Rajat Sharma’s Blog: गरीबों के खाने की जमाखोरी करने वाले इंसानियत के माथे पर कलंक हैं
130 करोड़ लोगों के एक विशाल देश में कुछ बदमाश और जमाखोर भले ही हों, लेकिन वे मानवता के सागर में कुछ बुंदों के बराबर हैं।
गुरुवार रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने आपको मेरठ में एक घर के अंदर सड़ते हुए खाने के पैकेट्स दिखाए थे। हमने यह भी दिखाया कि कैसे पंजाब, राजस्थान और यूपी में कुछ लोग पुलिस को फर्जी कॉल करके कई दिनों से भूखे होने की बात कह रहे हैं। जब पुलिस और जिले के स्थानीय अधिकारी वहां पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि कॉल करने वाले लोग मजे में थे, बिरयानी खा रहे थे, शराब पी रहे थे। यह बताने की जरूरत नहीं है कि पुलिस ने इन सभी बदमाशों के ऊपर मामला दर्ज कर लिया है।
ये बेशर्म लोग एक ऐसे समय में इतने अमानवीय कैसे हो सकते हैं जब हमारे शहरों और घरों पर कोरोना वायरस के घातक बादल मंडरा रहे हैं? लाखों गरीब हर दिन 2 जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, खाने के पैकेट्स पाने के लिए घंटों कतार में खड़े हो रहे हैं, और इंसान के भेष में ये शैतान अपने घरों के अंदर खाने के पैकेट इकट्ठा कर रहे हैं और सड़ा रहे हैं।
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के 38 दिन पूरे होने के साथ ही नीति नियंताओं के मन में इस बात की चिंता है कि उन लाखों गरीब परिवारों को भोजन कैसे दिया जाए जिनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं है। पुलिसकर्मी और महिलाएं गरीबों के लिए रोटियां और खाना बनाने में व्यस्त हैं, गरीबों को बांटने के लिए गुरुद्वारों में खाने के पैकेट पैक किए जा रहे हैं, स्थानीय अधिकारी जरूरतमंदों के लिए कम्युनिटी किचन चला रहे हैं, और यहां हमारे आसपास ऐसे लोग भरे पड़े हैं जिन्हें इंसानियत के माथे पर कलंक ही कहा जा सकता है।
मेरठ में इंडिया टीवी के रिपोर्टर को ऐसे कई कमरे नजर आए जहां सड़ते हुए खाने के पैकेट से भरे हुए थे। इन पैकेट्स को कम्युनिटी किचन से लाया गया था, और इसके चलते कई जरूरतमंद लोगों को खाना नसीब नहीं हो पाया था। मेरठ के ही एक अन्य घर के कमरों में आटे, दाल और चावल के दर्जनों बैग भरे पड़े थे। ये सब इन लोगों ने स्थानीय अधिकारियों और एनजीओ से खुद को गरीब और जरूरतमंद दिखाते हुए हासिल किया था।
ऐसा ही एक परिवार जालंधर में मिला, जिसने हेल्पलाइन को फोन करके कहा कि वे कई दिनों से भूखे हैं। जब पुलिस खाना लेकर उनके घर पहुंची, तो उन्होंने पाया कि घर से सब्जियां बनने की खूशबू आ रही है और उनके पास गेहूं, चावल और दाल के बड़े भंडार हैं। जब पुलिस ने परिवार के सदस्यों को मामला दर्ज करने की धमकी दी, तो उन लोगों ने अपनी हरकत के लिए माफी मांगी। पुलिस ने चेतावनी देने के बाद उन्हें छोड़ दिया।
राजस्थान के भिवाड़ी में 3 युवकों ने ट्विटर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को एक एसओएस भेजा और कहा कि वे पिछले 12 दिनों से भूखे हैं और उन्हें तत्काल मदद की जरूरत है। कुशवाहा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिला कलेक्टर के समक्ष यह मामला उठाया। स्थानीय डीएसपी, तहसीलदार और नगरपालिका आयुक्त तिजारी इलाके में पहुंचे और तीनों शराब पार्टी कर रहे थे और घर में खाने का सामान भरा पड़ा था। पुलिस को इन तीनों युवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी पड़ी।
राजस्थान के सीकर में 181 पर एक शख्स ने डिस्ट्रेस कॉल की। नबी शेर पठान नाम के इस शख्स ने कहा कि उसका परिवार पिछले 4 दिनों से भूखा है। जब पुलिस के साथ स्थानीय पार्षद उसके घर गए, तो पठान ने माना कि उसने शरारत की थी। इसके बाद उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
गाजियाबाद के पास मुरादनगर में एक महिला ने पुलिस को 112 पर फोन करके कहा कि उसे खाने की सख्त जरूरत है। जब पुलिस के साथ स्थानीय पार्षद उसके घर पहुंचे तो उन्होंने पाया कि उसके पास बड़ी मात्रा में आटा, चावल और दालों के बैग भरे पड़े हैं। ये सब सामान महिला ने कई बार में इकट्ठा किया था और उसे एक कमरे के अंदर जमा कर रही थी। जब पुलिस ने पूछा कि ऐसा क्यों किया तो महिला ने कहा कि वह इतना राशन इसलिए जमा कर रही है ताकि आसपास के घरों में बेच सके।
एक तरफ हमारे पास ये बेईमान लोग हैं, जिन्होंने करोड़ों भूखे लोगों का मजाक बनाते हुए गरीबी का कारोबार किया है। और दूसरी तरफ हमारे पास ऐसे लोगों की विशाल सेना भी है जो गरीबों की मदद के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। ये हमारे धार्मिक और सामाजिक संगठन हैं जो भूख के खिलाफ लड़ाई जीतेंगे, चाहे जो हो जाए। 130 करोड़ लोगों के एक विशाल देश में कुछ बदमाश और जमाखोर भले ही हों, लेकिन वे मानवता के सागर में कुछ बुंदों के बराबर हैं। आइए, उन लोगों पर ध्यान दें जिन्हें खाने और मदद की दरकार है। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 अप्रैल, 2020 का पूरा एपिसोड