भारत-चीन तनाव पर राहुल गांधी के बयान पर भड़के पूर्व आर्मी ऑफिसर्स, याद दिलाई ऐतिहासिक गलती
भारत-चीन के बीच जारी तनाव पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान की सशस्त्रों बलों के सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक समूह ने कड़ी निंदा की है। सेवानिवृत्त अधिकारियों ने राहुल के बयानों को गलत सोच से प्रभावित और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताया।
नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच जारी तनाव पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान की सशस्त्रों बलों के सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक समूह ने कड़ी निंदा की है। सेवानिवृत्त अधिकारियों ने राहुल के बयानों को गलत सोच से प्रभावित और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद पर कांग्रेस नेता के ट्वीट और बयान उनकी अज्ञानता प्रकट करते हैं या फिर पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जमाने में हुई ऐतिहासिक भूलों को नजरअंदाज करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हैं।
9 सेवानिवृत्त अधिकारियों, जिनमें नितिन कोहली, लेफ्टिनेंट जनरल आरएन सिंह और मेजर जनरल एम श्रीवास्तव शामिल हैं, ने एक अधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा, "हम सीनियर आर्म्ड फोर्सेज वेटरंस के ग्रुप के तौर पर राहुल गांधी के भारत-चीन सीमा विवाद से निपटने को लेकर हमारी सेना और सरकार पर सवाल उठाने वाले बयानों और ट्वीट की कड़ी निंदा करते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "उनके बयान हमारे राष्ट्रीय हितों के लिए काफी नुकसानदायक हैं। राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने अतीत में भी भारतीय सशस्त्र बलों के ग्राउंड और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाया था।" उन्होंने पूछा, "क्या राहुल गांधी नहीं जानते हैं कि नेहरू ने तिब्बत को प्लेट में सजाकर चीन को सौंप दिया था और चीन ने अक्साई चीन में सड़कें बना लीं, बाद में इस पर तब कब्जा कर लिया जब नेहरू प्रधानमंत्री थे?"
सेवानिवृत्त अधिकारियों ने कहा, "कांग्रेस ने इस देश में सबसे लंबे वक्त तक शासन किया, लेकिन उन्होंने बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट को सिर्फ नजरअंदाज किया है।" उन्होंने कहा कि देश की विपक्षी पार्टी कांग्रेस को राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दों पर और भी ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है। कांग्रेस को फिलहाल सरकार का समर्थन करना चाहिए भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने में और सहयोग की भावना दिखानी चाहिए।
इस दौरान सेवानिवृत्त अधिकारियों के इस समूह ने इस बात के लिए मोदी सरकार की सराहना की कि वो सीमा क्षेत्र में तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने को प्रतिबद्ध दिख रही है जो 1962 के चीन युद्ध के बाद से नहीं हुआ जबकि युद्ध के बाद भारत को अपनी ताकत बढ़ाने की दरकार थी। उन्होंने कहा, "भारत सरकार बहुत चतुर कूटनीतिक पहल का सहारा ले रही है, साथ ही सीमा की सुरक्षा में लगे हमारे सशस्त्र बलों का भी मनोबल बढ़ा रही है।"
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने शायराना अंदाज में भारत-चीन सीमा के हालातों पर तंज कसा था। गृह मंत्री अमित शाह के एक भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था, "सब को मालूम है 'सीमा'; की हकीकत लेकिन, दिल के खुश रखने को, 'शाह-यद'; ये ख़्याल अच्छा है।" अपने एक अन्य ट्वीट में राहुल गांधी ने लिखा, "अगर रक्षा मंत्री का हाथ के निशान पर टिप्पणी करने का काम पूरा गया हो गया हो तो वह इसका जवाब दे सकते हैं कि क्या चीन के सैनिकों ने लद्दाख में भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है?"
इस बीच भारत और चीन की सेनाओं ने सीमा पर गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के अपने संकल्प को प्रदर्शित करते हुए पूर्वी लद्दाख के कुछ गश्त बिंदुओं से सांकेतिक वापसी के तौर पर अपने सैनिकों को वापस बुलाया है। वहीं, इस मुद्दे पर दोनों पक्ष आज एक और दौर की मेजर जनरल स्तर की वार्ता करने वाले हैं। गलवान घाटी, पैंगोंग सो, दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक जैसे इलाकों में दोनों सेनाओं का आक्रामक रुख बरकरार है और आने वाले कुछ दिनों में इस गतिरोध को खत्म करने का समाधान तलाशने के लिये बातचीत के कई दौर होंगे।
(Input PTI)