राफेल की ये खूबियां दुश्मन पर पड़ सकती हैं भारी, पढ़िए राफेल से जुड़ी पूरी जानकारी
जानिए भारत पहुंचे अत्याधुनिक मिसाइलों और घातक बमों से लैस भारतीय वायुसेना के सबसे घातक फाइटर जेट राफेल युद्ध के दौरान कैसे दुश्मन पर भारी पड़ेगा। पढ़िए राफेल से जुड़ी पूरी जानकारी।
नई दिल्ली। फ्रांस से भारत के लिए रवाना हुई राफेल लड़ाकू विमान की पहली खेप अंबाला एयरबेस पर पहुंच चुकी है। तीन सिंगल सीटर और दो डबल सीटर राफेल विमान अंबाला एयरबेस के गोल्डन ऐरो 17 स्क्वाड्रन में पहुंच चुके हैं। आप भी जानिए 4.5 जनरेशन वाला राफेल कैसे पाकिस्तान के F-16 और चीन के J-20 के मुकाबले काफी क्षमतावान है। जरा सी हलचल पर पल भर में दुश्मन के फारवर्ड एयरबेस पर राफेल बड़ी कार्रवाई कर सकता है। आप भी जानिए राफेल के भारत आने से पाकिस्तान और चीन की चिंता क्यों बढ़ने वाली है और राफेल की क्या हैं खास खूबियां। फ्रेंच भाषा में राफेल का मतलब होता है हवा का तूफान।
सबसे पहले आपको बता दें कि, फ्रांस की कंपनी दासौल्ट भारत को खतरनाक लड़ाकू विमान राफेल दे रही है। डिफेंस सेक्टर का सबसे बड़ा सुपरस्टार राफेल की खासियत ये है कि ये हवा से हवा और हवा से जमीन पर परमाणु हमला करने में भी सक्षम है। परमाणु हथियारों से लैस राफेल हवा से हवा में 150 किलोमीटर तक मिसाइल दाग सकता है और हवा से जमीन तक इसकी मारक क्षमता 300 किलोमीटर है। रफाल को gust of wind कहते हैं, हवा का झोंका... दूसरा नाम bust of fire..ये कोट बिल्कुल सच है।
राफेल की स्पीड
भारत आने वाले 36 लड़ाकू राफेल विमानों की पहली खेप में 5 विमान अंबाला एयरबेस में पहुंच चुके हैं। सुपर पॉवर फुल राफेल एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है। राफेल की अधिकतम रफ्तार 2200 से 2500 प्रतिघंटा किलोमीटर है। इसकी लंबाई 15.30 मीटर और ऊंचाई 5.30 मीटर है। राफेल का विंगस्पैन सिर्फ 10.90 मीटर है, जो पहाड़ी क्षेत्र में उड़ने के लिए आदर्श एयरक्राफ्ट बनाता है। राफेल में जो सिस्टम लगा है वो पायलट को दुश्मन के खिलाफ बड़ा टेकनिकल और टैक्टिकल एडवांटेज देता है। राफेल की मारक क्षमता 3800 किलोमीटर है। राफेल एक मिनट में 2500 राउंड फायरिंग कर सकता है। इस विमान के दोनों तरफ से 30 एमएम की तोप से गोले दागे जा सकते हैं।
ये मिसाइलें राफेल को बनाती हैं और भी खास
भारत ने अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें हैमर मिसाइल लगवाई है, HAMMER यानी Highly Agile Modular Munition Extended Range एक ऐसी मिसाइल हैं, जिनका इस्तेमाल कम दूरी के लिए किया जाता है। HAMMER का इस्तेमाल मुख्य रूप से बंकर या कुछ छुपे हुए स्थानों को तबाह करना होता है। ईस्टर्न लद्दाख की पहाड़ियों में ये मिसाइल काफी मददगार साबित होंगी। दुनिया की सबसे घातक समझे जाने वाली हवा से हवा में मार करने वाली मेटयोर मिसाइल चीन तो क्या किसी भी एशियाई देश के पास नहीं है। वियोंड विज्युल रेंज ‘मेटयोर’ मिसाइल की रेंज करीब 150 किलोमीटर है। हवा से हवा में मार करने वाली ये मिसाइल दुनिया की सबसे घातक हथियारों में गिनी जाती है। इसके अलावा राफेल फाइटर जेट लंबी दूरी की हवा से सतह में मार करने वाली स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली माइका मिसाइल से भी लैस है। राफेल अधिकतम 24500 किलोग्राम तक का भार उठाकर ले जा सकता है।
टारगेट लॉक करो और भूल जाओ
मल्टी रोल फाइटर जेट राफेल एकसाथ कई लक्ष्यों पर निशाना लागने में माहिर है। इसका टारगेट अचूक है। रफाल ऊपर-नीचे, अगल-बगल यानी हर तरफ निगरानी रखने में सक्षम है, मतलब इसकी विजिबिलिटी 360 डिग्री होगी। पायलट को बस दुश्मन देखते ही बटन दबा देना है और बाकी काम कंप्यूटर कर लेगा, इसमें पायलट के लिए एक हेलमेट भी होगा। पायलट के लिए राफेल में कई सेंसर लगे हैं। नाइट ऑपरेशन में राफेल को मदद करने के लिए कॉकपिट में इफरा रेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम खास तौर से राफेल में भारत के लिए लगाए गए है।
हर मौसम में भर सकता है उड़ान
राफेल हर मौसम में फ्लाई कर सकता है। हाई अल्टीट्यूड में उड़ सकता है। ये कम वजन का होते हुए भी ज्यादा हथियार उठा सकता है, इसमें मीटियोर मिसाइल बिल्कुल गेमचेंजर है, इसके मुकाबले का कोई एयरक्राफ्ट एशिया में नहीं है। लद्दाख के ज़ीरो डिग्री से भी नीचे वाले ठंडे इलाको में राफेल के कोल्ड स्टार्ट इंजन से काफी मदद मिलेगी। कोल्ड स्टार्ट मतलब ये बर्फीले इलाकों में बिना किसी देरी के स्टार्ट होकर कांबेट मोड में आ सकता है।
राफेल एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है
अत्याधुनिक मिसाइलों और घातक बमों से लैस भारतीय वायुसेना के सबसे घातक फाइटर जेट राफेल ओमनी रोल लड़ाकू विमान है। यह पहाड़ों पर कम जगह में उतर सकता है। इसे समुद्र में चलते हुए युद्धपोत पर उतार सकते हैं। राफेल चारों तरफ निगरानी रखने में सक्षम है। राफेल में तीन तरह की मिसाइलें लगेंगी। राफेल ऊंचाई हासिल करने के मामले में दुनिया का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान है। इसका रेट ऑफ क्लाइंब (Rate of climb) 18288 मीटर प्रति मिनट है। राफेल एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है। राफेल का कॉम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है। बता दें कि, अपनी उड़ानस्थल से जितनी दूर विमान जाकर सफलतापूर्वक हमला कर लौट सकता है, उसे विमान का कॉम्बैट रेडियस कहते हैं। फ्लाइंग कैपेबिलिटी 18288 मीटर प्रति मिनट है। राफेल 24494 किलोग्राम वजन के साथ उड़ान भर सकता है।
राफेल में फ्लाइट रिकॉर्डिंग की भी है सुविधा
राफेल में कॉकपिट में 10 घंटे की फ्लाइट रिकॉर्डिंग रहती है- जो दुश्मन के इलाकों की पूरी डिटेल पायलट को बताती रहती है राफेल रेडार वार्निंग रिसीवर और जैमर्स से लैस है। नाइट ऑपरेशन में राफेल को मदद करने के लिए कॉकपिट में इफरा रेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम खास तौर से राफेल में भारत के लिए लगाए गए है ।
बेहद खास है इंजन
राफेल में Snecma (स्नेक्मा) के M-88 इंजन लगे हैं, जिनसे 75 किलो न्यूटन की दोगुनी पावर मिलती है यानि इसके 4.5 जनेरेशन के दो इंजन करीब 100 कारों के बराबर का हॉर्सपावर पैदा करते हैं। जैसी ही राफेल का इंजान ऑन होता है इसके आफटरबनर्रस (afterburners) इसको 1.8 मैक की स्पीड से आसमान में उड़ा देते हैं, यानि 1912 किलोमीटर की रफ्तार से आसमान की उचाईयों में पहुंच जाता है। अपने ट्विन इंजन की ताकत से राफेल एक मिनट में 60 हज़ार फीट की उंचाई पर पहुंच सकता है।
राफेल की कीमत
36 राफेल विमानों की कीमत 3402 मिलियन यूरो है। विमानों के स्पेयर पार्टस 1800 मिलियन यूरो के हैं, जबकि भारत के जलवायु के अनुरुप बनाने में 1700 मिलियन यूरो का खर्चा हुआ है। इसके अलावा परफॉर्मेंस बेस्ड लॉजिस्टिक का खर्चा करीब 353 मिलियन यूरो का है। एक विमान की कीमत करीब 90 मिलियन यूरो है यानी करीब 673 करोड़ रुपए है। लेकिन इस विमान में लगने वाले हथियार, सिम्यूलेटर, ट्रैनिंग मिलाकर एक फाइटर जेट की कीमत करीब 1600 करोड़ रुपए पड़ेगी। 2021-22 तक भारत को सभी 36 विमान मिल सकते हैं। भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिये चार साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था।
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