राजस्थान के टोंक जिले के कस्बे मालपुरा में लगातार दो दिन साम्प्रदायिक झड़प के बाद कर्फ्यू लगाना पड़ा। गंगाजल लेकर मंदिरों में जा रहे कांवड़ियों पर मुस्लिमों के एक समूह ने हमला कर दिया। मुस्लिम बहुल इलाके से जब कांवड़िये गुजर रहे थे उस समय उनपर पथराव हुआ और कुछ गाड़ियों में आग लगा दी गई। इस घटना में 15 कांवड़िये घायल हो गए। हालात अब नियंत्रण में हैं। ठीक इसी तरह यूपी के बरेली जिले में कांवड़िये मुस्लिम बहुल इलाके से होकर गुजरने के लिए जिद करने लगे। स्थानीय बीजेपी विधायक कांवड़ियों को उस इलाके से गुजरने देने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए।
सावन महीने में भगवान शिव की पूजा के लिए हर साल कांवड़ यात्रा निकलती है। इस दौरान तीर्थयात्री गंगाजल लेकर पैदल चलते हैं और भगवान शिव पर अर्पित करते हैं। कांवड़िये जिन रास्तों से गुजरते हैं उन रास्तों में मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे भी आते हैं। वे हिंदू-बहुल और मुस्लिम-बहुल इलाकों से होकर भी गुजरते हैं। अगर किसी इलाके के लोग ये कहें कि वो यात्रा को नहीं निकलने देंगे या कांवड़ियों पर पथराव करने लगें, उन्हें पीटने लगे तो यह गलत है।
इन घटनाओं के बाद बरेली और टोंक के स्थानीय हिंदू नेताओं ने धमकी दी है कि वे मुहर्रम के दौरान 'ताजिया' जुलूस को अपने इलाके से नहीं निकलने देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे मुसलमानों को खुले में या हिन्दू-बहुल इलाके में नमाज नहीं पढ़ने देंगे। ये दोनों बातें देश के लिए अच्छी नहीं हैं। यह हमारी सामाजिक एकता के ताने-बाने को कमजोर करता है और एक खतरनाक संकेत है। हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के नेताओं को सह-अस्तित्व की भावना को समझना चाहिए और शांतिपूर्वक रहते हुए एक-दूसरे को जुलूस निकालने और प्रार्थना करने की इजाजत देनी चाहिए। (रजत शर्मा)
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