अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। यह सच है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर केंद्र सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। तेल की मार्केटिंग करनेवाली कंपनियां हर रोज के आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करती हैं। तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर सोशल मीडिया पर कांग्रेस और बीजेपी समर्थकों की बीच तीखी बहस चल रही है लेकिन जनता यह चाहती है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम होनी चाहिए।
यह कहने से कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर केंद्र का कोई नियंत्रण नहीं है, काम नहीं चलेगा। इसका एकमात्र उपाय है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के दायरे में लाया जाए। कांग्रेस पहले ही कह चुकी है कि वह इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन करेगी। 23 राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की सरकारें हैं। इसलिए जीएसटी कांउसिल में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमति बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
हाल के हफ्तों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी ने जनता के मन में गुस्सा भर दिया है और वे लगातार राहत की मांग कर रहे हैं। जनता दल (यू) के नेता के.सी. त्यागी ने सबसे सही बात कही। उन्होंने कहा कि पिछले चार साल में विरोधी दलों के पास केंद्र सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं था। अब तेल की बढ़ती कीमतों ने विरोधी दलों को मुद्दा दे दिया है। इस पर कांग्रेस और अन्य विरोधी दलों को सियासत करने का मौका मिला है और निश्चित तौर पर वे इसका फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को रामलीला मैदान में आयोजित रैली में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को मुद्दा बनाया लेकिन इस रैली में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं की गैर-मौजूदगी ने राजनीति के पंडितों के माथे पर बल ला दिया है। सवाल है कि क्या मायावती प्रस्तावित महागठबंधन से नाखुश हैं?
जहां तक सोमवार को भारत बंद के दौरान तोड़फोड़ और पथराव का सवाल है, मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि जिन दलों ने बंद का अह्वान किया था उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
राजनीतिक दलों के पास ऐसे मुद्दों पर सरकार को घेरने का संवैधानिक अधिकार है लेकिन ऐसा करते समय वे लोगों को अस्पताल और अपने कार्यस्थलों पर पहुंचने से नहीं रोक सकते। महाराष्ट्र में दर्जनों बसें तोड़ी गईं। बिहार और मध्य प्रदेश में तोड़फोड़ हुई और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। ट्रेनों को रोके जाने से यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह प्रशासन का दायित्व है कि वह वीडियो फुटेज के जरिए उन लोगों की पहचान करे जिन्होंने प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। (रजत शर्मा)
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