नई दिल्ली: इंटरनेट निरपेक्षता मुद्दे पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार को घेरते हुए कहा कि हर युवा को नेट का अधिकार होना चाहिए। सरकार नेट न्यूटैलिटी के लिए या तो कानून में बदलाव करें या फिर कानून में संशोधन करें। सरकार इंटरनेट को भी बड़े-बड़े उद्योगपतियों को बांट देना चाहती है।
राहुल ने कहा, मनरेगा की बात की जाती है लेकिन नेट निरपेक्षता की बात नहीं होती.. यह एक जटिल विषय है। मैं निवेदन करता हूं कि सरकार ट्राई की सिफारिशों को रद्द कर दे।
संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी के सवालों का जवाब देते हुए कहा, सरकार नेट आजादी के पक्ष में है। इस देश के नौजवानों और नेट का पूरा समर्थन करते हैं। हमारी सरकार मोबाइल गवर्नेंस चाहती है।
रविशंकर प्रसाद ने जोर देकर आगे कहा कि हमारी सरकार कभी किसी कॉरपोरेट के दबाव में आती है न आएगी। ट्राई को सुझाव देने का अधिकार है, लेकिन निर्णय देने का अधिकार मोदी जी और रविशंकर प्रसाद का है। हमारी सरकार चाहती है कि 125 करोड़ लोगों के पास इंटरनेट हो।
इससे पूर्व इंटरनेट निरपेक्षता के मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज लोकसभा में प्रश्नकाल स्थगित कर इस बारे में तत्काल चर्चा कराने के लिए कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था।
लोकसभा में कल इंटरनेट की निरपेक्षता को सुनिश्चित करने की जोरदार वकालत की थी और ट्राई द्वारा हाल में लाए गए परामर्श पत्र को खारिज किए जाने की मांग की गई थी।
माकपा के एमबी राजेश ने सदन में शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाते हुए आरोप लगाया था कि ट्राई द्वारा लाया गया परामर्श पत्र दूरसंचार और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की ओर से नेट निरपेक्षता पर आघात का खुला समर्थन करता है।
इससे पहले राहुल गांधी ने सोमवार को लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार पर किसानों की समस्याओं को लेकर जमकर निशाना साधा था। उस समय राहुल ने मोदी सरकार को 'सूट-बूट की सरकार' बताया था। अब वह एक नए मुद्दे को छेड़कर सरकार के सामने नई चुनौती पैदा कर रहे हैं।
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