Rajat Sharma’s Blog: चीन पहले अपने वादे को निभाए
एलएसी की तरफ हथियारों के मूवमेंट का सिलसिला बंद नहीं हुआ है। इसीलिए हमारी तरफ से चीन को साफ-साफ कहा गया है कि पहले चीन पीछे हटे, जवानों की, टैंकों और अन्य हथियारों की तैनाती को कम करे और इसके सबूत दे।
बुधवार की रात अपने शो 'आज की बात' में मैंने पहली बार आपको अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास सैनिकों की तैनाती के दृश्य दिखाए। भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी में से 1,080 किलोमीटर का हिस्सा अकेले अरुणाचल प्रदेश में पड़ता है। यहां से तिब्बत बिल्कुल करीब है। तिब्बत के पठार के अधिकांश हिस्से को अरुणाचल के एलएसी से आसानी से देखा जा सकता है। कई प्वाइंट्स पर तो हालात ये है कि भारत और चीन के जवान एक दूसरे को आमने-सामने देख सकते हैं और बात कर सकते हैं।
चीन के बारे में जैसा आप जानते हैं कि वह 50 के दशक से ही अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताने की कोशिश करता रहा है। चीन अरुणाचल प्रदेश को 'दक्षिणी तिब्बत' का हिस्सा बताकर इसे भारत के एक राज्य के रूप में मान्यता नहीं देता है। देश के टीवी दर्शकों ने अबतक अपने टीवी स्क्रीन पर एलएसी को लेकर ज्यादातर दृश्य लद्दाख का ही देखा है जो कि पश्चिमी सेक्टर में पड़ता है। उन्होंने एलएसी के पूर्वी सेक्टर में पड़ने वाले अरुणाचल प्रदेश का दृश्य कम ही देखा है। जबकि टेंशन तो पूरी एलएसी पर है। अरुणाचल प्रदेश से लगती चीन की सीमा पर भी दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। इंडिया टीवी रिपोर्टर अनुपम मिश्रा कैमरामैन सुजीत दास के साथ एलएसी तक गए और उस जगह की तस्वीरें भेजी हैं, जहां से सिर्फ दो सौ मीटर की दूरी पर हिन्दुस्तान और चीन के जवान एक-दूसरे के सामने मोर्चा संभाले खड़े हैं।
मै आपको बता दूं कि इस वक्त अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर पचास हजार जवान तैनात हैं। पांच हजार आईटीबीपी के जवानों की तैनाती है, जो अधिक ऊंचाई वाले इलाके, मुश्किल हालात में सर्वाईव करने में और जंग करने में माहिर हैं। इस इलाके में राफेल के साथ सुखोई-30, मिग-29 और मिराज-2000 जैसे फाइटर जेट भी लगातार उड़ान भर रहे हैं। चीन की तरफ भी सैनिकों की तैनाती जबरदस्त है।
अरुणाचल प्रदेश में सरहद तक पहुंचना आसान नहीं है। हमारे रिपोर्टर और कैमरामैन भारत-चीन एलएसी के आखिरी प्वॉइंट तक पहुंचे, जहां से चीन की चोटियां, चीन की सरहद, चीन का पहाड़ी इलाका बिल्कुल साफ-साफ नजर आ रहा था। यहां पर भी अतिरिक्त सैनिकों की पूरी तैनाती हो चुकी है। लगातार ऊंचाई वाले इलाके में फॉरवर्ड पोस्ट की तरफ जवानों का मूवमेंट भी हो रहा है। हैवी आर्टिलरी गन समेत तमाम सेना के कई अहम हथियार और युद्ध के साजो-सामान भी तैनात किए जा चुके हैं।
सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण से हम आपको इस बात की बारीक डिटेल दे नहीं सकते कि किस तरह के युद्ध के हथियार और साजो-सामान यहां इकट्ठा किए गए हैं लेकिन मैं इतना बता सकता हूं कि इस वक्त अरुणाचल में भारत और चीन के बीच एलएसी पर हमारी सेना बिल्कुल अलर्ट है। आर्मी के लिए सप्लाई लाइन लगातार चालू है। आने वाले ठंड के मौसम को देखते हुए रसद और अन्य दूसरे सामान यहां पहुंचाए जा रहे हैं। इस इलाके का सबसे बड़ा दुश्मन मौसम है। सर्दियों के दौरान, बर्फबारी और भूस्खलन के बीच जीना बेहद मुश्किल होता है। दिन में यहां न्यूनतम तापमान माइनस 10 डिग्री रहता है तो वहीं रात में यह घटकर माइनस 20 डिग्री तक चला जाता है। लेकिन तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे जवान चीनी सैनिकों की हर चाल पर पहाड़ की ऊंचाइयों से नजर रख रहे हैं।
एलएसी पर जारी तनाव के बीच चीन की ओर से लगातार विभिन्न तरह के संकेत भेजे जा रहे हैं। सोमवार की रात को चीनी सेना द्वारा तिब्बत की राजधानी ल्हासा में हवाई हमले का सायरन बजाया गया था। सायरन बजने के बाद अफसरा-तफरी मच गई और लोग बंकर्स की तरफ भागे। दरअसल, साफतौर पर यह चीन की सेना (पीएलए) की चाल थी। इस तरह की हरकत दुश्मन को दबाव में लाने और विरोधी को अचानक चौंका कर गलत कदम उठाने के लिए मजबूर करने के लिए की जाती है। चीन ने इस हरकत के जरिए हमारी वायुसेना का रिएक्शन देखने और परखने की कोशिश की। लेकिन भारतीय सेना के अफसर और जवान चीन की इस चाल में नहीं फंसे। कोई जवाब नहीं दिया गया। लेकिन ये सही है कि हमारी आर्मी और एयरफोर्स पूरी तरह तैयार है। बुधवार को राफेल की गगनभेदी गर्जना लद्दाख में सुनाई दी। राफेल लड़ाकू विमानों ने लद्दाख में एलएसी के पास उड़ान भरी जिसे देखकर लोग रोमांचित हो उठे।
हालांकि, भारत और चीन के बीच अग्रिम मोर्चे पर और सैनिक नहीं भेजे जाने को लेकर सहमति बनी है लेकिन चीन ने जो पचास हजार जवान पूर्वी लद्दाख के अलग-अलग फ्रिक्शन प्वाइंट पर तैनात कर रखा है, उसे कब पीछे हटाएगा इसपर कुछ भी स्पष्ट नहीं है। चीन ने जो फाइटर जेट्स, गोला बारूद, एंटी टैंक मिसाइल आदि हाथियार इकट्ठा कर रखा है उसे चीनी सैनिक अपने साथ कब पीछे ले जाएंगे इसपर बात अटकी हुई है। कुल मिलाकर, राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संयुक्त राष्ट्र में यह दावा करने के बावजूद कि उनका देश न तो कोल्ड वार चाहता है और न ही हॉट वार, चीनी सेना के जनरलों के रवैये और इरादे में कोई बदलाव नहीं आया है।
भारतीय सेना की खुफिया इकाई के पास पूरी जानकारी है कि चीन ने सरहद के पास कितने जवानों को तैनात किया है। कहां-कहां पर कौन से हथियार फिट किए गए हैं। कौन-कौन से फाइटर जेट तैनात किए गए हैं और हकीकत ये है कि शी जिंनपिंग के शान्ति के बयान के बाद भी एलएसी पर तैनात चीन के जवानों की संख्या कम नहीं हुई है, बल्कि बढ़ गई है। एलएसी की तरफ हथियारों के मूवमेंट का सिलसिला बंद नहीं हुआ है। इसीलिए हमारी तरफ से चीन को साफ-साफ कहा गया है कि पहले चीन पीछे हटे, जवानों की, टैंकों और अन्य हथियारों की तैनाती को कम करे और इसके सबूत दे। उन सबूतों को जब हमारी सेना वैरीफाई कर लेगी, उसके बाद ही शान्ति हो सकती है, तभी तनाव कम हो सकता है। अन्यथा यह गतिरोध जारी रहेगा। अब यह चीन पर निर्भर करता है कि वह अपने वादे पर अमल कर शांति की राह बनाना चाहता है या फिर गतिरोध को बरकरार रखना चाहता है। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 23 सितंबर, 2020 का पूरा एपिसोड