सुप्रीम कोर्ट द्वारा कर्नाटक विधानसभा में शनिवार को फ्लोर टेस्ट का आदेश देने के बाद ऐतिहासिक शक्ति की तैयारियां शुरु हो गई है । लाख टके का सवाल यह है कि मुख्यमंत्री येदियुरप्पा बहुमत साबित करने के लिए समर्थन कहां से लाएंगे?
224 सदस्यीय विधानसभा में निर्वाचित विधायकों की संख्या 222 है। जबकि बहुमत का आंकड़ा प्राप्त करने लिए 112 विधायक चाहिए। कांग्रेस और जनता दल (एस) ने संयुक्त रूप से दावा किया है दोनों दलों को मिलाकर 116 विधायक हैं जबकि बीजेपी के निर्वाचित विधायकों की संख्या 104 है। वहीं दो निर्दलीय विधायक भी हैं।
येदियुरप्पा के बहुमत साबित करने के सवाल पर बीजेपी खेमे में कुछ फॉर्मूले बताए जा रहे हैं। कर्नाटक में वोकालिंगा और लिंगायत समुदाय की खटपट जगजाहिर है। बीजेपी के नेताओं को भरोसा है कि कांग्रेस और जेडी (एस) के असंतुष्ट लिंगायत विधायकों का समर्थन उन्हें मिलेगा। हालांकि यह महज अटकलें हैं। इससे ज्यादा इसमें कुछ भी नहीं है।
दूसरी चर्चा इस बात की है कि कुमारस्वामी के भाई एचडी रेवन्ना अपनी पार्टी में बगावत कर सकते हैं। उन्हें हमेशा इस बात की शिकायत रही कि उन्हें देवेगौड़ा ने आगे नहीं बढ़ने दिया। हालांकि ये सब भी सुनी सुनाई बातें हैं।
पर्दे के पीछे क्या होगा? कौन किससे हाथ मिलाएगा? इसका सही-सही आकलन करना मुश्किल है। क्योंकि ये बातें कोई किसी को बताता नहीं है। कांग्रेस के खेमे में डर का माहौल व्याप्त है जबकि बीजेपी खेमा बहुमत साबित करने को लेकर बेहद आश्वस्त है। बीजेपी नेताओं को लगता है कि येदियुरप्पा बहुमत साबित कर देंगे। और इस विश्वास की सबसे बड़ी वजह ये है कि येदियुरप्पा पहले भी ऐसा करके दिखा चुके हैं। (रजत शर्मा)
Latest India News