वसुंधरा राज में गायों की 'मौत'शाला, बूचड़खाने से कम नहीं है गौशाला, जहां मरने के लिए लाई जाती है गाय!
जयपुर: राजस्थान में एक ऐसा बूचड़खाना हैं, जहां गायें गोमांस के लिए नहीं मारी जातीं। ये ऐसा सरकारी कसाईखाना है, जहां गायें भूख से, बिना चारे के और बिना अनाज के मारी जाती हैं। ये राजस्थान के वसुंधरा राज की हक़ीक़त है। बीते कुछ दिनों में राजस्थान के भरतपुर और सिरोही के सरकारी गोशाला में भूख की वजह से गायों की मौत हुई है। सवाल उठता है कि गोशाला के लिए आया लाखों रुपया और उस रुपये से आया चारा कहां गया और किसने खाया?
बूचड़खाने से कम नहीं है गोशाला
जब देश में गोरक्षकों के उत्पात पर चर्चा और चिंता का दौर जारी है वहां ये रोती गायें सरकारी बदइंतज़ामी से मुकर्रर मौत की गवाही दे रही हैं। मौत तो इनकी स्वाभाविक है क्योंकि इन्हें लाया ही गया है भरतपुर के कालिया गोशाला में भूख से मरने के लिए। ये राजस्थान की गोशालाओं की वो बदनसीब गायें हैं जिन्हें कई-कई दिन से चारा नहीं मिला है। ये कई दिनों से भूखी हैं और जो बरसात में गोबर और कीचड़ में भीगकर मौत का इंतज़ार कर रही हैं।
गोरक्षकों की आंखें खोलने वाली रिपोर्ट
भरतपुर के गोशाला में दर्जनभर ऐसी गायें हैं जो ज़मीन पर बैठी हैं। इतनी कमज़ोर हैं कि इन्हें उठाने की कोशिश बेकार है। रोज़ाना दो-तीन गायें इस हालत का शिकार होती हैं और फिर उनकी मौत हो जाती है। कालिया गोशाला में इस वक्त करीब 250 गायें हैं जिनमें पिछले एक महीने के दौरान 40 की मौत हो चुकी है।
सवाल है कि गायों की मौत का ज़िम्मेदार कौन है?
गायों के सरकारी कब्रगाह से अगर हक़ीक़त बाहर आ गई तो यही आलम राजस्थान के सिरोही का भी है। सिरोही की गोशाला में खड़ी गायों की तस्वीरों से सवाल पैदा होता है कि आख़िर सरकारी इंतज़ामों के दावे और करोड़ों रुपये के सरकारी अनुदान के बावजूद राजस्थान की गोशाला में गायों की मौत क्यों हो रही है। सिरोही में दो गायें भरतपुर की तरह भूख से तड़प-तड़प कर मर गईं जबकि दर्जनों गायें उठने की हालत में नहीं हैं। सिरोही की गोशाला का पूरा ख़र्च सरकार करती है यही वजह है कि गोशाला में गायों की मौत के बाद वसुंधरा सरकार की गोसेवा के दावे सवालों में हैं।
ये उस राजस्थान में गोशाला का हाल है जहां कुछ महीने पहले जयपुर की हिंगोनिया गोशाला में गायों की मौत सुर्खियां बनी। ये वो राजस्थान है जहां वसुंधरा सरकार ने गोरक्षा की बड़ी-बड़ी कसमें खाई हैं। ये वही राजस्थान है, जहां अलवर में गोतस्करी के आरोप में पहलू ख़ान को सरेराह पीट-पीटकर मार डाला गया। सवाल है कि भरतपुर और सिरोही में मरती गायों की हकीकत देखकर सरकार और गोरक्षकों का ज़मीर क्यों नहीं जागा?
हमारे चैनल इंडिया टीवी के संवाददाता भास्कर मिश्रा ने भरतपुर की गोशाला का हाल देखा। गोशाला में गायें ठूंस-ठूंस के रखी गई हैं। क्षमता से ज़्यादा गायें रखने की वजह अधिक सरकारी अनुदान हड़पना था। इस बारे में संचालक ने भी माना कि उसकी गोशाला में क्षमता से ज़्यादा गायें रखी गई हैं।