Rajat Sharma’s Blog: ममता ने अपना गोत्र बताकर क्यों खेला हिंदू कार्ड?
इस बात में तो कोई शक नहीं है कि बीजेपी ने बंगाल में बड़े-बड़े नेताओं की कारपेट बॉम्बिंग करके हवा तो बना दी है। इसका असर ग्राउंड पर दिखता भी है।
पश्चिम बंगाल में हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बीच विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए मतदान जारी है। इन घटनाओं में बीजेपी और तृणमूल के कई समर्थकों के हताहत होने की खबरें हैं। सबकी निगाहें नंदीग्राम पर टिकी हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग वोट देने के लिए मतदान केंद्रों पर कतार में खड़े दिखे। इस सीट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कभी उनके वफादार रहे शुभेंदु अधिकारी चुनौती दे रहे हैं।
ममता बनर्जी बुधवार की पूरी रात नंदीग्राम में ही रहीं जहां उन्होंने अपने पार्टी के पोलिंग एजेंट्स के साथ चुनावी तैयारियों का पूरा आकलन किया। उपद्रवी तत्वों को इलाके में दाखिल होने से रोकने के लिए नंदीग्राम की ओर जानेवाली सभी सड़कों को सुरक्षा बलों ने सील कर दिया है। शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 22 कंपनियों को तैनात किया गया है। कई क्षेत्रों में हिंदू और मुस्लिम मतदाताओं के बीच तनाव भी देखा गया।
यह तनाव इसलिए है वोटिंग से कुछ घंटे पहले नंदीग्राम के वोटर्स को हिन्दू और मुसलमान में बंटा हुआ देखा गया। यहां वोटों का ध्रुवीकरण हो रहा है। बात कितनी बढ़ चुकी है इसका अंदाज आपको इस बात से हो जाएगा कि ममता बनर्जी ने बुधवार को एक सभा में अपना गोत्र बता दिया। उन्होंने कहा कि उनका गोत्र शांडिल्य है जो ब्राह्मणों के शीर्ष 8 गोत्रों में एक है। इससे साफ है कि वह अपना संदेश उन हिंदू मतदाताओं तक पहुंचाना चाहती थीं जिनका झुकाव बीजेपी उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी की ओर है। वहीं, ममता के गोत्र बताने का जवाब में बीजेपी ने जय श्रीराम का नारा लगाया । लगता है प्रधानमंत्री मोदी ने ममता की राजनीति का मुहावरा बदल दिया है।
उधर, ममता के गोत्र बताने के बाद AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी टिप्पणी की। ओवैसी ने आरोप लगाया कि बंगाल चुनाव में ज्यादातर राजनीतिक दल अब 'हिंदू कार्ड' खेल रहे हैं। ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘मेरे जैसे लोगों के साथ क्या होना चाहिए जो न शांडिल्य हैं, न जनेऊधारी (राहुल गांधी के लिए) हैं, न किसी भगवान के भक्त हैं, न चालीसा पढ़ते हैं और न कोई पाठ करते हैं? हर पार्टी को लगता है कि उसे जीतने के लिए अपनी हिंदू साख दिखानी होगी। यह अनैतिक, अपमानजनक है और इसके सफल होने की संभावना नहीं है।’
ममता बनर्जी ने अपनी नंदीग्राम रैली में वास्तव में कहा क्या था? उन्होंने कहा था, 'जब मैं मंदिर गई तो पुजारी ने मेरा गोत्र पूछा। मुझे याद है कि त्रिपुरेश्वरी मंदिर में मैंने कहा था कि मेरा गोत्र 'मां, माटी और मानुष' है, लेकिन जब पुजारी ने आज मेरा गोत्र पूछा, तो मैंने कहा, 'व्यक्तिगत तौर पर मेरा गोत्र शांडिल्य गोत्र है, लेकिन मेरा मानना है कि मेरा गोत्र 'मां , माटी और मानुष’ है।
ममता के गोत्र बताने पर बीजेपी ने उन पर निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का गोत्र भी शांडिल्य है। उन्होंने कहा कि ममता उन्हीं की गोत्र की निकलीं लेकिन ममता ने सबसे ज्यादा परेशान अपने ही गोत्र के लोगों को किया। गिरिराज सिंह ने सवाल किया, ‘क्या रोहिंग्या और घुसपैठिये भी शांडिल्य हैं? जिन लोगों ने हिंदुओं का अपमान किया और दुर्गा पूजा जुलूसों पर प्रतिबंध लगाया, वे अब अपने गोत्र का खुलासा कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें हार का डर है। शांडिल्य गोत्र राष्ट्र और सनातन धर्म को समर्पित है, वोटों को नहीं।’
ममता बनर्जी ने जब नंदीग्राम में 25 हिंदू मंदिरों का दौरा किया, तो बीजेपी के नेताओं ने आरोप लगाया कि वह एक फर्जी हिंदू हैं, क्योंकि उन्होंने रामनवमी का जुलूस को निकालने की इजाजत नहीं दी थी। ममता ने तब जवाब दिया कि वह एक धर्मपरायण हिंदू हैं और रोजाना चंडी पाठ का जाप किए बिना वह घर से बाहर नहीं निकलतीं।
अब नंदीग्राम के 70 फीसदी हिंदू और 30 फीसदी मुस्लिम मतदाता आज अपना फैसला देने वाले हैं। हालांकि ममता बनर्जी को मुस्लिम वोटों पर पूरा भरोसा है, और कई हिंदू मतदाता भी उनका समर्थन कर सकते हैं, लेकिन ममता उन्हें लेकर निश्चित नहीं हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को कहा कि ममता को महसूस हो गया है कि मतगणना के दिन (2 मई को) उनकी हार होने वाली है। उन्होंने कहा, ‘वह जानती हैं कि 2 मई के बाद उनको घर बैठना होगा। यही वजह है कि वह अपना गोत्र बता रही हैं और चंडी पाठ का जाप कर रही हैं। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से मान लिया है कि बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की जीत होगी।’
नड्डा ने कहा, यही वजह है कि ममता ने विपक्ष के अन्य नेताओं को SOS भेजा है। बुधवार को ममता ने सोनिया गांधी, फारूक अब्दुल्ला, नवीन पटनायक, वाईएस जगन मोहन रेड्डी, एमके स्टालिन, अखिलेश यादव, शरद पवार और अरविंद केजरीवाल सहित विपक्ष के 14 बड़े नेताओं को चिट्ठी भेजकर उनसे एकजुट होने की अपील की। अपने पत्र में ममता ने लिखा कि बीजेपी ‘भारत में एक पार्टी का शासन स्थापित करने’ की कोशिश कर रही है, जिसे रोकना ज़रूरी है।
नड्डा ने कहा कि ममता ने अन्य विपक्षी नेताओं को SOS भेजकर पैनिक बटन दबाया है, क्योंकि उन्हें हार का डर सता रहा है। असल में नंदीग्राम तृणमूल और बीजेपी की लड़ाई के सबसे बड़े केंद्र के रूप में उभरकर सामने आया है। ममता बनर्जी को चुनौती देने वाले शुभेंदु अधिकारी अपनी रैलियों में जय श्री राम का नारा लगा रहे हैं, और ममता को इसके मुकाबले में खुद को अधिकारी से भी बड़ा हिंदू साबित करने के लिए अपना गोत्र बताना पड़ा है।
बीजेपी के नेता इस बात से खुश हैं कि उन्होंने ममता बनर्जी को अपना गोत्र बताने को, अपने आपको धर्मपरायण ब्राह्मण बताने को मजबूर कर दिया। बीजेपी इसे अपनी वैचारिक जीत मानती है। बात कुछ हद तक सही भी है क्योंकि इसके पहले हम हर चुनाव में सुनते थे मुस्लिम कार्ड खेला जा रहा है। नेता इफ्तार पाटियां करते थे, मुसलमान मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने की कोशिश करते थे। ऐसा पहली बार हुआ है कि सभी पड़ी पार्टियां खुलेआम हिंदू कार्ड खेलने लगी हैं। बंगाल की राजनीति में यह बहुत बड़ा बदलाव है।
इस बात में तो कोई शक नहीं है कि बीजेपी ने बंगाल में बड़े-बड़े नेताओं की कारपेट बॉम्बिंग करके हवा तो बना दी है। इसका असर ग्राउंड पर दिखता भी है। यह सही है कि बीजेपी के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ जैसे कई बड़े स्टार कैंपेनर हैं, लेकिन पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उसके पास केंद्र का एक भी ऐसा बड़ा वक्ता नहीं है जो बंगाली भाषा में अपनी बात रखता हो। ऐसे में ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी बंगाली भाषा, बंगाल के कल्चर और लोकल प्राइड को बड़ा इश्यू बना रहे हैं। बीजेपी के पास कम से कम इसका जबाव मौजूद नहीं है।
अब बिसात पर गोटियां चल चुकी है। अगर ममता बनर्जी नंदीग्राम का चुनाव जीत जाती हैं तो पश्चिम बंगाल की राजनीति में उनका दबदबा और बढ़ जाएगा। बंगाल का चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में उनका कद बहुत बड़ा हो जाएगा। वह मोदी को चैंलेज देने वाली एक बड़ी नेता बन जाएंगी। लेकिन अगर ममता नंदीग्राम हार गईं तो समझ लीजिए बंगाल भी हाथ से गया, और अगर बंगाल में बीजेपी की सरकार बनी तो मोदी का वर्चस्व और बढ़ जाएगा। पूरे देश में संदेश जाएगा कि नरेंद्र मोदी ने देश की राजनीति का नक्शा बदल दिया। ऐसे में विपक्ष के लिए मोदी और उनकी पार्टी को हराने की सोचना मुश्किल तो हो जाएगा, नामुमकिन भले ही न हो। हालांकि मैं जानता हूं कि ममता फाइटर हैं और इतनी आसानी से हार मानने वाली नहीं हैं। इसलिए 2 मई तक इंतजार करना ही बेहतर होगा। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 31 मार्च, 2021 का पूरा एपिसोड