Rajat Sharma Blog: मुंबई सीएसटी फुटओवर ब्रिज हादसे में जवाबदेही जरूर तय होनी चाहिए
ऑडिट के दौरान सीएसटी के इस फुटओवर ब्रिज का भी ऑडिट हुआ और बीएमसी (बृहन्मुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन) के इंजीनियर्स ने इस फुटओवर ब्रिज को क्लिन चिट दी थी।
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसटी) को जोड़नेवाले फुटओवर ब्रिज का कंक्रीट स्लैब गुरुवार शाम को गिर पड़ा। करीब 35 फीट ऊंचाई से कंक्रीट स्लैब नीचे सड़क से गुजर रहे लोगों पर गिरा जिससे कई लोग मलबे में दब गए। जिस वक्त यह हादसा हुआ उस वक्त काफी ज्यादा ट्रैफिक था। शुक्रवार सुबह तक मिली जानकारी के मुताबिक हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई जबकि 38 लोग घायल हो गए। कई घायलों की हालत नाजुक बताई जा रही है। इस हादसे में हताहतों की संख्या और बढ़ सकती है।
फायर ब्रिगेड और पुलिस के साथ ही घटनास्थल के आसपास मौजूद स्थानीय लोगों ने मलबे में दबे कई लोगों को बचाया।
मुंबई में इस तरह ब्रिज गिरने का ये पहला हादसा नहीं है। 29 सितंबर 2017 को एलिफिंस्टन रोड पर फुटओवर ब्रिज गिरने के बाद मची भगदड़ में 23 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद सेना की मदद से कुछ ही दिनों में नया ब्रिज तैयार कर लिया गया। इस हादसे के बाद बहुत शोर मचा था और मुंबई के सभी फुटओवर ब्रिज का ऑडिट करवाया गया। ऑडिट के दौरान सीएसटी के इस फुटओवर ब्रिज का भी ऑडिट हुआ और बीएमसी (बृहन्मुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन) के इंजीनियर्स ने इस फुटओवर ब्रिज को क्लिन चिट दी थी।
गुरुवार को हादसे के बाद स्थानीय नेता राज पुरोहित, मिलिंद देवड़ा और वारिस पठान घटनास्थल पर पहुंचे और इन सभी ने इस ब्रिज के रख-रखाव से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। महाराष्ट्र के शिक्षामंत्री विनोद तावड़े और उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने भरोसा दिलाया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त एक्शन होगा। लेकिन दुख की बात ये है कि इस ब्रिज की देख-रेख की जिम्मेदारी बीएमसी की है, इसलिए हादसे की सबसे ज्यादा जबावदेही भी बीएमसी के कमिश्नर की बनती है। लेकिन बीएमसी के कमिश्नर मीडिया से बिना कुछ कहे मौके से निकल गए।
चूंकि चुनाव का समय है, इसलिए इस हादसे पर भी सियासत होगी लेकिन उम्मीद करनी चाहिए कि सियासी शोर में वो लापरवाह अफसर बच न पाएं जिनकी गैर-जिम्मेदारी और लापरवाही से 6 लोगों की जान चली गई। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 14 मार्च 2019 का पूरा एपिसोड