Rajat Sharma’s Blog: कोरोना महामारी के बीच वैक्सीनेशन को लेकर आई अच्छी खबर
सरकार की तरफ से वैक्सीन को लेकर जो भरोसा दिलाया गया है उससे साफ है कि सरकार के पास वैक्सीन को लेकर नीति भी है और सबको टीका लगे इसकी नीयत भी है।
देशभर में कोरोना के ताजा मामलों में गुरुवार को गिरावट देखी गई लेकिन रोजाना हो रही मौतों की संख्या अभी भी ज्यादा है। पिछले 24 घंटे में कोरोना के 3,43,144 नए मामले सामने आए जबकि इस घातक संक्रमण से 4 हजार लोगों की मौत हो गई। इस दौरान 3,44,776 मरीज स्वस्थ हुए और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। देशभर में कोरोना के कुल 37,04,893 एक्टिव मामले हैं। वहीं शुक्रवार सुबह तक देशभर में कुल 17.92 करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी जा चुकी है।
प्रभावित राज्यों की लिस्ट में महाराष्ट्र अभी भी सबसे ऊपर है। यहां कोरोना के 42,582 नए मामले आए जबकि 850 लोगों की मौत हुई। कर्नाटक में 35,297 नए मामले आए और 344 मौतें हुईं, तमिलनाडु में 30,621 नए मामले आए और 297 लोगों की मौत हो गई, आंध्र प्रदेश में 22,399 नए मामले आए और 89 मौतें हुई, पश्चिम बंगाल में 20,839 नए मामले आए और 129 लोगों की मौत हो गई। उत्तर प्रदेश में 17,775 नए मामले आए और 281 लोगों की मौत हुई, राजस्थान में 15,867 नए मामले आए और 159 मौतें हुईं जबकि बिहार में कोरोना के कुल 7,752 नए मामले सामने आए। वहीं उत्तराखंड में 7,217 नए मामले आए और 122 लोगो की मौत हो गई। मध्य प्रदेश में 8,419 नए मामले आए और 74 लोगों की मौत हुई। तेलंगाना में कोरोना के 4,693 नए मामले आए जबकि 33 लोगों की मौत हुई वहीं देश के छोटे राज्यों में से एक गोवा में 2,491 नए मामले सामने आए और 63 लोगों की मौत हो गई।
गोवा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में गुरुवार को एक दुखद घटना हुई। यहां ऑक्सीजन सप्लाई में कमी के चलते 15 और मरीजों की मौत हो गई। मंगलवार को ऑक्सीजन की कमी के कारण इस अस्पताल में कोरोना के 26 मरीजों की मौत हो गई थी। अधिकारियों के मुताबिक आधी रात से सुबह आठ बजे तक अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद रही जिससे कोरोना के 15 मरीजों की जान चली गई।
दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में हालात सुधरे हैं, लेकिन बेंगलुरू में हालात अभी भी खराब है। दिल्ली की बात करें तो गुरुवार को 10,489 नए मामले सामने आए और 308 लोगों की मौत हुई। यहां पॉजिटिविटी रेट गिरकर 14.3 प्रतिशत हो गया है और कुल 77,717 एक्टिव मामले हैं। दिल्ली में ऑक्सीजन की जरूरत भी अब कम हो गई है और दिल्ली सरकार ने अपने बचे हुए ऑक्सीजन स्टॉक को अन्य राज्यों को देने की पेशकश की है।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को ऐलान किया कि इस साल अगस्त से दिसंबर तक 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के सभी नागरिकों के लिए कोरोना वैक्सीन की करीब 217 करोड़ डोज उपलब्ध होंगी। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने कहा, 95 करोड़ भारतीय ऐसे हैं जिनकी उम्र 18 वर्ष से ज्यादा है। इस बीच वैक्सीन की 51.6 करोड़ डोज का ऑर्डर दे दिया गया है। ये वैक्सीन जुलाई तक उपलब्ध हो जाएगी।
अगस्त से दिसंबर के बीच भारत में कोरोना वैक्सीन की जो 216.8 करोड़ डोज उपलब्ध होने की उम्मीद है इनमें ज्यादातर वैक्सीन का उत्पादन अपने देश में ही होगा। सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड की 75 करोड़ डोज उपलब्ध कराएगी। देश में निर्मित भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की 55 करोड़ डोज मिलेगी। इसी तरह बायो वैक्सीन (Bio E subunit) की 21 करोड़ डोज, नोवावैक्स वैक्सीन की 20 करोड़ डोज, रूस में डिवेलप की गई स्पुतनिक V वैक्सीन की 15 करोड़ डोज उपलब्ध हो जाएगी। यही नहीं, जाएडस कैडिला डीएनए वैक्सीन की 5 करोड़ डोज, बी.बी. नेजल वैक्सीन की 10 करोड़ डोज, जिनोवा (Gennova mRNA) वैक्सीन की 6 करोड़ डोज उपलब्ध होंगी। स्वास्थ्य मंत्रालय को उम्मीद है कि अगले साल के शुरुआती 3 महीने तक देश में वैक्सीन की 300 करोड़ डोज उपलब्ध होंगी।
फार्मा कंपनी डॉक्टर रेड्डीज लैब भारत में रूस की स्पुतनिक V वैक्सीन का प्रोडक्शन करेगी। इस वैक्सीन का प्रोडक्शन जुलाई में शुरू हो जाएगा। रूस की यह वैक्सीन परीक्षण के दौरान 92 प्रतिशत प्रभावी रही है। इस बीच वैक्सीनेशन पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) ने सिफारिश की है कि कोविशील्ड की दूसरी डोज 12 से 16 हफ्ते के अंतराल के बाद लगाई जाए। इससे पहले दोनों डोज के बीच 4 से 6 हफ्ते का गैप होता था।
मेडिकल जर्नल द लैंसेट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविशील्ड की 2 डोज के बीच 12 हफ्तों यानी 3 महीने का अंतर होने से इसका असर बढ़ जाता है। भारत में एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन का प्रोडक्शन करने वाले सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के CEO अदार पूनावाला भी कह चुके हैं कि अगर वैक्सीन के 2 डोज के बीच 2-3 महीने का अंतर रखा जाए, तो वैक्सीन 90 पर्सेंट तक असरदार हो जाती है। ब्रिटेन और कनाडा में कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज 4 महीने बाद दी जा रही है। NTAGI ने सलाह दी है कि जो लोग कोविड-19 से ठीक हो गए हैं, उन्हें 6 महीने के गैप के बाद ही वैक्सीन की डोज दी जानी चाहिए, क्योंकि कोरोना से रिकवर होने के बाद करीब 6 महीने तक शरीर में एंडीबॉडीज रहती हैं।
केंद्र द्वारा दिसंबर तक वैक्सीन की 216 करोड़ डोज उपलब्ध कराने के इरादे की घोषणा के साथ ही अब सबकुछ साफ हो गया है। इसके साथ ही सरकार ने वैक्सीन का स्टॉक कम होने पर राजनीतिक विरोधियों द्वारा फैलाई जा रही आशंकाओं और निराशाओं को एक झटके में खत्म कर दिया है। सरकार की तरफ से वैक्सीन को लेकर जो भरोसा दिलाया गया है उससे साफ है कि सरकार के पास वैक्सीन को लेकर नीति भी है और सबको टीका लगे इसकी नीयत भी है। लेकिन अकेले केंद्र सरकार की कोशिशों से कोरोना को नहीं हराया जा सकता है, इसके लिए राज्यों के स्तर पर भी उतनी ही कोशिश की जरूरत है। राज्यों को सुनिश्चित करना होगा कि उन ग्रामीणों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को भी वैक्सीन लगाई जाए, जो कोविन ऐप का इस्तेमाल नहीं करते।
हमने अपनी रिपोर्टर गोनिका अरोड़ा को दिल्ली के कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज के पास स्थित एक झुग्गी बस्ती में भेजा। वहां की झुग्गियों में रहनेवाले अधिकांश लोगों ने कहा कि उन्हें वैक्सीन लगाने के लिए कहने के लिए प्रशासन का कोई भी आदमी नहीं आया। इनमें से अधिकांश लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं थे। इन लोगों की मांग है कि उनकी बस्ती में भी वैक्सीनेशन सेंटर बनाया जाए और आाधार कार्ड देखकर वैक्सीन दी जाए। उस झुग्गी में वैक्सीन के बारे में आधारहीन अफवाहें भी फैलाई जा रही थीं। मुंबई में इंडिया टीवी के रिपोर्टर राजीव कुमार मछुआरों के मोहल्ले मच्छीमार नगर गए। वहां रहने वाले मछुआरों को CoWin ऐप पर अपना नाम दर्ज कराने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अधिकांश मछुआरे वैक्सीनेशन के लिए गए थे, लेकिन नाम दर्ज नहीं होने के कारण वैक्सीन लगवाए बगैर लौट आए। गरीबों और वंचितों को आसानी से वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकारों को बिल्कुल जमीनी स्तर पर काम करना होगा।
दिल्ली में अब तक लगभग 100 वैक्सीनेशन सेंटर्स को वैक्सीन न होने के चलते बंद कर दिया गया है, जबकि मुंबई ने स्टॉक की कमी के कारण 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन बंद कर दिया है। भारत में अब तक 21 करोड़ लोगों ने CoWin ऐप पर अपना नाम रजिस्टर कराया है, लेकिन वे वैक्सीन लगवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। गुरुवार को ही 22 लाख से ज्यादा लोगों ने वैकसीनेशन के लिए अपना नाम रजिस्टर कराया। देशव्यापी वैक्सीनेशन का यह अभियान वाकई में बहुत बड़ा है, और इसके लिए केंद्र, राज्यों और निजी क्षेत्र के बीच करीबी तालमेल की जरूरत है।
हमारे यहां वैक्सीन की इतनी ज्यादा जरूरत है कि पूरी दुनिया में जितनी वैक्सीन इस वक्त बन रही है वो भी हम यदि खरीद लें, तो भी 18 साल से ज्यादा के लोगों को लगाने के लिए पूरी नहीं पड़ेगी। सच तो यह है कि दुनिया के बाजार में वैक्सीन उपलब्ध ही नहीं है। सिर्फ चीन की कंपनी सिनोफार्म के टीके उपलब्ध हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक चीनी वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है। अमेरिकी वैक्सीन निर्माता फाइजर ने भारत में आवेदन किया था, लेकिन बाद में अपना आवेदन वापस ले लिया क्योंकि उसने मांग की थी कि भारत में उसे किसी भी तरह की लीगल लायबिलिटी से सुरक्षा दी जाए। अमेरिका में एस्ट्राजेनेका (कोविशील्ड) की लगभग 2 करोड़ खुराकें उपलब्ध हैं, लेकिन FDA ने अभी तक उन्हें भारत को सप्लाई करने के लिए मंजूरी नहीं दी है। बाल्टीमोर में जिस कंपनी ने यह वैक्सीन बनाई थी, वह अब FDA से जुड़े विवाद में उलझी हुई है। जब तक कंपनी इसकी एफिकेसी में सुधार नहीं करती, तब तक यह वैक्सीन अमेरिका में ही पड़ी रहेगी। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 13 मई, 2021 का पूरा एपिसोड