Rajat Sharma’s Blog: कैप्टन अमरिंदर सिंह को गुस्सा क्यों आता है?
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयानों को आने वाले समय में विद्रोह का संकेत माना जा रहा है।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को इंडिया टीवी की विशेष संवाददता विजयलक्ष्मी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पार्टी हाईकमान को आगाह किया अगर पार्टी ने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू को सीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश किया तो विधानसभा चुनावों में पार्टी दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएगी। कैप्टन ने यह भी कहा कि अगर सिद्धू विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो वह उन्हें हराने के लिए जी जान से लड़ेंगे।
कैप्टन अमरिंदर के बयानों को आने वाले समय में विद्रोह का संकेत माना जा रहा है। कैप्टन अमरिंदर ने आरोप लगाया कि सिद्धू के कनेक्शन पाकिस्तान से हैं। कैप्टन ने साफ-साफ कहा- 'सिद्धू पाकिस्तान का यार है, इमरान का यार है, उसे पाकिस्तान से प्यार है और ये प्यार हमारे देश के लिए खतरनाक है।' पूर्व सीएम ने हमारी रिपोर्टर को दिखाया कि कैसे पाकिस्तान हमारे यहां बम-बारूद भेज रहा है, ड्रोन से हथियार गिरा रहा है, ड्रग्स की सप्लाई कर रहा है, 'पंजाब को बर्बाद' करने की साजिश रच रहा है। कैप्टन ने कहा कि इतना सब देख कर भी सिद्धू अभी-भी पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान के कसीदे पढ़ रहा है। लोगों ने सिद्धू को पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल बाजवा को गले लगाते देखा है।
कैप्टन ने कसम खाई है कि वो ऐसे सिद्धू को पंजाब में जमने नहीं देंगे। किसी भी कीमत पर पंजाब में सिद्धू को जीतने नहीं देंगे। अपने लंबे इंटरव्यू में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गांधी-नेहरू परिवार के साथ अपने 67 वर्षों (1954 से) के रिश्ते को याद किया और बताया कि कैसे एक झटके में इस रिश्ते को गांधी परिवार ने तोड़ दिया। उन्होंने इसपर दुख जताया। पूर्व सीएम ने कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी 'राजनीतिक तौर पर परिपक्व नहीं' हैं और उन्हें उनके सलाहकार गुमराह कर रहे हैं।
मैंने अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में बुधवार की रात ये दिखाया कि कैसे कांग्रेस नेतृत्व द्वारा जबरन इस्तीफा देने के लिए मजबूर किए जाने पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुस्सा और दुख जताया। उन्होंने कहा-'चार साल पहले सिद्धू बीजेपी का सांसद था और फिर इधर (कांग्रेस) चला आया। व्हाट इज हिज गेम? वह ड्रामा मास्टर है। लोग उसे सुनने आते हैं क्योंकि वह चुटकुले सुनाता है। वह लोगों का मनोरंजन कर भीड़ इकट्ठी करता है लेकिन लोग उसे वोट नहीं देंगे। अगर पार्टी सिद्धू को चेहरा बनाकर चुनाव में उतरेगी तो निश्चित तौर पर हार जाएगी। चन्नी (मौजूदा सीएम) सही है और उसके नाम पर किसी को आपत्ति नहीं है।'
यह पूछे जाने पर कि क्या इससे अकाली दल या आम आदमी पार्टी को फायदा नहीं होगा, पूर्व सीएम ने कहा-'वोट बंट जाएंगे। कई राजनीतिक दल काम कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी, तीन अकाली दल हैं, इसके अलावा किसान संगठन और फिर बीजेपी है। यह एक तरह से 'खिचड़ी' है। मुझे नहीं पता यह त्रिशंकु विधानसभा होगी या नहीं लेकिन अगर हमारी पार्टी सिद्धू की लीडरशिप में चुनाव लड़ती है तो सीटों की संख्या दहाई के आंकड़े में भी आ जाए तो बहुत बड़ी बात होगी।'
अमरिंदर सिंह ने कहा, '50 साल में मैं पहली बार देख रहा हूं कि मंत्री तय करने के लिए मुख्यमंत्री दिल्ली जा रहे हैं। दिल्ली में बैठे वे नेता मुख्यमंत्री को अपना मंत्रिमंडल बनाने की सलाह दे रहे हैं जिन नेताओं का पंजाब से कोई लेना-देना नहीं है। चन्नी ने पिछले साढ़े चार साल मेरे मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में अच्छा काम किया। वह सही आदमी है। लेकिन अगर वह सिद्धू के नीचे काम करता है फिर पार्टी हार जाएगी। आपके पास एक नेता होना चाहिए। आपके पास दो नेता या फिर सामूहिक लीडरशिप नहीं हो सकती। पंजाब को एक नेता, मजबूत नेता की जरूरत है।'
पूर्व सीएम ने कहा- 'जब मैं दो बार, वर्ष 2002 और 2017 में मुख्यमंत्री बना तो मुझे सोनिया गांधी ने कहा कि जाकर शपथ लो। मैंने पार्टी नेतृत्व से कभी नहीं पूछा कि किसे मंत्री बनाया जाए। मैंने खुद मंत्रियों का चयन किया और उन्हें शपथ दिलाई गई। चन्नी साढ़े चार साल तक मेरे मंत्री रहे, उन्हें हर मंत्री की क्षमता का पता है। उन्हें दिल्ली में (हरीश) रावत, (रणदीप) सुरजेवाला या (अजय)माकन जैसे नेताओं की बात क्यों सुननी चाहिए कि किसे मंत्री बनाना है? मुख्यमंत्री को अपनी कैबिनेट को चलाना होता और मंत्रियों को मुख्यमंत्री पर भरोसा रखना होता है, साथ ही मुख्यमंत्री को भी मंत्रियों पर भरोसा करना होता है।'
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, 'मैंने तीन हफ्ते पहले कांग्रेस अध्यक्षा से मुलाकात की थी और कहा था कि मैं सिदधू के साथ काम नहीं कर सकता क्योंकि हम गलत दिशा में जा रहे हैं। मैंने उनसे कहा कि पार्टी टूट जाएगी, मैं इस्तीफा देना चाहता हूं। उन्होंने कहा- नहीं, आप बने रहें। लेकिन उस दिन जो भी हुआ, अगर वो मुझे फोन करके पद छोड़ने के लिए बोल देतीं तो मैं अपना इस्तीफा उन्हें भेज सकता था। लेकिन जब रात में मुझे कहा गया कि सीएलपी की बैठक बुलाई गई है और सीएलपी लीडर को भी आना है, तो मुझे दुख हुआ।'
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इसके लिए कम समय मिल पाया, पूर्व सीएम ने चुटकी ली, 'मुझे क्या करना चाहिए था? क्या मुझे उन्हें (अपने विधायकों को) गोवा के लिए बस या प्लेन में ले जाना चाहिए था? ये मेरा स्टाइल नहीं है। और अगर 52 साल बाद वे मेरे काम करने के तरीके को नहीं समझ पाए तो यह कैसी लीडरशिप है? उन्हें मेरा स्टाइल पता होना चाहिए। मैं उन लोगों में नहीं हूं जो अपने समर्थकों कही छिपा देते हैं। मेरे समर्थकों ने मुझे सुबह बताया कि उन्हें सीएलपी की बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया है। मैंने उनसे कहा कि मत जाओ, और दोपहर 2 बजे मेरे घर पर आओ। लेकिन जल्द ही फोन बजने लगे और मेरे समर्थकों से कहा गया कि वे मुझसे नहीं मिलें। यह किस तरह का बचपना है?’
अमरिंदर ने कहा, 'सुरजेवाला और कुछ अन्य नेता वहां मीटिंग के लिए आए थे। मैं उस तरह का नेता नहीं हूं। वे अपने विधायकों को दूसरे राज्यों में छिपा सकते थे, लेकिन यहां नहीं। अगर कांग्रेस अध्यक्ष ने मुझे पद छोड़ने के लिए पहले कहा होता तो मैं इस्तीफा दे देता। उस दिन सुबह 10 बजे जब मैंने उनसे कहा कि मैं इस्तीफा दे दूंगा तो उन्होंने कहा-अमरिंदर, आई एम वेरी सॉरी। मैंने शाम 4 बजे अपना इस्तीफा दे दिया। यह सब ड्रामा करने की क्या जरूरत थी?'
यह पूछे जाने पर कि पार्टी नेतृत्व द्वारा उन्हें सीएम पद छोड़ने के लिए कहने के फैसले के पीछे कौन लोग थे, अमरिंदर सिंह ने कहा, 'ये सलाहकार लोग हो सकते हैं। मेंरे दोनों (राहुल और प्रियंका) से गहरे संबंध हैं। हालांकि मैं पिछले डेढ़ साल से कोविड महामारी के चलते उनसे मिल नहीं पाया था। हम एक-दूसरे से व्हाट्सएप के जरिए संपर्क में थे। वे मुझे इस्तीफा देने के लिए कह सकते थे। प्रियंका के साथ हमारी आपस में बात होती रहती है। अगर आप किसी और को लाना चाहते थे तो लाएं। लेकिन इसमें मुझे अपमानित मत करें। मैं दोनों को बचपन से जानता हूं। उनके पिता (राजीव गांधी) स्कूल में मुझसे एक साल जूनियर थे। मैं उन्हें 1954 यानी करीब 67 साल से जनता हूं। मैं इस बात से परेशान हूं कि पहले मैंने इस्तीफा देने की पेशकश की तो उन्होंने मुझे पद छोड़ने की इजाजत नहीं दी और जब उन्होंने अपना मन बदल लिया था तो मुझे बताना चाहिए था, मुझे फोन तो करना चाहिए था।'
यह पूछे जाने पर कि क्या यह सब प्रियंका और राहुल के निर्णय न ले पाने के चलते हुआ, अमरिंदर सिंह ने कहा-'नहीं, वे अभी ज्यादा अनुभवी नहीं हैं। उनके पास (केसी) वेणुगोपाल और दूसरे सलाहकार हैं जो उन्हें हर बात बताते हैं। ये सलाहकार मेरे कैरेक्टर को नहीं जानते। जब मुझे पता चलता कि मेरा समय खत्म हो गया है तो मैं इस्तीफा दे देता। मैं किसी चीज से नहीं चिपकता।'
कैप्टन अमरिंदर ने बताया कि कैसे पाकिस्तान हथियार, विस्फोटक और ड्रग्स भेजकर पंजाब में अस्थिरता पैदा करने की साजिश रच रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य को एक ऐसी सरकार की जरूरत है जो पाकिस्तान के मंसूबों का नाकाम करने के लिए केंद्र के साथ मिलकर काम सके। उन्होंने कहा- क्या पाकिस्तान के नेताओं को अपना दोस्त मानने वाले सिद्धू केंद्र की बीजेपी सरकार के साथ तालमेल बिठा सकते हैं? भारत के लोग कभी सिद्धू पर भरोसा नहीं कर सकते और कांग्रेस हाईकमान को भी उनपर भरोसा नहीं करना चाहिए। मैं सिद्धू को किसी भी कीमत पर जीतने नहीं दूंगा, चाहे इसके लिए कुछ भी कुर्बान क्यों न करना पड़े।'
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, सिद्धू जब बीजेपी में थे तो शायरी सुनाकर नरेंद्र मोदी की तारीफ करते थे। अब कांग्रेस में पहुंचने पर वही शायरी सोनिया गांधी के लिए पढ़ी। केवल नाम में नरेंद्र मोदी की जगह सोनिया जोड़ दिया। फिर वही लाइनें आसाराम बापू के लिए कही और हैरानी की बात ये है कि सिद्धू जट सिख हैं और जो बातें उन्होंने इन नेताओं और बाबओं के लिए कही, वही बात और वही शब्द उन्होंने गुरू नानक देव के लिए कही है।
कैप्टन एक मंझे हुए नेता हैं और अपने इंटरव्यू में उन्होंने फ्यूचर प्लान के बारे में कुछ भी खुलासा नहीं किया। इससे जुड़े सभी सवालों को दरकिनार करते हुए उन्होंने अपनी बात रखी।
कैप्टन अमरिंदर सिंह की बातों से लगता है कि वो इस बात से सबसे ज्यादा आहत हैं कि उनके गांधी-नेहरू परिवार से 67 साल पुराने रिश्ते थे लेकिन सोनिया गांधी ने उनपर भरोसा नहीं किया। उन्हें इस बात का दुख है कि राहुल और प्रियंका ने चार साल पहले बीजेपी से कांग्रेस में आए सिद्धू पर भरोसा कर लिया और 67 साल पुराने पारिवारिक रिश्ते को झटके में तोड़ दिया।
कैप्टन को लगता है कि पंजाब में कांग्रेस हावी थी और चुनाव जीत जाती लेकिन अगर सिद्धू पार्टी को लीड करते हैं तो अब डबल फिगर में पहुंचना भी मुश्किल हो जाएगा। वह कन्विंस्ड हैं कि राहुल औऱ प्रियंका में अनुभव की कमी है। ये दोनों अपने सलाहकारों के कहने पर चलते हैं और वे पंजाब की राजनीति को नहीं समझ पाए। अपने इंटरव्यू में कैप्टन ने इशारा किया कि राजस्थान में अशोक गहलोत को अपनी सरकार संभालने की जरूरत है, उनकी कुर्सी पर भी खतरा हो सकता है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह वैसे तो राजनीति से रिटायर होने का प्लान बना रहे थे पर जब सोनिया गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया, तो उन्होंने तय किया कि वह हार कर मैदान नहीं छोड़ेंगे। जब तक जीत नहीं जाते, तब तक लड़ेंगे। कैप्टन ने कहा कि अगर कांग्रेस सिद्धू के नाम पर चुनाव लड़ेगी तो वह कांग्रेस को हराएंगे।
अब सच ये है कि राहुल और प्रियंका ने तो अपना दांव सिद्धू पर लगाया है। सब जानते हैं कि चन्नी एक स्टॉप गैप अरेंजमेंट हैं, लेकिन कैप्टन ने जो कड़ा स्टैंड लिया है उससे पंजाब में कांग्रेस का बना बनाया खेल बिगड़ सकता है। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 22 सितंबर, 2021 का पूरा एपिसोड