रविवार को महाराष्ट्र पुलिस के सी-60 कमांडोज ने सीआरपीएफ जवानों के साथ छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे गढ़चिरौली के जंगलों में एक बड़े ऑपरेशन में 37 माओवादियों का खात्मा करने में सफलता हासिल की। जवानों ने माओवादी कमांडरों की एक गुप्त बैठक के बारे में खुफिया जानकारी प्राप्त करने के बाद इस सफलता को हासिल किया।
जो लोग मारे गए उनमें कई खतरनाक कमांडर्स और महिला दलम कमांडर्स हैं। आखिरकार काफी दिनों बाद नक्सल प्रभावित जंगलों से अच्छी खबरें आनी शुरू हो गई हैं । सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में माओवादियों का खात्मा हो रहा है। अब तक नक्सल इलाकों से अक्सर यही खबरें आती थी कि नक्सलियों ने हमारे जवानों को शहीद कर दिया। लेकिन अब इस ट्रेंड में बदलाव दिख रहा है।
महाराष्ट्र पुलिस की इस कामयाबी के बाद जंगलों में माओवादियों से लोहा लेने वाले जवानों का मनोबल निश्चित रूप से बढ़ेगा और नक्सलियों की कमर टूटेगी। अगर इसी तरह से ऑपरेशन होते रहे तो नक्सलियों के पास दो ही रास्ते होंगे - पहला, या तो हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटें, या फिर दूसरा, जवानों की गोली का शिकार बनें।
इस ऑपरेशन को लेकर महाराष्ट्र पुलिस के कमांडो की तारीफ तो हो रही है लेकिन इस तरह की सफलता में गृह मंत्री राजनाथ सिंह की भूमिका को नजअंदाज नहीं किया जा सकता। पिछले साल जब सुकमा में नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हुए थे तब राजनाथ सिंह ने कहा था कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा था कि मैं सिर्फ भरोसा दे सकता हूं कि पूरी तैयारी के साथ एक्शन होगा और जवानों की शहादत को बेकार नहीं जाने दूंगा। उसके बाद राजनाथ सिंह ने कभी कुछ नहीं बोला और आज करके दिखाया। (रजत शर्मा)
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