Rajat Sharma's Blog: लॉकडाउन और क्वारंटीन की धज्जियां उड़ाने वालों को सजा देने के लिए सख्त कानून बने
प्रधानमंत्री ने हाथ जोड़कर लोगों से अपील की है कि वे घर पर रहें और लॉकडाउन का पालन करें। हमारे कानून लचीले हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि समाज के दुश्मन आजाद घूम सकते हैं। उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। इस तरह के असामाजिक कृत्यों से निपटने के लिए कड़े कानून बनाए जाने चाहिए।
पूरे भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ने के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि पिछले 4 दिनों के दौरान तबलीगी जमात के सदस्यों और उनके संपर्क में आए लोगों द्वारा देश भर में हुए वायरस के प्रसार के चलते आंकड़े दोगुने हो गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अफसर ने कहा कि यदि तबलीगी जमात ने अपनी सभा नहीं की होती तो कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों के दोगुना होने में अभी एक सप्ताह से भी ज्यादा वक्त लगता। कई राज्यों की पुलिस अभी भी मस्जिदों में छिपे जमातियों का पता लगाने की पूरी कोशिश कर रही है।
आपको याद होगा कि तबलीगी जमात ने पहले दावा किया था कि निजामुद्दीन मरकज की सभा में सिर्फ 1,400 लोग शामिल हुए थे, लेकिन अगले दिन जब मरकज की तलाशी ली गई तो वहां 2,400 लोग निकले। तब तक लगभग 2,000 लोग पहले ही निकल चुके थे और वे वायरस के कैरियर बन चुके थे। अब तक, पुलिस ने 25,000 जमातियों और उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाया है और उन्हें क्वारंटीन में रखा है।
जब तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद ने बगैर दुनिया के सामने आए ही अपने लोगों से अपील की कि सरकार और डॉक्टरों के साथ सहयोग करें, तो मुझे लगा था कि उन्हें सही बात समझ में आ गई है, लेकिन कड़वी हकीकत यही है कि कई हजार जमाती और उनके संपर्क में आए लोग अभी भी मस्जिदों में छिपे हुए हैं। लखनऊ पुलिस ने सोमवार को अली जान मस्जिद से कई जमातियों को पकड़ा, जिनमें से 12 को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। सीतापुर में भी 8 लोगों को ऐसे ही ढूंढ़ा गया और सभी के सभी कोरोना वायरस से संक्रमित थे। वहीं, रामपुर में 14 जमातियों को क्वारंटीन किया गया है। इसी तरह की रिपोर्ट्स अन्य राज्यों से भी आई है।
जरा पुलिस और स्वास्थ्य कर्मचारियों के काम के बारे में सोचें। उन्हें जमातियों एवं उनके संपर्क में आए लोगों की तलाश में घने और भीड़ भरे इलाकों में जाना पड़ता है, भारी विरोध का सामना करने के बाद वे इन लोगों को क्वारंटीन सेंटर लाते हैं, उनका टेस्ट करवाते हैं, और फिर उनके ठहरने, भोजन और इलाज की व्यवस्था भी करते हैं। इसके बावजूद इनमें से तमाम जमाती मेडिकल स्टाफ पर थूकते हैं, खाने में बिरयानी की मांग करते हैं और जमकर उधम मचाते हैं।
इंडिया टीवी ने सोमवार की रात को इन जमात नेताओं की भलाई के लिए ही इक्वेडर के ग्वायाकिल शहर में लाशों से पटी सड़कें दिखाईं। ब्राजील और कई अन्य देशों में कोरोना वायरस से मारे गए लोगों के लिए कार्डबोर्ड के बने ताबूत इस्तेमाल किए जा रहे हैं, और स्पेन एवं इटली में तो हजारों शवों को दफनाने के लिए जगह ही नहीं मिल रही है। तबलीगी जमात की घटना के बाद कुछ कट्टरपंथी लोगों ने न्यूज चैनलों के ऐंकरों और रिपोर्टरों पर हमला बोला, जिसके बाद न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन की तरफ से मुझे सोमवार को एक बयान जारी करना पड़ा कि ऐसे लोगों को भड़काऊ एवं धमकी भरे बयान देने से बचना चाहिए।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इस लॉकडाउन के दौरान कोरोना वायरस महामारी की रिपोर्टिंग में एक बेहतरीन भूमिका निभाई है, और रिपोर्टर अपनी जान पर खेलकर अलग-अलग इलाकों में रिपोर्टिंग कर रहे हैं। मैंने इन लोगों से कहा है कि न्यूज चैनलों पर बहस में शामिल हों और इस समय फैली हुई महामारी में तब्लीगी जमात की भूमिका पर बोलते हुए अपना पक्ष रखें। इस समय समझदारी से काम करने की जरूरत है। जमात के नेताओं को यह पता होना चाहिए कि सऊदी अरब में सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर मौत की सजा हो सकती है और यदि ट्रैवल हिस्ट्री छिपाई तो एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। भारत में ऐसा नहीं है।
फिलीपींस जैसे कुछ एशियाई देशों में क्वारंटीन का उल्लंघन करने पर एक शख्स को गोली मार दी गई थी। लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर ऑस्ट्रेलिया में 23 लाख रुपये और इटली में 2.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। अब तक 40,000 से अधिक लोगों पर भारी जुर्माना लगाया जा चुका है। हांगकांग में यदि कोई लॉकडाउन का उल्लंघन करता है तो उस पर 2.5 लाख रुपये तक का जुर्माना और 6 महीने तक की जेल हो सकती है। रूसी संसद ने एक एंटी-वायरस अधिनियम पारित किया है जिसके तहत लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने वाले किसी भी शख्स को 7 साल तक की कैद हो सकती है।
हमारे प्रधानमंत्री ने जो किया है, वह इन सबसे अलग है। उन्होंने हाथ जोड़कर लोगों से अपील की है कि वे घर पर रहें और लॉकडाउन का पालन करें। हमारे कानून लचीले हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि समाज के दुश्मन आजाद घूम सकते हैं। उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। इस तरह के असामाजिक कृत्यों से निपटने के लिए कड़े कानून बनाए जाने चाहिए। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात, रजत शर्मा के साथ', 6 अप्रैल 2020 का पूरा एपिसोड