनी भारत बायोटेक अपने बयान के साथ सामने आई। भारत बायोटेक ने कहा, ‘कोवैक्सीन टीके में किसी तरह का सीरम नहीं है। वायरल टीकों को तैयार करने के लिए गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इनका इस्तेमाल सेल्स की ग्रोथ के लिए होता है। सार्स सीओवी-2 वायरस की ग्रोथ या फाइनल फॉर्मूले में इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है। कोवैक्सीन पूरी तरह से शुद्ध वैक्सीन है, जिसे सभी अशुद्धियों को हटाकर तैयार किया गया है।’

कोवैक्सीन में काफ सीरम को लेकर जब अफवाहें फैलने लगीं, लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह के सवाल पूछने लगे तो हेल्थ मिनिस्ट्री ने एक बयान जारी किया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘फाइनल वैक्सीन (कोवैक्सीन) में नवजात बछड़े का सीरम बिलकुल नहीं होता है और काफ सीरम फाइनल वैक्सीन प्रॉडक्ट का घटक नहीं है।’ मंत्रालय ने कहा, नवजात बछड़ा सीरम का इस्तेमाल केवल वैक्सीन के लिए वेरो कोशिकाओं को तैयार करने में किया जाता है। गोजातीय और अन्य जानवरों के सीरम का उपयोग आम है और पोलियो, रैबीज और इन्फ्लूएंजा जैसी अन्य बीमारियों की वैक्सीन में कई दशकों से इसका इस्तेमाल हो रहा है।

इसमें कहा गया, ‘जब वैज्ञानिक किसी लैब में वायरस विकसित करते हैं, तो वे उन्हीं स्थितियों को रीक्रिएट करने की कोशिश करते हैं जो मानव शरीर में पाई जाती हैं। ऐसा करने के लिए वे चीनी, नमक और विभिन्न तरह के मांस के अर्क के घोल का इस्तेमाल करते हैं। वे वेरो कोशिकाओं का इस्तेमाल करना शुरू करते हैं, जो कि अफ्रीकी हरे बंदर के गुर्दे की कोशिकाएं हैं। इन वेरो कोशिकाओं का इस्तेमाल जेनेटिकली इंजीनियर्ड वायरस विकसित करने के लिए एक वेक्टर के रूप में किया जाता है।’

बयान में कहा गया, ‘चूंकि वायरस किसी होस्ट के बिना नहीं रह सकते, ये कोशिकाएं उन्हें बढ़ने में मदद करती हैं। न्यूबॉर्न काफ सीरम से छुटकारा पाने के लिए इन कोशिकाओं को कई बार पानी और केमिकल्स से धोया जाता है। फिर उनका इस्तेमाल वैक्सीन को विकसित करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, जब वायरस को इसमें इंजेक्ट किया जाता है, वेरो कोशिकाएं भी नष्ट हो जाती हैं। बाद में SARS-CoV-2 वायरस को भी मार दिया जाता है (निष्क्रिय किया जाता है) और शुद्ध किया जाता है, ताकि टीका लगवाने वाले व्यक्ति में संक्रमण की कोई संभावना न रहे।’

कोवैक्सीन को लेकर जो सवाल उठाए गए उनके बारे में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने बड़ी सफाई से जवाब दिया। पात्रा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान को पटरी से उतारने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में स्वदेशी रूप से विकसित एक कोविड वैक्सीन पर सवाल उठाकर कांग्रेस ‘पाप’ कर रही है। संबित पात्रा एक डॉक्टर हैं और उन्होंने वैक्सीन बनाने की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे वेरो कोशिकाओं को बनाने के लिए बोवाइन सीरम का इस्तेमाल किया जाता है, जो की वैक्सीन के निर्माण में सबसे जरूरी चीज है।

हमने इस फील्ड में वायरोलॉजी और जेनेटिक्स के विशेषज्ञों से बात की। ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर एन. के. गांगुली ने जोर देकर कहा कि फाइनल प्रॉडक्ट में, यानी कि कोरोना के टीके में, बछड़े का सीरम नहीं है। सारा विवाद इसलिए खड़ा हुआ क्योंकि गौरव पांधी ने आरोप लगाया था कि वैक्सीन बनाने के लिए (20 दिन से कम उम्र के) नवजात बछड़े को मार दिया जाता है। जब हमने यही सवाल डॉक्टर गांगुली से किया, तो उन्होंने जवाब दिया कि नवजात बछड़े से सीरम निकाला जा सकता है और इसके लिए उसे मारना जरूरी नहीं है।

अदालती भाषा में एक लैटिन कहावत है, 'सप्रेसियो वेरी, सजेसियो फाल्सी", जिसका अर्थ है कि आप सच को दबाइए और फिर गलत चीज का सुझाव दीजिए। कांग्रेस के सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर ने कोवैक्सीन टीके में न्यूबॉर्न काफ सीरम के होने को लेकर पूरी तरह से एकतरफा और गलत धारणा फैलाने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया। स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत बायोटेक कंपनी के बयानों से उस प्रक्रिया के बारे में पूरे विस्तार से पता चलता है जिसमें नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल न केवल कोविड के टीकों के लिए, बल्कि पोलियो, रेबीज और इन्फ्लूएंजा के टीकों के लिए भी किया जाता है। दोनों इस बात को जोरदार तरीके से खारिज करते हैं कि फाइनल प्रॉडक्ट में काफ सीरम मौजूद है।

कांग्रेस कोऑर्डिनेटर अच्छी तरह से समझते हैं कि भारत जैसे विशाल देश में जहां 85 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग गायों की पूजा करते हैं और गोहत्या को वर्जित मानते हैं, इस तरह के आरोपों का असर बहुत बड़ा होगा। गोहत्या एक संवेदनशील मुद्दा है और यह कहना कि कोविड का टीका बनाने की प्रक्रिया में नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है, निश्चित रूप से लाखों हिंदुओं की भावनाओं को आहत कर सकता है।

ऐसी बातें कहकर गौरव पांधी ने लाखों भारतीयों के दिल में वैक्सीन को लेकर शक पैदा करने की कोशिश की। मैं तो कहूंगा कि कांग्रेस पार्टी के नेशनल सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर ने घोर पाप किया है। उन्होंने लाखों हिंदुओं के मन में ऐसा डर पैदा करने की कोशिश की है जो बहुत खतरनाक हो सकता है। उनका ये कहना कि कोवैक्सीन में गाय के नवजात बछड़े का कोई अंश होता है, महापाप है। स्वास्थ्य मंत्रालय की सफाई के बावजूद गौरव पांधी अपने ट्वीट को लेकर अड़े हुए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को उनके ट्वीट में कम्युनल ऐंगल का एहसास हुआ और पांधी को ट्वीट डिलीट करने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। आखिरकार, ट्विटर ने इन आपत्तिजनक ट्वीट्स को पोस्ट करने के लिए उनके अकाउंट को ब्लॉक कर दिया है।

हालांकि कांग्रेस ने पांधी के ट्वीट से खुद को दूर कर लिया है, लेकिन वह उस पार्टी की सोशल डिजिटल मीडिया टीम के चीफ बने हुए हैं, जिसने 70 से भी ज्यादा सालों तक भारत पर राज किया। पांधी ने कांग्रेस पार्टी को शर्मिंदा किया है और लोगों में कोविड के टीके को लेकर अविश्वास के बीज बोने की कोशिश की है। मैं स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत बायोटेक द्वारा समय पर प्रतिक्रिया की सराहना करता हूं, जिसके चलते सांप्रदायिक नफरत का बीज फलने-फूलने से पहले ही नष्ट हो गया।

यह पहली बार नहीं है जब कोविड के टीके के बारे में बेबुनियाद अफवाहें फैलाई गई हैं। भारत के दूर दराज के इलाकों, गांवों और कस्बों में जाकर लोगों से बात करने वाले इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स ने पाया कि ग्रामीणों के मन में वैक्सीन को लेकर हिचक है। कुछ को तो यह भी डर लगता है कि यदि वे टीका लगवाएंगे तो उनकी मौत हो सकती है। गांव में कैंप लगाने पहुंची वैक्सीनेशन टीम को ग्रामीण दौड़ा लेते हैं। गांव के लोगों को वैक्सीन के असर को समझाने और टीका लगवाने के लिए कन्विंस करने में हेल्थ वर्कर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

मैं अपने सभी दोस्तों और दर्शकों से लोगों को यह बताने की अपील करूंगा कि काफ सीरम को लेकर गौरव पांधी ने सोशल मीडिया के जरिए जो बात फैलानी चाही, वह सरासर झूठ और बेबुनियाद है। उन्हें लोगों को जरूर बताना चाहिए कि किसी भी कोविड टीके में काफ सीरम या बछड़े का सीरम मौजूद नहीं है। अफवाह फैलाने वालों से सावधान रहें, अफवाहों का प्रसार बंद करें और जल्द से जल्द टीका लगवाएं। इस घातक महामारी से से बचने का सिर्फ यही एक रास्ता है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 16 जून, 2021 का पूरा एपिसोड

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