महाराष्ट्र आतंक निरोधी दस्ते (ATS) ने करीब 120 मुस्लिम युवाओं को इस्लामिक स्टेट (ISIS) संगठन में शामिल होने से रोकने के लिए मौलानाओं की सेवा ली है। मौलाना अपने उपदेशों के जरिए इन युवाओं में व्याप्त उग्र और कट्टरपंथी विचारों के प्रभाव को खत्म करते हैं और समाज की मुख्यधारा में लाने में मदद करते हैं। पुलिस इन युवाओं के परिजनों की मदद भी लेती है। पुलिस और मौलानाओं की यह कोशिश काबिले तारीफ है। कानूनी तौर पर पुलिस के लिए इन गुमराह हो गए नौजवानों को पकड़कर जेल में भेजना और इनपर केस चलाना तो बहुत आसान रास्ता होता है। लेकिन पुलिस ने भटके हुए नौजवानों को अपना समझ कर उन्हें समझाने बुझाने की जो कोशिश की, यह मुश्किल रास्ता है। वहीं ATS की इस मुहिम में मौलानाओं ने भी कोशिश की यह बड़ी बात है। सुरक्षा एजेंसियों को ATS के इस अनुभव को जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी लागू करना चाहिए, क्योंकि अब तक ISIS के चंगुल में फंसे जितने नौजवान पकड़े गए हैं उनमें से ज्यादातर इन्ही राज्यों के हैं। यह एक ऐसा तरीका है जिसके जरिए आतंकवाद को पनपने से पहले ही खत्म किया जा सकता है। (रजत शर्मा)
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