राजस्थान: दागी अफसरों को न दिया जाए प्रमोशन, आरएएस एसोसिएशन ने खोला मोर्चा
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ये दावा करते है कि दागी अधिकारियो पर लगाम हर हालत में लगेगी और उसके लिए कभी एंटी करप्शन ब्यूरो तो कभी किसी विभाग मे समीक्षा बैठक भी ले रहे है, लेकिन लगता है ये महज दिखावा ही है।
जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ये दावा करते है कि दागी अधिकारियो पर लगाम हर हालत में लगेगी और उसके लिए कभी एंटी करप्शन ब्यूरो तो कभी किसी विभाग मे समीक्षा बैठक भी ले रहे है, लेकिन लगता है ये महज दिखावा ही है। वहीं दूसरी तरफ राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अफसरों ने मोर्चा खोल दिया है।
दरसल राज्य सरकार की ओर से अन्य सेवा से आईएएस में प्रमोशन के लिए जिन अधिकारियो ने आवेदन किया है उनके खिलाफ आरएएस एसोसिएशन ने केन्द्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय, संघ लोक सेवा आयोग, मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव कार्मिक को चिठ्ठी लिखी है। इस चिठ्ठी मे इन अधिकारियो की कार्यशैली व अनियमितताओ को लेकर आरोप लगाए गए है। आरएएस एसोसिएशन ने पत्र मे लिखा है कि कार्मिक विभग गलत तथ्यों से प्रमोट कराता है केन्द्र सत्यापन करे।
आरएएस एसोसिएशन की तरफ से केन्द्र को भेजी गई चिठ्ठी हमारे चैनल इंडिया टीवी के पास मौजूद है। उस चिठ्ठी मे कई अधिकारियों के नाम दिए गए है जिनको आईएएस मे प्रमोशन दिए जाने बाबत कोशिश की जा रही है।
पहला नाम- घनश्याम बैरवा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग मे तैनात, केन्द्र को भेजे गए पत्र में लिखा हुआ है कि बैरवा वर्तमान में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग मे पदस्थापित है और राजस्थान सरकार मे एक मंत्री के पति है लिहाजा पूर्ण संभावना है कि अपनी पत्नि के मंत्री होने का लाभ उठाकर यह आईएएस बन सकते है।
दूसरा नाम- गोविन्द पारीक, वर्तमान पद सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, आरएएस द्दारा लिखे पत्र मे साफ लिखा है कि पारीक का नाम बार बार भेजा जाता है जबकि एसएसए द्वारा की जा रही जांच जिसमें पारीक द्वारा मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना में सजावटी विज्ञापन देने हेतु नियमों से अत्यधिक परे जाकर 21 लाख व 4 रुपये के ब्याज का अनियमित भुगतान किया गया है, इसके आलावा अऩ्य प्रकरण जिसमें करोड़ों के विज्ञापन देने में अनियमितताएं की गई है जांच चल रही है।
तीसरा नाम- आरएएस राणावत, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग मे तैनात है इनके खिलाफ एसएमएस अस्पताल मे लाईफ लाईन ड्रग स्टोर में आगजनी की घटना एवं गंभीर वित्तीय अनियमितताओ का आरोप है जांच चल रही है।
चौथा नाम- सुरेन्द्र सिंह राठौड़, ग्रामीण विकास विभाग मे तैनात है। राठौड़ की राज्य सेवा मे नियुक्ति की ही वैधता का परीक्षण मुख्यमंत्री निर्देशों पर आदेशानुसार विभाग करवा रहा है।
पांचवा नाम- संजय पांडे, पर्यटन विभाग मे तैनात-कर्मचारियो से दुर्व्यवहार को लेकर पिछले साल तत्कालीन विशिष्ट सचिव, निदेशक पर्यटन विभाग द्वारा नोटिस दिया गया है।
ये वो पांच अधिकारी है जिनके लिए विशेष रुप से केन्द्र को भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि राजस्थान मे ऐसी कोई विशेष परिस्थिती पैदा नहीं हुई है, जिसके तहत राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अफसरों को छोड़कर अऩ्य सेवा के अफसरों को आईएएस मे प्रमोशन किया जाए।
मुख्यमंत्री गहलोत की कार्यप्रणाली पर भी उठे सवाल
आरएएस एसोसिएशन की तरफ से केन्द्र को भेजे गए पत्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कार्यप्रणाली पर भी तमाम सवाल खड़े कर दिए है। गहलोत हमेशा से ही भ्रष्ट व दागी अधिकारियो के खिलाफ लगाम कसने की बात करते हैं ऐसे में राजस्थान प्रशासनिक अधिकारीयो को अगर खुल कर सामने आना पड़ रहा है तो साफ है कि भ्रष्ट व दागी अधिकारीयो की जड़ें गहलोत सरकार के दावों से मजबूत है।