Rajat Sharma's Blog: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को हासिल करना एकमात्र अधूरा काम बचा है
जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा। एकमात्र अधूरा काम जो बचा हुआ है वह जम्मू और कश्मीर के उस हिस्से को फिर से हासिल करना है जिसपर 1948 में पाकिस्तानी आक्रमणकारियों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया था।
12 अगस्त को ईद उल जुहा के मौके पर पूरी कश्मीर में घाटी में लोगों ने मस्जिदों में शांतिपूर्ण तरीके से नमाज अदा की और सुरक्षा बलों को एक भी गोली नहीं चलानी पड़ी। नमाज के दौरान हजारों की संख्या में लोगों ने अपनी उपस्थिति दिखाई, सबसे ज्यादा भीड़ बारामूला में देखी गई। एकमात्र समस्या जो आम लोगों के सामने रही वह इंटरनेट और टेलिफोन सुविधाओं की कमी थी। इसकी वजह से लोग अपने रिश्तेदारों और अन्य परिचितों के साथ जुड़ने में असमर्थ दिखे।
जम्मू-कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने सोमवार को इंडिया टीवी रिपोर्टर को एक इंटरव्यू में बताया था कि इंटरनेट और टेलिफोन सेवाओं को बहुत जल्द फिर से शुरू किया जाएगा, शायद पांच से छह दिनों के भीतर। उनकी चिंताएं भी जायज हैं। हमने पिछले कुछ वर्षों में देखा है कि कैसे सोशल मीडिया, इंटरनेट और टेलिफोन का गलत इस्तेमाल करके झूठा प्रचार किया जाता है और लोगों के बीच में तनाव फैलाया जाता है।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने एक हेल्पलाइन 'मद्दागर' शुरू की है, जिसके तहत कोई भी नागरिक 14411 डायल करके सहायता मांग सकता है। लोग स्थानीय उपायुक्त कार्यालय में जा सकते हैं और लैंडलाइन फोन पर बात कर सकते हैं। श्रीनगर की कुछ प्रतिष्ठित दुकानों पर कुछ लैंडलाइन टेलिफोन चालू कर दिए गए हैं।
मैं इससे सहमत हूं कि यह पर्याप्त नहीं है, लेकिन सुरक्षा परिस्थितियों को देखते हुए आम जनता को कुछ और दिनों के लिए यह झेलना पड़ सकता है। उम्मीद करते हैं कि हफ्तेभर में सभी प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे।
अगर शांति और अमन कायम रहता है तो घाटी में हालात जरूर सुधरेंगे, आइए शांति को एक मौका दें ताकि नए उद्योग और मल्टीप्लेक्स आ सकें। फिल्मों की शूटिंग के लिए वॉलीवुड फिर से घाटी में लौटे। ये सभी निश्चित रूप से बेरोजगारों के लिए रोजगार पैदा करेंगे। अधिक स्कूल और कॉलेज आने दें, ताकि कश्मीरी युवक पढ़ सकें और बाकी भारतीयों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।
मुझे पाकिस्तान के असामान्य और आक्रामक व्यव्हार से भी आश्चर्य नहीं है, जिसने अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया है और भारत के साथ व्यापार, रेल और बस लिंक को तोड़ दिए हैं। कश्मीरी आतंकवादियों का मनोबल को बढ़ाने के लिए पाकिस्तानी संस्थाएं अपने देश में भारत के स्वतंत्रता दिवस को 'काला दिवस' के रूप में मनाने की योजना बना रही हैं। वे ऐसा करेंगे और उन्हें ऐसा करने दें, लेकिन कश्मीर के लोगों ने अब पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे झूठ को पहचान लिया है।
पाकिस्तान या उसके तैयार किए हुए आतंकवादियों के दुस्साहस से निपटने के लिए हमारे सुरक्षाबल वहां बैठे हैं, और मुझे पूरा भरोसा है कि वे इस काम को जरूर पूरा करेंगे। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा। एकमात्र अधूरा काम जो बचा हुआ है वह जम्मू और कश्मीर के उस हिस्से को फिर से हासिल करना है जिसपर 1948 में पाकिस्तानी आक्रमणकारियों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया था।