SC ने राफेल मामले में पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा, संजय सिंह की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
CAG रिपोर्ट को आधार बनाते हुए केंद्र सरकार के वकील अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने राफेल की कीमत को सस्ता बताया और कहा कि ये कोई बांध या सड़क बनाने का मामला नहीं है बल्कि देश की सुरक्षा का मामला है।
नई दि्ल्ली: राफेल मामले पर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है। उच्चतम न्यायालय में राफेल लड़ाकू विमान मामले में दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार की याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए न्यायालय ने इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख दिया है। अदालत ने आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा इस मामले में कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि आपकी याचिका नहीं सुनेंगें। आपको बता दें कि कोर्ट संजय सिंह के उस बयान से नाराज है, जिसमें उन्होंने राफेल मामले में शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले को कथित तौर पर म्युनिसिपल कोर्ट के निर्णय से तुलना की थी।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि राफेल विमान सौदा मामले में आपराधिक जांच कराने के लिये उनकी याचिका खारिज करने संबंधी दिसंबर, 2018 का निर्णय रद्द किया जाये। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के मामले में 14 दिसंबर, 2018 के अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं पर सुनवाई पूरी की और कहा कि इस पर निर्णय बाद में सुनाया जायेगा।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने करीब दो घंटे की सुनवाई के दौरान राफेल सौदे से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों को न्यायालय से छिपाने सहित विभिन्न पहलुओं की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करके इसकी आपराधिक जांच शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा कथित रूप से समानांतर बातचीत से संबंधित दस्तावेजों का हवाला दिया और कहा कि वार्ता करने वाले तीन सदस्यीय भारतीय दल ने सामानांतर बातचीत पर आपत्ति की थी। भूषण ने कहा कि पहली नजर में संज्ञेय अपराध किया गया है और इसलिए इसमें प्राथमिकी दर्ज करने की आवश्यकता है।
केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पुनर्विचार याचिका पर आपत्ति की और कहा कि फैसले पर पुनर्विचार के लिये मूल आधार मुख्य याचिका में उठाये गये बिन्दुओं जैसे ही हैं। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता चुराये गये गोपनीय दस्तोवजों के आधार पर फैसले पर पुनर्विचार चाहते हैं। अटार्नी जनरल ने भारत और फ्रांस के बीच हुये अंतर-सरकार समझौते के गोपनीयता वाले उपबंध का हवाला दिया और कहा कि यह किसी फ्लाईओवर या बांध के निर्माण का ठेका देने से संबंधित नहीं बल्कि रक्षा सौदे से संबंधित मामला है। वेणुगोपाल ने पीठ से पुनर्विचार याचिकायें खारिज करने का अनुरोध किया।