जोधपुर: एक लड़की ने बचपन में ही हुई अपनी शादी खत्म करने का निर्णय लिया है, जिसके बाद कंगारू अदालत ने उस पर कथित रूप से 16 लाख रुपये का भारी जुर्माना लगा दिया है और उसके परिवार को बहिष्कृत कर दिया है।
लुनी तहसील में रोहिचान खुर्द गांव की शांता देवी मेघवाल ने अपनी शादी तोड़ने का फैसला किया है। जब वह महज 11 महीने की ही थी तभी एक समारोह में उसकी शादी की रस्म पक्की हो गई थी।
शांता देवी ने दावा किया है कि उसके इस फैसले से ग्राम पंचायत खफा हो गई और उसने उस पर 16 लाख रुपये का जुर्माना लगाया तथा उसके परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया।
फिलहाल स्नातक कर रही शांता देवी ने कहा, (शादी खत्म करने के) मेरे फैसले से मेरे ससुरालवाले चिढ़ गए और उन्होंने कई तरह की धमकियां देकर इस शादी को कायम रखने के लिए हम पर दबाव डालने की हर तरह की तरकीब अपनाई। उसने कहा, जब मैं नहीं मानी, तब उन्होंने (पंचायत ने) हम पर 16 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और मेरे परिवार को बहिष्कृत कर दिया। शांता देवी पढ़ाई कर रही है। उसे तीन साल पहले अपने बाल विवाह के बारे में पता चला था। उसने कानूनी कार्रवाई के लिए सारथी ट्रस्ट से संपर्क किया है।
प्रबंध न्यासी (सारथी ट्रस्ट) कृति भारती ने कहा, हम जहां जाति पंचायत के सदस्यों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए तैयारी कर रहे हैं, वहीं उसके ससुराल वालों को इस शादी को खत्म करने के वास्ते राजी करने की कोशिश भी कर रहे हैं। शांता देवी के पिता और राजमिस्त्री का काम करने वाले पद्मराम ने कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी बेटी पढ़े लिखे और गलत सामाजिक प्रथाओं को त्यागकर समाज के लिए पथ प्रदर्शक बने।
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