लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अहम कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर विवादित स्थल के आस-पास की अतिरिक्त गैरविवादित जमीन उनके असली मालिकों को वापस करने की मांग की है।
अपनी अर्जी में केंद्र ने कहा है कि उसने 1991 में 2.77 एकड़ विवादित भूमि समेत कुल 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। याचिका में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, रामजन्मभूमि न्यास ने 1991 में अधिग्रहित की गई अतिरिक्त भूमि उसके असली मालिकों को वापस करने की मांग की है।
केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में यह भी जिक्र किया है कि शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने 2003 में इस्माइल फारूकी केस में यह कहा था कि विवादित स्थल के 0.313 एकड़ को छोड़कर बाकी की अतिरिक्त जमीन उनके असली मालिकों के नाम बहाल की जा सकती है। अब केंद्र सरकार ने अपनी अर्जी में कहा है कि विवादित स्थल के आसपास की अतिरिक्त गैरविवादित जमीन उसके मूल मालिकों, जिसमें रामजन्मभूमि न्यास भी शामिल है, को वापस करने में उसे कोई आपत्ति नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट मौजूदा समय में वर्ष 2010 में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के विरूद्ध 14 अपील की सुनवाई कर रहा है जिसमें विवादित 2.77 एकड़ जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन भागों में बांटने का आदेश सुनाया गया था।
प्रयागराज में चल रहे अर्ध कुंभ मेले में विभिन्न अखाड़ों की तरफ से मंदिर निर्माण की सख्त मांग के बाद केंद्र सरकार द्वारा आज यह कदम उठाया गया।
कांग्रेस समर्थक माने जाने वाले संत शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने सोमवार को धर्म संसद का आयोजन किया जिसमें राम मंदिर का निर्माण जल्द कराने की मांग की गई। विश्व हिंदू परिषद भी प्रयागराज में 31 जनवरी को धर्म संसद का आयोजन करेगी। उधर, संविधान पीठ के एक जज की अनुपस्थिति के चलते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई नहीं हो पाई।
अब लोगों को ये लग रहा है कि अयोध्या विवाद को लेकर कोर्ट की सुनवाई में काफी वक्त लग सकता है। लोकसभा चुनावों का ऐलान होने में अब केवल महीने भर ही बचे हैं और राम मंदिर आस्था का मामला है। करोड़ों लोगों की भावनाएं इससे जुड़ी हैं, इसलिए राम मंदिर निर्माण को लेकर विभिन्न समूहों द्वारा सरकार पर दबाव बनाया जाए तो कुछ हो सकता है।
संसद का आखिरी बजट सत्र भी शुरू होनेवाला है, इस सरकार का ये आखिरी बजट सत्र है। सबको लगता है कि चुनाव में जाने से पहले नरेन्द्र मोदी राम मंदिर निर्माण का बिल लाकर बड़ा दांव खेल सकते हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है: कब? (रजत शर्मा)
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