तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी का एक ड्राफ्ट घोषणापत्र सामने आया है जिसमें मुस्लिमों और क्रिश्चियन्स के लिए कई तरह के वादे किये गए हैं। इस ड्राफ्ट घोषणापत्र में ऊर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा, मुस्लिमों, क्रिश्चियन्स और अन्य भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए तीन वित्त निगम, मुस्लिम युवाओं को सरकारी ठेका देने का प्रावधान, गरीब मुस्लिमों को घर बनाने के लिए पांच लाख रुपये की मदद, गरीब मुस्लिम युवाओं को विदेश में पढ़ने के लिए 20 लाख रुपये की मदद, मुस्लिम वक्फ बोर्ड को न्यायिक शक्ति प्रदान करना, मस्जिदों और चर्च को मुफ्त बिजली, अल्पसंख्यकों के लिए अस्पताल, मुस्लिमों के लिए आवासीय स्कूल, मस्जिदों के इमाम और मुअज्जिन के लिए मासिक मानदेय, और धर्म के आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति करनेवाले निजी फर्म पर कार्रवाई की बात कही गई है।
हालांकि राज्य कांग्रेस की लीडरशिप ने तुरंत इस ड्राफ्ट घोषणापत्र से किनारा कर इसे तोड़-मरोड़ कर पेश करना बताया। अब मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों से बचने और इस पूरे मामले को ढंकने के लिए 'मुस्लिम' की जगह 'अल्पसंख्यक' शब्द जोड़ने की कोशिश चल रही है।
इसी तरह ड्राफ्ट घोषणापत्र में दलित क्रिश्चियन्स को अनुसूचित जाति का दर्जा देने का वादा, चर्च के पादरी और फादर्स को पांच लाख का मेडिकल और दुर्घटना बीमा, उनके बच्चों को मुफ्त शिक्षा, आवासीय स्कूल और मानदेय के अलावा अन्य तोहफे भी हैं।
तेलंगाना की कुल आबादी में 12.5 फीसदी अल्संख्यक समुदाय के लोग हैं जिनमें खासतौर से मुस्लिम हैं, और 119 विधानसभा क्षेत्रों में से 42 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां ये निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। तेलंगाना में कांग्रेस सीपीआई (एम) के साथ गठबंधन में है। तेलुगूदेशम पार्टी और तेलंगाना जन समिति पीपुल्स फ्रंट के बैनर तले चुनाव लड़ रही है जिन्होंने संयुक्त घोषणापत्र जारी कर दिया है, लेकिन कांग्रेस ने खुद अपना घोषणापत्र जारी करने का फैसला लिया है। कांग्रेस के घोषणापत्र के बारे में ऐसी खबरे हैं कि टीआरएस-एआईएमआईएम गठबंधन का मुकाबला करने के लिए अल्पसंख्यकों के लिए विशेष योजनाओं को शामिल किया गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस ड्राफ्ट घोषणापत्र को 'विभाजनकारी' बताते हुए कहा है कि धर्म के आधार पर किसी भी तरह के वर्गीकरण का प्रावधान संविधान में नहीं है।
अगर ये बात मीडिया में लीक नहीं होती तो शायद कांग्रेस घोषणापत्र के ड्राफ्ट में बदलाव भी नहीं करती। इस घोषणापत्र में 'मुस्लिम केवल' और 'क्रिश्चियन्स केवल' ही रहता। हालांकि बदलाव के बाद भी कांग्रेस ने जो वादे किए हैं वो भी पुरानी लाइन पर हैं। अब अगर बीजेपी के नेता कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण का इल्जाम लगाएंगे तो कांग्रेस क्या जबाव देगी, और किस मुंह से अब बीजेपी पर सांप्रदायिकता की राजनीति करने का इल्जाम लगाएंगे? तेलंगाना में 7 दिसंबर को मतदान होगा। (रजत शर्मा)
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