Rajat Sharma's Blog: हालात सामान्य होने के बाद केंद्र को कश्मीर में चुनाव कराने चाहिए
हमारे सुरक्षा बलों के सामने दो तरह की चुनौतियां हैं: एक, सुरक्षा बलों को अत्यंत संयम बरतते हुए कश्मीर में अमन-चैन कायम रखना है। दूसरी चुनौती है, दहशतगर्दों और पाकिस्तानी सेना के नापाक मंसूबों को नाकाम करना।
कश्मीर घाटी में धीरे-धीरे हालात सामान्य होने के साथ ही प्रशासन स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारियों में जुटा है। श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में मंगलवार को ड्रेस रिहर्सल का आयोजन किया गया। राज्य सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि वह 12 अक्टूबर से श्रीनगर में तीन दिनों के लिए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन करेगी। इस सम्मेलन में भारत और विदेशों से निवेश की उम्मीद है। नए उद्योगों से स्थानीय युवकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और इससे लोगों में भरोसा बढ़ेगा।
वर्तमान में घाटी के आम आदमी को कम्युनिकेशन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में सीमा पार से पाकिस्तानी स्टेट मीडिया अनावश्यक अफवाहों को फैला रहा है। राज्यपाल पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि स्वतंत्रता दिवस समारोह संपन्न होने के बाद सेलफोन और इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी।
मुझे लगता है कि कम से कम दो काम सरकार को और करने चाहिए। पहला, केंद्र सरकार को राज्य में विधानसभा चुनाव कराने की तैयारियां जल्द से जल्द शुरू कर देनी चाहिए जिससे कि लोगों को ये न लगे कि जम्मू कश्मीर में अब केन्द्र सरकार का राज चलेगा, उन्हें ऐसा लगे कि वो अपनी सरकार चुन सकेंगे। दूसरे कदम के तहत लोगों को ये भी यकीन दिलाया जाए कि विधानसभा चुनाव के बाद अगर हालात ठीक-ठाक रहे तो जम्मू कश्मीर को एक बार फिर पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। इससे अमन और तरक्की के रास्ते खुलेंगे।
पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के आसपास अपनी फौज की तैनाती बढ़ाकर, फाइटर जेट, हथियार, गोला बारूद और हैवी आर्टिलरी को मूव कराकर, आतंकवादियों और अलगाववादियों के शिथिल पड़ते मनोबल को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। दो दिन पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ पाक अधिकृत कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास अपनी फौज की तैयारियों का जायजा लेने आए थे, जो इस क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश में जुटी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और उनके वरिष्ठ मंत्री पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में कैंप कर ये सांकेतिक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उनका देश कश्मीरियों के साथ खड़ा है। हालांकि वे एक निरर्थक लड़ाई लड़ रहे हैं।
हमारे सुरक्षा बलों के सामने दो तरह की चुनौतियां हैं: एक, सुरक्षा बलों को अत्यंत संयम बरतते हुए कश्मीर में अमन-चैन कायम रखना है। लोगों के भरोसे पर खरा उतरना है। दूसरी चुनौती है, दहशतगर्दों और पाकिस्तानी सेना के नापाक मंसूबों को नाकाम करना। हमारी सेना और इंटेलिजेंस पाकिस्तान की एक-एक हरकत पर नजर रख रही है, और किसी भी नापाक मंसूबे का मुंहतोड़ जबाव देने के लिए तैयार है।
कूटनीतिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को सफलता नहीं मिली है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी चीन से खाली हाथ लौट आए। उनके चीनी समकक्ष ने उन्हें साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान और भारत को आपस में अपने मतभेदों को दूर करना चाहिए। इसीलिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री को मुजफ्फराबाद में मीडिया से कहना पड़ा कि पाकिस्तानियों को अब दुनिया के बड़े मुल्कों से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'हम इस गलतफहमी में न रहें कि संयुक्त राष्ट्र में कोई हमारे लिए हार लेकर खड़ा है। वहां कोई हमारे समर्थन में कुछ नहीं बोलेगा।' जब इस्लामिक मुल्क ही पाकिस्तान के साथ नहीं हैं, तो दूसरे देश पाकिस्तान के साथ क्यों खड़े होंगे।
अब पाकिस्तानी सेना के सामने एक ही विकल्प है कि वह नियंत्रण रेखा पर और घाटी में माहौल खराब करे। दहशतगर्दों को उकसाकर सीमा पार घुसपैठ करवाए और जम्मू-कश्मीर में खून खराबे की कोशिश करे, ताकि दुनिया का ध्यान इस ओर जाए। पाकिस्तान ऐसी कोशिश कर सकता है, लेकिन इस बार उसकी ये साजिश भी कामयाब नहीं होगी क्योंकि हमारे सुरक्षा बल सतर्क हैं और कश्मीरी अवाम भी पाकिस्तान की हकीकत को समझ चुकी है। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 13 अगस्त 2019 का पूरा एपिसोड